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( २४५ )
कन्दु: ( पुं० [स्त्री० ) [ स्कन्द् +-उ, सलोपश्च ] पतीली, तंदूर । कन्दुकः, -कम् [कम् + दा+हु+कन् खेलने के लिए गेंद,
- पातितोऽपि कराघात रुत्पतत्येव कन्दुकः - भर्तृ० २८५, कु० १ २९, ५११, १९, रघु० १६।९३ । सम० - लीला गेंद का खेल ।
कवोट : ( : ) [ कन्द + ओटन् ] 1. श्वेत कमल, 2. नील
कमल, (नीलोत्पल का प्रान्तीय रूप ) - मोहमुकुलायमाननेत्र कन्दोटयुगल:- मा० ७ ।
कन्धरः [कं शिरो जलं वा घारयति - कम्+ धृ + अच् ] 1. गर्दन 2. 'जलधर' बादल, -रा-गर्दन - कन्धरां समपहाय के घरां प्राप्य संयति जहास कस्यचित् — याज्ञ० २। २२०, अमरु १६, दे० 'उत्कंधर' भी । कन्धिः [कं शिरो जलं वा घीयतेऽत्र -कम् + वा + कि ] समुद्र; ( स्त्री० ) गर्दन ।
कम् [ कद् + क्त ] 1. पाप 2. मूर्छा, बेहोशी का दौरा । कन्यका [कन्या -+- कन्, ह्रस्वता] 1. लड़की - संबद्धवैखानस -
कन्यकानि - रघु० १४।२८, ११५३ 2. अविवाहित लड़की, कुमारी, कुँआरी या (अपरिणीता) तरुणी -गृहे गृहे पुरुषा कुलकन्यकाः समुद्वहन्ति- मा० ७, याज्ञ० ११०५ 3. दशवर्षीय कन्या ( अष्टवर्षा भवेद्गौरी नववर्षा च रोहिणी, दशमे कन्यका प्रोक्ता अत ऊर्ध्वं रजस्वला शब्द ० ) 4. ( अलं० शा० में) अनेक प्रकार की नायिकाओं में से एक, कुमारी कन्या (जो किसी काव्यकृति में मुख्य पात्र समझी जाती है ) दे० 'अन्य स्त्री' के नी० 5. कन्या राशि । सम० - छलः फुसलानापैशाचः कन्यकाच्छलात् - याज्ञ० ११६१ - जनः कुमारियाँ, - विशुद्धमुग्धः कुलकन्यकाजनः मा० ७११, जातः कुमारी कन्या का पुत्र - याज्ञ० २।१२९ ( कानीन) । कम्यः [कन्य+सो + क] सबसे छोटा भाई — सा कानी उँगली, -सी सब से छोटी बहन ।
कन्या [कन् + यक्+टाप् ] 1. अविवाहित लड़की या पुत्री
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सम ०
-... रघु० १।५१, २।१०, ३१३३, मनु० १०१८ 2. दशवर्षीय कन्या 3. अक्षतयोनि, कुमारी मनु० ८।३६७, ३।३३ 4. (सामान्य) स्त्री 5. छठी राशि अर्थात् कन्या राशि 6. दुर्गा 7 बड़ी इलायची । --- अन्तः पुरम् रनवास, सुरक्षितेऽपि कन्यान्तःपुरे कश्चित्प्रविशति - पंच० १, महावी० २।५०, आट (वि०) युवती लड़कियों का पीछा करने वाला (-ट: ) 1. घर का भीतरी कमरा 2. जो तरुणी कन्याओं के पीछे फिरता रहता है, कुब्जः एक देश का नाम ( - जम्) भारत के उत्तर में एक प्राचीन नगर जो कि गंगा की सहायक नदी के किनारे स्थित है, वर्तमान कन्नौज, - - गतम् कन्या राशि में गया हुआ नक्षत्र, --- ग्रहणम् विवाह में कन्या को स्वीकार करना, वानम् कन्या का विवाह करना, दूषणम् कौमार्य भंग करना,
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दोषः कन्या में दोष का होना, बदनामी (जैसे कि किसी रोग के कारण ), धनम् दहेज, पतिः पुत्री का पति, दामाद, जामाता, - पुत्रः कुँआरी कन्या का पुत्र ( ' कानीन' कहलाता है), पुरम् जनानखाना, --- 1 भर्त ( पुं०) 1. जामाता 2. कार्तिकेय, – रत्नम् अत्यन्त सुंदरी कन्या - कन्यारत्नमयोनिजन्म भवतामास्ते -- महावी० ११३०, राशि: कन्याराशि --- बेविन् (पुं०) दामाद (जामाता ) - याश० ११२६२, शुरुकम् कन्या के मूल्य के रूप में कन्या के पिता को दिया गया घन, कन्या का क्रयमूल्य, - स्वयंवरः किसी कुमारी कन्या के द्वारा अपना पति चुनना, हरणम् कौमार्यभंग के विचार से किसी तरुणी कन्या को फुसलाना
मनु० ३।३३ |
कन्याका, कन्यिका [ कन्या + कन्+टाप्, इत्वं वा ] 1. तरुणी लड़की 2. कुमारी (अपरिणीता लड़की) । कन्यामय ( वि० ) [ कन्या - + मयट् ] कन्याओं वाला, कन्यास्वरूप रघु० ६ । ११, १६।८६, यम् अन्तःपुर ( जिसमें अधिकांश लड़कियाँ ही हों ) ।
कपट:, टम् [ के मूनि पट इव आच्छादकः ] जालसाजी, धोखादेही, चालाकी, प्रवंचना - कपटशतमयं क्षेत्रमप्रत्ययानाम्- - पंच० १।१९१, कपटानुसार कुशला -- मृच्छ० ९।५ । सम० - तापसः पाखण्डी संन्यासी, बनावटी साधु, पटु (वि०) धोखा देने में चतुर, छलपूर्ण - - छलयन् प्रजास्त्वमनृतेन कपटपटुरैन्द्रजालिकः - शि० १५/३५, प्रबन्धः छल से भरी हुई बाल - हि० १, - लेख्यम् जाली दस्तावेज, - वचनम् धोले की बात - वेश (वि० ) बनावटी भेस वाला नकाब - पोश ( - शः ) कपटवेशधारी । कपटिक: [ कपट + ठन् ] बदमाश, छलिया । कपदः, – कपर्दकः [ पर्व + क्विप्, बलोपः पर, कस्य गंगा
जलस्य परा पूरणेन दापयति शुध्यति - क +पर+दैप् क, कपर्द + कन् वा ] 1. कौड़ी 2. जटा (विशेषत: शिव का जटाजूट ) - गंगा० २२ ।
कर्पाका [ कपर्दक+टाप्, इत्वम् ] कौड़ी (जो सिक्के के रूप में प्रयुक्त होती है ) — मित्राण्यमित्रतां यान्ति यस्य न स्युः कर्पाद (र्द ) का:- पंच० २१९८ । कर्पादन (पुं० ) [ कपदं + इनि | शिव की उपाधि । कपाट:, - टम् [ कं वातं पाठयति तद्गति रुणद्धि-तारा०,
क + पट् + णिच् +अण्] 1. किवाड़ का फलक या दिला -- कपाटवृक्षाः परिणद्धकन्धरः - रघु० ३१३४, स्वर्गद्वारकपाटपाटनपटुर्धर्मोऽपि नोपार्जित:- भर्तृ० ३।११ 2. दरवाजा - शि० १११६० । सम० – उद्घाटनम् दरवाजा खोलना,- ध्मः सेंध लगाने वाला, चोर, - सन्धिः किवाड़ों के दिलों का जोड़ । कपाल:: -- लम् [ कं शिरो जलं वा पालयति-- क + पाल्
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