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( २९७ ) सेवक,—धी (वि०) 1. दूरदर्शी, लिहाज रखने वाला | ८।४६ 4. दत्तक (पत्र) (बहधा समास के अन्त में (दूरदर्शी) 2. विद्वान् शिक्षित, बुद्धिमान--मुद्रा० भी)--यस्योपांते कृतकतनयः कान्तया वधितो मे (बाल ५।२०,—निर्णेजनः पश्चात्तापी,-निश्चय (वि०) कृत- मन्दारवृक्षः)-मेघ० ७५, सोऽयं न पुत्रकृतक: पदवीं संकल्प, दृढ़प्रतिज्ञ,--पुख (वि०) धनुर्विद्या में निपुण, मृगस्ते (जहाति)-श० ४।१३।। -पूर्व (वि.) पहले किया हुआ,-प्रतिकृतम्, आक्र- कृतम् (अव्य०) [ कृत्+कम् बा०] पर्याप्त और अधिक मण और प्रत्याक्रमण, धावा बोलना और प्रतिरोध नहीं, बस करो अथवा मत करो (करण के साथ) करना-रघु० १२।९४,-प्रतिज्ञ (वि०) 1. जिसने अथवा कृतं सन्देहेन-श० १, अथवा-गिरा कृतम् किसी से कोई करार किया हुआ है 2. जिसने अपनी - रघु० ११४१, कृतमश्वेन- उत्तर०४ । प्रतिज्ञा को पूरा कर लिया है,-बुद्धि (वि०) विद्वान्, कृतिः (स्त्री०) कृ-+क्तिन] 1. करनी, उत्पादन, निर्माण, शिक्षित, बुद्धिमान-मनु० ११९७,७।३०,-मुख (वि.) __ अनुष्ठान 2. कार्य, कृत्य, कर्म 3. रचना, काम, संविद्वान्, बुद्धिमान्,-- लक्षण (वि.) 1. मुद्रांकित, रचना—(तो) स्वकृति गापयामास कविप्रथमपद्धतिम चिह्नित 2. दागी--मनु० ९।२३९ 3. श्रेष्ठ, सुशील --रघु० १५।३३, ६४,६९, नै० २२।१५५ 4. जादू, परिभाषित, विवेचित,-वर्मन् (पुं०) कौरवपक्ष इन्द्रजाल 5. क्षति पहुँचाना, मार डालना 6. बीस की
का एक योद्धा जो कृप और अश्वत्थामा के साथ संख्या। सम०-करः रावण का विशेषण ।। महाभारत के युद्ध में जीवित रहा, बाद में वह | कृतिन (वि.) [ कृत-इनि ] कृतकार्य, कृतार्थ, संतुष्ट, परि. सात्यकि के हाथों मारा गया, - विद्य (वि०) विद्वान्, तृप्त, प्रसन्न, सफल -यस्य वीर्येण कृतिनो वयं च शिक्षित-शरोऽसि कृतविद्योऽसि—पञ्च ४१४३, भुवनानि च-उत्तर० १३२, न खल्वनिर्जित्य रघु सवर्णपूष्पितां पृथ्वीं विचिन्वन्ति त्रयो जनाः, शूरश्च कृती भवान् --रघु० ३।५१, १२॥६४ 2. (अतः) कृतविद्यश्च यश्च जानाति सेवितुम् --पञ्च० ११४५, सौभाग्यशाली, अच्छी किस्मतवाला, भाग्यवान्-श. -वेतन (वि०) वैतनिक, तनखादार (नौकर आदि) ११२४, श० ७।१९ 3. चतुर, सक्षम, योग्य, विशेषज्ञ,
--याज्ञ०२।१६४,--वेदिन (वि.) आभारी दे० कुशल, बुद्धिमान्, विद्वान् ;-तं क्षुरप्रशकलीकृतं कृती कृतज्ञ,—वेश (वि०) सुवेशित, विभूषित --गतवति --- रघु० ११।२९, कु० २।१०, कि० २।९ 4. अच्छा, हृतवेशे केशवे कुञ्जशय्याम्-गीत०११,-शोभ (यि०) | गुणी, पवित्र, पावन तावदेव कृतिनामपि स्फुरत्येष 1. शानदार 2. सुन्दर 3. पटु, दक्ष,-शौच ( वि० ) निर्मलविवेकदीपकः---भर्त० ११५६ 5. अनुवर्ती, पवित्र किया हुआ,---श्रमः,--परिश्रमः अध्येता, जिसने आज्ञाकारी, आदेशानुसार करने वाला। अध्ययन कर लिया है-कृतपरिश्रमोऽस्मि ज्योति:- कृते, कृतेन (अव्य.) [संब० के साथ या समास में) के शास्त्रे-मद्रा० १, (मैंने अपना समय ज्योतिःशास्त्र के लिए, के निमित्त, के कारण-अमीषां प्राणानां कृते अध्ययन में लगाया है),-संकल्प (वि.) कृतनिश्चय, भत० ३।३६, काव्यं यशसेऽर्थकृते-काव्य०१, भग० दृढ़संकल्प,-संकेत (नि.) (समय आदि का) नियत । १३५, याज्ञ० ११२१६, श०६। करने वालानामसमेतं कृतसंकेतं वादयते मृदु वेणुम् / कृत्तिः (स्त्री०) [कृत-+क्तिन] 1, चमड़ा, खाल 2. (विशे
-गीत० ५,-संज्ञ (वि०) 1. पुनः चेतना प्राप्त, होश षतः) मगचर्म जिसपर (धर्मशिक्षा का) विद्यार्थी में आया हुआ 2. उद्बोधित, ....समाह (वि.) कवचधारी, बैठता है 3. (लिखने के लिए) भोजपत्र 4. भोजवृक्ष ---सापत्निका वह स्त्री जिस के पति ने दूसरा विवाह
5. कृत्तिका नक्षत्र, कृत्तिका मंडल । सम-वासः कर लिया है, एक विवाहित स्त्री जिसकी सपत्नी भी
--बासस् (पुं०) शिव का विशेषण-स कृत्तिवासाविद्यमान हो, हस्त,-हस्तक (वि०) 1. दक्ष, चतुर, स्तपसे यतात्मा-कु. ११५४, मालवि० १११। कुशल, पटु 2. धनुर्विद्या में कुशल, -- हस्तता 1. कौशल, कृत्तिका (ब० व० [कृत+तिकन, कित 11. २७ नक्षत्रों दक्षता 2. धनुविद्या या शस्त्रविद्या में कुशल--कौरव्ये
में से तीसरा कृत्तिका नक्षत्र (६ तारों का पुंज) 2. छ: कृतहस्तता पुनरियं देवे यथा सारिणी-वेणी०६।१२,
तारे जो युद्ध के देवता कार्तिकेय की परिचारिका का महावी० ६।४१।
कार्य करने वाली अप्सराओं के रूप में वर्णित हैं। सम० कृतक (वि.) [कृत+कन् ] 1. किया हुआ, निर्मित,
-तनयः,-पुत्रः,-सुतः कार्तिकेय का विशेषण,-भवः सज्जित (विप० नैसर्गिक)--- यद्यत्कृतं तत्तदनित्यम्- चाँद। न्यायसुत्र 2. कृत्रिम, बनावटी ढंग से किया हुआ, कृत्नु (वि.) [कृ+क्त्तु] 1. भली भांति करने वाला, करने ----अकृतकविधिसर्वाङ्गीणमाकल्पजातं – रघु० १८.५२ के योग्य शक्तिशाली 2. चतुर, कुशल,--स्नुः कारीगर, 3. झूठा, व्यपदिष्ट या बहाना किया हुआ, मिथ्या, | कलाकार। दिखावटी, कल्पित---कृतककलहं कृत्वा-मुद्रा०३, कि० | कृत्य (वि.) [कृ+क्यप, तुक] 1. जो किया जाना चाहिए
नका वह स्त्री-संनाह (
विप्राप्त, होश
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