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करना, बोलना, वर्णन करना--जगादाने गदाग्रजम् । गन्त (वि०) (स्त्री०-त्री) | गम्+तच ] 1. जो जाता ..--शि० २१६९, बहु जगाद पुरस्तात्तस्य मत्ता किलाहम् है, घूमता है 2. किसी स्त्री से मैथुन करने वाला। --११।३९, शुद्धान्तरक्ष्या जगदे कुमारी--रघु० ६।४५ | गन्त्री [गम् +ष्ट्रन्+ङीष् ] बैलगाड़ी। सम-रयः 2. गणना करना, नि--, घोषणा करना, बोलना, | बैलगाड़ी। कहना-रघु० ॥३३॥
गन्ध (चरा० आ०-गन्धयते) 1. क्षति पहुँचाना, चोट पहँगवः [ गद्+अच् ] 1. बोलना, भाषण 2. वाक्य 3. रोग,
चाना 2. पूछना, मांगना 3. चलना-फिरना, जाना। बीमारी-...असाध्यः कुरुते कोपं प्राप्ते काले गदो यथा -..शि० २।८४, जनपदे न गदः पदमादधौ-- रघु०
गन्धः [ गन्ध + अच् ] 1. बू, वास्य-गन्धमाघ्राय चोा :
-मेघ० २१, अपघ्नन्तो दुरितं हव्यगन्धः--श० ९।४, १७।८१ 4. गर्जन, गड़गड़ाहट, दम एक प्रकार
४७, रघु० १२।२७, (ब० स० के उत्तरपद के रूप का विष । सम० --- अगदौ (द्वि० व०) दो अश्विनी कुमार, देवताओं के वैद्य,—अग्रणीः सब रोगों का राजा
में प्रयुक्त होने पर यह शब्द बदलकर 'गन्धि' हो
जाता है यदि इससे पूर्व उद्, पूति, सु या सुरभि में से अर्थात् तपेदिक, अम्बरः बादल, अरातिः औषधि,
कुछ जोड़ दिया गया है, या समास तुलनार्थक है दवा।
अथवा 'गन्ध' का अर्थ 'जरा सा', 'थोड़ा सा है- उदा. गदयित्नु (वि.) [ गद् । णिच् + इत्नुच् ] 1. मुखर,
-----सुगन्धि, सुरभिगन्धि, कमलगन्धि मुखम् 2. वैशेवाचाल, बातूनी 2. कामुक, विषयी, नुः कामदेव ।
षिक दर्शन ने प्रतिपादित २४ गुणों में से एक गुण, गदा [ गद् + अच् + टाप् ] 1. क्रीड़ायष्टि या गदा, मुद्गर
वहाँ यह पृथ्वी का गुणात्मक लक्षण है, पथ्वी को 'गन्ध-संचूर्णयामि गदया न सुयोधनोरू--वेणी० १२१५ ।
वती' कहा गया है-तर्क० सं० 3. वस्तु की केवल सम० - अग्रजः कृष्ण--शि० २।८४, -अग्रपाणि (वि०)
गन्धमात्र, जरा सा, बहुत ही थोड़े परिणाम में ..घृतदाहिने हाथ में गदा लिए हुए,-धरः विष्णु की उपाधि,
गन्धि भोजनम् - सिद्धा. 4. सुगन्ध, कोई सुगन्धित -भत् (वि०) गदाधारी, गदा से युद्ध करने वाला सामग्री-एषा मया सेविता गन्धयुक्ति:--मच्छ०८, (पुं०) विष्णु की उपाधि,--युद्धम् गदा से लड़ा जाने
याज्ञ० ११२३१ 5. गन्धक 6. पिसा हुआ चन्दन चूरा वाला युद्ध, हस्त (वि.) गदा से सुसज्जित ।
7. संयोग, सम्बन्ध, पड़ोस 8. घमण्ड, अहङ्गार-जैसा गदिन (वि.) (स्त्री० नी) [गदा+इनि ] 1. गदा
कि 'आत्तगन्ध' में,-धम् 1. गन्ध, बू 2. काली अगरघारी--भग० ११११७ 2. रोगग्रस्त, रुग्ण (पुं०) लकड़ी। सम-अधिकम् एक प्रकार का सुगन्ध
द्रव्य,---अपकर्षणम् गन्ध दूर करना,- अ (नपुं०) गद्गद (वि.) [गद् इत्यव्यक्तं वदति--गद्+गद्+अच्] सुबासित जल,-अम्ला जंगलो नींबू का वृक्ष, ..अश्मन् हकलाने वाला, हकला कर बोलने वाला—तत्कि
(पु.) गन्धक,- अष्टकम् आठ सुगन्ध द्रव्यों का रोदिषि गद्गदेन वचसा- अमरु ५३, गदगदगलस्थ्य
मिश्रण जो देवताओं पर चढ़ाया जाय, देवताओं की ट्यद्विलीनाक्षरं को देहीति वदेत् -- भर्त० ३८, सानन्द
प्रकृति के अनुसार यह भिन्न-भिन्न प्रकार का होता है, गद्गदपदं हरिरित्युवाच-गीत० १०,-~-दम् (अव्य०)
-आखुः छछुन्दर,- आजीवः सुगन्धों का विक्रेता, अटक-अटक कर बोलने या हकलाने का स्वर.-विल
- • ओढ्य (वि.) गन्धसमुद्ध, बहत सुगन्धित-स्रजलाप स वाष्पगद्गदम्-- रघु० ८।४३,--वः, - दम्
श्चोत्तमगन्धाढ्या:--महा०, ( दयः ) नारंगी का पेड़ हकलान, अस्पष्ट या उलट-पुलट भाषण । सम.
(दयम् ) चन्दन की लकड़ी-इन्द्रियम नाक, घ्राणेन्द्रिय, -ध्वनिः हर्ष या शोक सूचक मन्द अस्पष्ट ध्वनि
-इभः,-गजः, -द्विपः, --स्तिन् (पुं०) 'सुवास-- -वाच (स्त्री०) सुबकी आदि से अन्तहित, अस्पष्ट या
हाथी' सर्वोत्तम हाथी-शमयति गजानन्यान्गन्धद्विपः उलट-पुलट बाणी,--स्वर (वि.) हकलाने वाले स्वर कलभोऽपि सन-विक्रम० ५।१८, रघु० ६१७, १७१७०, से उच्चारण करने वाला (रः) 1. अस्पष्ट तथा हक- कि० १७११७, उत्तमा मदिरा, शराब,---उतम् सुगलाने का उच्चारण 2. भैसा।
न्धित जल,----उपजीविन (पुं०) गन्धद्रव्यों से आजीगद्य (सं० क.) [ गद्+यत ] बोले जाने या उच्चारण विका कमाने वाला, गन्धी,-ओतुः (गन्धोतुः या किए जाने के योग्य-गद्यमेतत्त्वया मम--भदि०६।४७, गधौतु: गन्धबिलाव,-कारिका 1. सुगन्ध द्रव्य बनाने
-धम नसर, गद्य रचना, छन्दविरहितरचना, तीन वाली सेविका, शिल्पकार स्त्री जो दूसरे के घर उसके प्रकार (गद्य, पद्य, चम्पू) की रचनाओं में से एक नियन्त्रण में रहती है,--- कालिका–काली (स्त्री० ) ---दे० काव्या० १।११।।
व्यास की माता सत्यवती,-काष्ठम् अगर को लकड़ी गवाण (न,—ल) क: ४१ घुघचियों के समान भार, ४१ ---कुटी एक प्रकार का गंधद्रव्य,- केलिका,-चेलिका रत्तियों का वजन ।
कस्तूरी,-गुण (वि.) गंधगुण वाला, गंधयुक्त, घ्राणम्
गदार ( की उपाधि, १७ 2.8
जः, नियप्रिय नारंगी का
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