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कुथः,-यम,-था 1. छींट की बनी हाथी की झूल 2. दरी। । कुन्दमः [ कुन्द-1-मा+क] बिल्ली। कुद्यारः,-लः, लकः कु+द+णिच्+अण, पृयो०, कु+दल कुन्दिनी [ कुन्द ---इनि-डीप् ] कमलों का समूह ।
+णिच् ---अण् पृषो०, कुद्दाल- कन्] 1. कुदाली, कुन्दुः [कु-+-+डुबा० नुम् ] चहा, मूसा। खुर्पा 2. कांचन वृक्ष।
कुप् (दिवा० पर० --कुप्यति, कुपित) 1. क्रुद्ध होना (प्रायः कुपलम्-कुड्मलम् ।
उस व्यक्ति के लिए सम्प्र० जिस पर क्रोध किया कुजूर-गः [कुद्र+के-क नि० साधुः, कू+उत्- रञ्ज जाय, परन्तु कभी कभी कर्म० या संबं० भी प्रयुक्त होते
+घञ] 1. चौकी 2. मचान पर बना मकान । हैं) कुप्यन्ति हितवादिने- का० १०८, मालवि० ३। कुनकः [?] कौवा।
२१, उत्तर० ७, चुकोप तस्मै स भृशम्- रघु० ३।५६ कुन्तः [कु+उन्+क्त, बा० शाक० पररूपम्] 1. भाला, 2. उत्तेजित होना, सामर्थ्य ग्रहण करना प्रचंड होना,
पंखदार बाण, बर्ची-कुन्ताः प्रविशन्ति-काव्य० २ जैसा कि-दोषाः प्रकुप्यन्ति-- सुश्रु० अति-, क्रुद्ध (अर्थात्-कुन्तधारिणः पुरुषाः); विरहिनिकृन्तनकुन्त- होना, भट्टि० १५।५५, परि-, क्रुद्ध होना, प्र-, 1. क्रुद्ध मुखाकृतिकेतकिदन्तुरिताशे-गीत०१ 2. छोटा जन्तु, होना,-निमित्तमद्दिश्य हि यः प्रकृप्यति ध्रुवं स तस्याकीड़ा।
पगमे प्रसीदति--पंच० ११२८३, 2. उत्तेजित होना, कुन्तलः [कुन्तला -क] 1. सिर के बाल, बालों का गुच्छा, बल प्राप्त करना, बढ़ना (प्रेर०) उभारना, चिढ़ाना
-प्रतनुविरलैः प्रान्तोन्मीलन्मनोहरकुन्तलै:--उत्तर० खिझाना। श२०, चौर०४, ६, गीत०२ 2. कटोरा 3. हल,-लाः कुपिन्द-दे० कुर्विद । (ब० व०) एक देश तथा उसके निवासियों का नाम ।
कुपिनिन् (पु०) [ कुपिनी मत्स्यधानी अस्ति अस्य -- कुपिनी कुन्तयः ('कुंत' का ब०व०, ५०) एक देश और उसके
+इन् ] मछुवा। निवासियों का नाम ।
कुपिनी [ कुप+ इनिङीप् ] छोटी-छोटी मछलियां पकड़ने कुन्तिः [कम+झिच्] एक राजा का नाम, ऋथ का पुत्र । का एक प्रकार का जाल ।
सम०-भोजः एक यादव राजकुमार, कुन्तिदेश का | कुपूय (वि.) [कु+-पू-अच् ] घृणित, नीच, अधम, राजा, जिसने निस्सन्तान होने के कारण कुन्ती को तिरस्करणीय ।। गोद ले लिया था।
कुप्यम् [ गुप्- क्यप, कुत्वम् ] 1. अपधातु 2. चाँदी और कुन्ती कुन्ति--डीप्] 'शूर' नामक यादव की पुत्री पृथा सोने को छोड़ कर और कोई धातु-कि० ११३५,
जिसको कुंतिभोज ने गोद लिया। (यह पांडु की मनु० ७।९६, १०।११३ । पहली पत्नी थी, किसी शाप के कारण पांडु से संतान | कुबे (वे) र: [ कुत्सितं वे (वे) रं शरीरं यस्य सः ] धन न हुई, उसने इसी लिए कुंती को अनुमति दे दी कि दौलत और कोष का स्वामी, उत्तरदिशा का स्वामी वह दुर्वासा ऋषि से प्राप्त अपने मंत्र का प्रयोग करे --कुबेरगुप्तां दिशमुष्णरश्मौ गन्तुं प्रवृत्ते समयं विलंध्य जिसके द्वारा वह किसी भी देवता का आवाहन करके -कु० ३।२५ (इस पर मल्लि० की टीका के अनुसार) उससे पुत्र प्राप्त कर सकती है। फलतः उसने धर्म, [ कुबेर इडविडा में उत्पन्न विश्रवा का पुत्र है, और बायु और इन्द्र का आवाहन किया और उनसे क्रमश: इसीलिए यह रावण का आधा भाई है। धन और युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन को प्राप्त किया। वह उत्तर दिशा का स्वामी होने के अतिरिक्त यह यक्ष कर्ण की भी माता थी उसने अपनी कौमार्य अवस्था और किन्नरों का राजा तथा रुद्र का मित्र है, इसका में मंत्र का परीक्षण करने के लिए सूर्य का आवाहन वर्णन विकृत शरीर के रूप में पाया जाता है, इसके
किया और उसके संयोग से उसने कर्ण को प्राप्त किया) तीन टाँगे और आट दांत थे, और एक आँख के स्थान में कुन्थ् (भ्वा०-या० पर०–कुन्थति, कुथ्नाति, कूस्थित) एक पीला चिह्न था, अचलः,--अद्रिः कैलास पर्वन 1. कष्ट सहन करना 2. चिपकना 3. आलिंगन करना
की उपाधि, --दिश् (स्त्री०) उनर दिशा । 4. चोट पहुंचाना।
कब्ज (वि०) [कू ईपत् उजमाव यत्र शक० तारा०] कुन्द,-दम् [हु दै (दो)-1-क, नि. मुम्, या कु+दत्, कुबड़ा, कुटिल, --ब्ज: 1. मुड़ी हुई तलवार 2. पीठ पर
नम् चमेलो का एक भेद, मोतिया (सफेद और कोमल) निकला हुआ कुब, - ब्जा कस की एक सेविका, कहते कुन्दावदाताः कलहंसमाला:----भट्टि० २११८, प्रातः है कि उसका शरीर तीन स्थानों पर विकृत था (कृष्ण कुन्दप्रसवशिथिलं जीवितं धारयेथा:-मंघ० ११३, और बलराम ने, जब वह मथुग जा रहे थे राजमार्ग ---दम् इस पौधे का फूल-अलके बालकुन्दानुविद्धम् | पर कुब्जा को देखा, वह कंस के लिए उबटन ले जा --मेघ० ६५, ४७,--दः 1. विरणु की उपाधि रही थी। उन्होंने उसमें से कुछ उबटन मांगा, कुब्जा 2. खैराद। सम-करःखैरादी।
ने जितना बे चाहते थे, उबटन उनको दे दिया । कृष्ण
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