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में)-राजा शकुन्ट४, वयमपि भवत्या प्रगतः गतिः (स्त्री०),
नाओं से उदासीन, स्पृह (वि.)
पति: (स्त्री०)
विषय में, की बावत, विषयक, संबद्ध (बहुधा समास | (वि०) 1. मृत, ध्वस्त, जीवनरहित 2. ओछा, में)-राजा शकुन्तलागतमेव चिन्तयति-श० ५, -सन्नकः हाथी जिसका मद न झरता हो,-स्पृह (वि.)
सांसारिक विषयवासनाओं से उदासीन । गतं किमपि पृच्छामः ..-श० १, इसी प्रकार 'पुत्रगतः गतिः (स्त्री०) [गम+क्तिन् ] 1. गति, गमन. जाना, स्नेहः' आदि, तम् । गति, जाना- -गतमपरि घनाना
चाल -गतिविगलिता ...पंच० ४।७८, अभिन्नगतयः वारिगर्भोदराणाम्-श० ७७, शि० श२ 2. चाल,
----श० १११४, (न) भिदन्ति मन्दां गतिमश्वमुख्यः चलने की रीति-कु० ११३४, विक्रम० ४१६
--कु० ११११, उनकी धीमी चाल को मत सुधारो, 3. घटना 4. यदि समास में प्रथम पद के रूप में प्रयुक्त
इसी प्रकार-गगनगति: पंच०१, लघगति: - मेघ० हो तो इसका 'मुक्त' 'विरहित' 'वंचित' और 'बिना'
१६, १०,४६, उत्तर० ६१२३ 2. पहँच, प्रवेश-मणौ शब्दों में अनुवाद करते है। सम०-अक्ष (वि.)
बज्रसमुत्कीर्ण सूत्रस्येवास्ति मे गतिः . . रघु० ११४ दृष्टिहीन, अन्धा, अध्वन (वि.) 1. जिसने अपनी
3. कार्यक्षेत्र, गुंजायश--अस्त्रगतिः... कु० ३।१९, मनोयात्रा समाप्त कर ली है 2. अभिज्ञ, परिचित,
रथानामगतिर्न विद्यते-कु० ५।६४, नास्त्यगतिमनोर(स्त्री०) चतुर्दशी से युक्त अमावस्या,- अनुगतम् थानाम् विक्रम० २ 4. मोड़, चर्या दैवगतिहि पूर्वोदाहरण या प्रथा का अनुयायी होना,-अनुगतिक चित्रा 5. जाना, पहुँचना, प्राप्त करना- वैकुण्ठीया (वि०) दूसरों की नकल करने वाला, अन्धानुयायी गति:..-पंच० १, स्वर्ग प्राप्ति 6. भाग्य, फल-भर्त-गतानुगतिको लोको न लोक: पारमार्थिकः-पंच० गतिर्गन्तव्या- दश० १०३ 7. अवस्था, दशा दानं १।३४२, लोग भेड़ा चाल चलने वाले वा केवल अंधा- भोगो नाशस्तिस्रो गतयो भवन्ति वित्तस्य-भत०२।४३, नुकरण करने वाले होते हैं- मुद्रा० ६।५, -अन्त पंच० ११०६ 8. प्रस्थापना, संस्थान, स्थिति, अवस्थिति (वि.) जिसका अन्त समय आ गया है,-अर्थ (वि.) -पराय॑गतेः पितुः--रघु० ८।२७ कुसुमस्तबकस्येव द्वे 1. निधन 2. अर्थ हीन (क्योंकि अर्थ का विधान गती स्तो मनस्विनां-भर्त० २।१०४ पंच० २४१, पहले ही किया जा चुका है),----असु,-जीवित,---प्राण ४२० 9. साधन, तरकीब, प्रणालो, दूसरा उपाय (वि०) समाप्त, मृत-भग० २।११, आगतम् -अनुपेक्षणे द्वयो गतिः -- मुद्रा० ३, का गतिः .. क्या 1. जाना आना, बार २ मिलना--भत० ३।७, भग० हो सकता है ? कुछ नहीं हो सकता (प्रायः नाटकों ९।२१, मुद्रा० ४१ 2. (ज्योतिष में) तारों का में प्रयुक्त होता है) पंच० १३१९, अन्या गति स्ति अनियमित मार्ग,-आधि (वि०) चिन्ताओं से मुक्त, ---का० १५८ 10. आश्रय, रक्षास्थल, शरण, शरणाप्रसन्न, -आयुस् (वि०) जीर्ण, निर्बल, अतिवृद्ध, | गार, अवलंब-विद्यमाना गतियपाम् - पंच०११३२०, --आर्तवा जो ऋतुमती होने की आयु को पार कर ३२२, आसयत् सलिले पृथ्वीं यः स मे श्रीहरिगतिः चुकी हो, बुढ़िया,---उत्साह वि० उत्साहहीन, उदास, ----सिद्धा० 11. स्रोत, उद्गम, प्राप्तिस्थान भग० - ओजस् (वि०) शक्ति या सामर्थ्य से विरहित, २।४३, मनु० १३१० 12. मार्ग, पथ 13. प्रयाग, प्रयात्रा -- कल्मष (वि०) पाप या जुर्म से मुक्त, पवित्रीकृत, (जलूस) 14. घटना, फल, परिणाम 15. घटनाक्रम, -कलम (वि०) पुनः तरोताजा,-चेतन (वि०) बेहोश, भाग्य, किस्मत 16. नक्षत्र पथ 17. ग्रह की अपने ही मूछित, चेतनाहीन,—दिनम् (अव्य०) बीता हुआ
कक्ष में दैनिक गति 18. रिसने वाला घाव, नासूर कल,..--प्रत्यागत (वि०) जाकर वापिस आया हुआ
19. ज्ञान, बद्धिमत्ता 20. पुनर्जन्म, आवागमन मनु० मनु० ७.१४६,----प्रभ (वि०) दीप्तिरहित, धुंधला,
६७३ 21. जीवन/की अवस्थाएँ (शैशव, यौवन, वार्धमलिन, मद्धम या म्लान,-प्राण (वि.) जीवरहित,
क्य आदि) 22. (व्या० में) उपसर्ग तथा क्रियाविशेषमृत,--प्राय (वि०) लगभग गया हुआ, तकरीबन
णात्मक अव्यय (अलं, तिरस् आदि) जब कि यह बोता हुआ-गतप्राया रजनी, -भर्तका 1. विधवा
किसी क्रिया या कृदन्तक से पूर्व लगाये जायं। सम० स्त्री 2. (बिरल प्रयोग) वह स्त्री जिसका पति परदेश
--अनुसारः दूसरे के मार्ग का अनुगमन करने वाला, गया हो (-प्रोपितभर्तृका), लक्ष्मीक (वि.) - भङ्ग ठहरना, --हीन (वि०) अशरण, निस्सहाय, 1. कान्ति हीन, दीप्ति से रहित, म्लान 2. धन से वञ्चित परित्यक्त। निर्धनोकृत, घाटे की यन्त्रणा से पीडित,... वयस्क | गत्वर (वि.) (स्त्री० ---री) [गम्+क्वरप, अनुनासिक (वि.) बहुत आयु का, वृद्ध, बूढ़ा,- वर्षः,--र्षम् लोपः, तुक्] 1. गतिशील, चर, जंगम 2. अस्थायी, बीता हुआ वर्ष, वैर (वि.) मेल मिलाप से रहने । विनश्वर-गत्वरैरसुभिः --- कि० २०११, गत्वर्यो यौवनवाला, पुनमिलित,-व्यथ (वि.) पीड़ा से मुक्त, श्रियः--११।१२। -शैशव (वि० ) जिसका बचपन बीत गया है,-सत्त्व । गद् (भ्वा० पर०—गदति, गदित) 1. स्पष्ट कहना, कथन
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