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( १९७ )
2. अतिशय, अत्यन्त, अत्यधिक 3. अभिमानी, निरर्थक, । उदारः [उद्+है+घञ] 1. खींचकर बाहर निकालना, ध्यर्थ फूला हुआ-अक्षवधोद्धत:---रघु० १२१६३ निस्सारण 2. मुक्ति, त्राण, बचाव, अपमोचन, छुट4. कठोर 5. उत्तेजित, भड़काया हुआ, प्रचंड मनोभव- कारा 3. उठाना, ऊपर करना 4. (विधि में) पैतक रागा-कि० ९।६८, ६९, मदोद्धताः प्रत्यनिलं विचेरुः सम्पत्ति में से पृथक किया गया वह भाग जिसका कु० ३१३१ 6. शानदार, राजसी-धीरोद्धता नमयतीव लाभ केवल ज्येष्ठ पुत्र ही उठा सके, छोटे भाइयों को गतिर्धरित्रीम-उत्तर० ६।१९, अक्खड़, अशिष्ट,-तः दिय जाने वाले भाग के अतिरिक्त वह अंश जो राज-मल्ल । सम-मनस्,-मनस्क (वि०) दम्भी, कानूनन बड़े भाई को ही मिले--मनु० ९।११२, 5. अहंकारी, घमंडी।
युद्ध की लूट का छठा भाग जिसका स्वामी राजा होता उबतिः (स्त्री०) [उद्+हन्+क्तिन] 1. उन्नयन 2. घमंड, है-मनु० ७।९७, 6. ऋण, 7. सम्पत्ति का फिर से
अभिमान,-शि० ३।२८, 3. अक्खड़पना, धृष्टता प्राप्त हो जाना 8. मोक्ष। 4. प्रहार।
उद्धारणम् [उद्+ह (ध)+णिच-ल्यूट] 1. उठाना ऊँचा उडमः [उद्+मा+श · घमादेशः] 1. आवाज निकालना,
करना 2. बचाना, भय से निकाल लेना, छुटकारा, बजाना 2. घोर सांस लेना, हॉफना।
मुक्ति । उखरणम् [उद्-ह+ ल्युट्] 1. निकालना, बाहर करना, | उदर (वि०) [ उद्+-धुर्+क] 1. अनियन्त्रित, निरंकुश,
(वस्त्रादिक) उतारना 2. निचोड़ना, निस्सारण, मुक्त 2. दृढ़, निश्शंक 3. भारी, भरपूर-शि० ५।६४ उखाड़ लेना,-कंटक मनु० ९२२५२, चक्षुषोरुद्धर- 4. मोटा, फूला हुआ, स्थूल 5. योग्य, सक्षम-भामि. णम्-मिता०, 3. उद्धार करना, मुक्त करना, अभय ४१४०। करना-दीनोद्धरणोचितस्य-रघु० २।२५, स बन्धुर्यो त (भू० क० कृ०) [उद्+धू+क्त] 1. हिलाया हुआ, विपन्नानामापदुद्धरणक्षम:-हि० १२३, 4. उन्मूलन, गिरा हुआ, उठाया हुआ, ऊपर फेंका हुआ-मारुतध्वंस, पदच्य ति 5. उठाना, ऊपर करना 6. वमन भरोद्धृतोऽपि धूलिवजः--धन० 2. उन्नत, ऊँचा। करना 7. मोक्ष 8. ऋणपरिशोध ।
उननम् [ उद्+धू+ल्युट्, नुगागमः ] 1. ऊपर फेंकना, ज्जत-उद्धारक (वि०) [उद् + (ह)धृ+तृच, ण्वुल वा] 1. उठाना 2. हिलाना।
ऊपर उठाने वाला 2. साझीदार, संपत्ति का हिस्सेदार। उपनम् [ उद्+घूप+ल्युट् ] धूनी देना, धुपाना। उवर्ष (वि०) [उद्+हुप्+घञ्] खुश, प्रसन्न,—र्षः 1. उलनमू [ उद् + धूल+णिच् + ल्युट् ] चूरा करना,
बहुत प्रसन्नता 2. किसी कार्य को संपन्न करने के लिए पीसना; धूल या चूरा रकना-भस्मोडलन
उत्तरदायित्व लेने का साहस 3. उत्सव (धार्मिक पर्व)। -काव्य०१०। उवर्षणम् [उद्+ हृष् + ल्युट्] 1. प्राण फूंकना 2. रोमांच | उद्धषणम् [ उद्-- धूप+ल्युट ] रोंगटे खड़े होना, पुलकना, ___ होना, पुलक ।
रोमांचित होना। उद्धवः [उद्+ह+अच] 1. यज्ञाग्नि 2. उत्सव, पर्व 3. उद्धृत (भू० क० कृ०) [ उद्+ह (घ)+क्त ] 1. बाहर
इस नाम का यादव जो कृष्ण का चाचा तथा मित्र था । खींचा हुआ, निकाला हुआ, निचोड़ कर निकाला हुआ (जब अक्रूर द्वारा कृष्ण मथुरा ले जाये गये, तो गोकुल
2. उठाया हुआ, उन्नत, ऊँचा किया हुआ 3. उखाड़ा वासियों ने उद्धव से मथुरा जाने और वहां से कृष्ण को । हुआ, उन्मूलित-उद्धतारि:-रघु० २।३०।। वापिस लिवा लाने की प्रार्थना की । यादवों के अवश्य- उद्धृतिः (स्त्री०) [ उद्+ह (धृ)+क्तिन् ] 1. खींच कर भावी विनाश को देख कर उद्धव कृष्ण के पास गये बाहर निकालना, निचोड़ना 2. निचोड़, चुना हुमा और पूछा कि अब क्या करें, कृष्ण ने तब उद्धव को संदर्भ 3. मुक्त करना, बचाना 4. विशेषतः पाप से बतलाया कि वह बदरिकाश्रम जाकर तपस्या करें मुक्ति दिलाना, पवित्र करना, मोक्ष---चयन्ते तीर्थानि तथा स्वर्गलाभ करें। 'उद्धवदूत' और 'उद्धवसंदेश' त्वरितमिह यस्योद्धतिविधी-गंग। ० २८ । की रचना का विषय 'उद्धव' है)।
उद्ध्मानम् [ उद्+मा+ल्यूट ] अंगीठी, चूल्हा, स्टोव । उखस्त (वि.) [ब० स०] हाथ आगे पसारे हुए या उद्ययः [ उज्झत्युदकमिति मल्लि०-उद्+ उज्झ्+क्यप, उठाये हुए।
नि० उज्झर्घत्वम् ] एक दरिया का नाम तोयदागम उडानम् [उद्+वा+ ल्युट्] 1. चूल्हा, अंगीठी, यज्ञकुण्ड इवोद्धचभिद्ययो:--रघु० १३८ । 2. उगल देना, वमन करना।
उद्बन्ध (वि.)[अत्या० स०] ढीला किया गया-धः,-धनम् उदान्त (वि.) [उद+हा--झ बा०] उगला हुआ, वमन 1. बँधना, लटकना 2. स्वयं फांसी लगा लेना।
किया हुआ,-तः हाथी जिसके मस्तक से मद चूना | उदबन्धकः [ उद्+बन्ध+ण्वल ] वर्णसंकर जाति जो धोबी बन्द हो गया हो।
का काम करती है--तु०--उशना--आयोगवेन
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