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औद्गात्रम् [ उद्गातृ + अ ] उद्गाता ऋत्विज का पद या
औद्दालकम् [उद्दाल +-अज्, संज्ञायां कन् ] मधु जैसा एक पदार्थ जो तीखा और कड़वा होता है । औदेशिक (वि० ) ( स्त्री० की ) [ उद्देश + ठक्] प्रकट करने वाला, निर्देशक, संकेतक ।
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औद्धत्यम् [ उद्धत + ष्यञ] 1. हेकड़ी, ढीठपना 2. साहसिकता, जीवटवाले कार्यों में हिम्मत - औद्धत्यमायोजितकामसूत्रम् - मा० १।४ । औद्धारिक (वि० ) ( स्त्री० - को ) [ उद्धार + ठञ ] पैतृक सम्पत्ति में से घटाया हुआ, विभक्त करने योग्य, दाययोग्य, कम् ( पैतृक सम्पत्ति में से घटाया गया ) एक अंश या दायभाग । औद्भिदम् [उद्भिद् +अण्] 1 झरने का पानी 2. सेंधा
नमक
औद्वाहिक (वि०) (स्त्री० की) [उद्वाह---ठज्ञ,] 1. विवाह से संबंध रखने वाला 2. विवाह में प्राप्त - याज्ञ० २।११८, मनु० ९२०६ कम् विवाह के अवसर पर वधू को दिये गये उपहार, स्त्रीधन । औधस्यम् [ऊधस् + ष्यञ ] दूध ( औड़ी से प्राप्त ) रघु० २१६६ अने० पा० । औन्नत्यम् [ उन्नत + ष्यञ] ऊँचाई, ऊँचा उठना (नैतिक रूप से भी ) ।
औकणिक (fro ) ( स्त्री० की ) [ उपकर्ण + ठक् ] कान के निकट रहने वाला । औप कार्यम्, र्या [ उपकार्य + अग्, स्त्रियां टाप् च ] आवास, तम्बू ।
औप्रस्तिकः, ग्रहिकः ! उपग्रस्त ठज्ञ, उपग्रह | ठञ] 1. ग्रहण 2. ग्रहण -ग्रस्त सूर्य या चन्द्रमा । औपचारिक ( वि० ) ( स्त्री० की ) [ उपचार - + ठक् ] लाक्षfre, आलंकारिक, गौण ( विप० मुख्य ), -कम् आलंकारिक प्रयोग ।
औपजाक ( वि० ) ( स्त्री० की ) उपजानु + ठक् ] घुटनों के पास होने वाला ।
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औपदेशिक (वि० ) ( स्त्री० की ) ( उपदेश + ठक् ] 1. अध्यापन या उपदेश द्वारा जीविका कमाने वाला 2. शिक्षण द्वारा प्राप्त (जैसे कि घन ) । औषधर्म्यम् [उपधर्म + ष्यञ् ] 1. मिथ्या सिद्धान्त, धर्मद्रोह 2. घटिया गुण या गुण का अपकृष्ट नियम । औपधिक ( वि० ) ( स्त्री० की ) [ उपाधि + ठञ] धोखेबाज |
धूर्त,
औषधेयम् | उपाधि + ञ] रथ का पहिया, रथांग । औपनायनिक ( वि० ) ( स्त्री०- की) [ उपनगन + ठक् ] उपनयन सम्बन्धी, या उपनयन (जनेऊ के साथ दीक्षा देने का संस्कार ) के काम का - मनु० २२६८ ।
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औपनिधिक ( वि० ) ( स्त्री० की ) [ उपनिधि + ठक् ] धरोहर से सम्बन्ध रखने वाला, कम् घरोहर या अमानत जो वस्तु घरोहर या अमानत के रूप में रक्खी जाय
याज्ञ० - २२६५ ।
औपनिषद ( वि० ) ( स्त्री० - दी ) [ उपनिषद् + अण् ] 1. उपनिषदों में बताया हुआ या सिखाया हुआ, वेद विहित, आध्यात्मिक 2. उपनिषदों पर आधारित, स्थापित या उपनिषदों से गृहीत औपनिषदं दर्शनम् (वेदा० द० का दूसरा नाम ) -द: 1. परमात्मा, ब्रह्म 2. उपनिषदों के सिद्धान्तों का अनुयायी । औपनीविक ( वि० ) ( स्त्री० की) [ उपनीवि + ठक् ] -- स्त्री या पुरुषों की धोती की गांठ या नाड़ें के निकट रक्खा हुआ, औपनीविकमरुन्द्ध किल स्त्री ( करम् ) - शि० १०/६०, भट्टि० ४।२६ । औपपत्तिक ( वि० ) ( स्त्री० की ) [ उपपत्ति + ठक् ] 1. तैयार, निकट 2. योग्य, समुचित 3. प्राक्काल्पनिक । औपमिक ( वि० ) ( स्त्री० - की) (उपमा | ठक् ] 1. तुलना या उपमान का काम देने वाला 2. उपमा द्वारा प्रदर्शित |
औपम्यम् [ उपमा + ष्यञ् ] - आत्मौपम्येन भूतेषु
तुलना, समरूपता, सादृश्य दयां कुर्वन्ति साधवः --- हि०
१।१२ ।
औपयिक ( वि० ) ( स्त्री० की ) [ उपाय + ठक् ] 1. समुचित, योग्य, यथार्थ 2. प्रयत्नों द्वारा प्राप्त, कः, कम् उपाय, तरकीब, युक्ति — शिवमौपयिकं गरीयसीम् - कि० २।३५ ।
औपरिष्ट ( वि० ) ( स्त्री०ष्टी ) ( उपरिष्ट+ अण् ] ऊपर होने वाला, ऊपर का ।
औपरो (रौ ) धिक (वि०) (स्त्री० – की) (उपरोध + ठक् ]
1. अनुग्रह सम्बन्धी, कृपा सम्बन्धी, अनुग्रह या कृपा के फलस्वरूप 2. विरोध करने वाला, बाधा डालने वाला - कः पीलू वृक्ष की लकड़ी का डंडा ।
औपल ( वि० ) ( स्त्री० --ली ) [ उपल +अण्] प्रस्तरमय,
पत्थर का ।
औपवस्तम् | उपस्त + अण् ] उपवास रखना, उपवास । औपवस्त्रम् [ उपवस्त्र + अण् ! 1. उपवास के उपयुक्त भोजन, फलाहार 2. उपवास करना ।
औषवास्यम् [उपवास + ष्यञ] उपवास रखना । औपवाह्य (वि० ) [ उपनाह्य + अण्] 1 सवारी के काम आने वाला – ह्यः 1. राजा का हाथी 2. कोई राजकीय सवारी |
औपवेशिक (वि० ) ( स्त्री० की ) [ उपवेश | ठञ पूरी लगन के साथ काम कर के अपनी आजीविका कमाने वाला ।
औपसख्यानिक ( वि० ) ( स्त्री० -- की )
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