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( २२९ ) ही हो,-स्वस्ति, योवम -यदि ऐसा है 2. बिल्कुल । एष ( भ्वा० उभ०-एषति से, एषित ) 1. जाना, ऐसा ही (स्वीकृति रखते हुए)---एवं यदात्थ भगवान् पहुँचना 2. शीघ्रता से जाना, दौड़ कर जाना, परि-,
-कु० २।३१। सम०–अवस्थ (वि.) इस प्रकार | ढूंढ़ना । स्थित, या ऐसी परिस्थितियों में फंसा हुआ,-आदि, | एषणः [ए+ल्युट् ] लोहे का तीर,-णम् 1. ईडना 2. ----आध (वि०) ऐसा और इस प्रकार का,-कारम् कामना करना,-णा कामना, इच्छा। (अव्य०) इस रीति से,—गुण (वि.) ऐसे गुणों वाला एषणिका [ इष् + ल्युट् + कन्, टाप, इत्वम् ] सुनार का ---श० १३१२, प्रकार,--प्राय (वि.) इस प्रकार काँटा तोलने को तराजू । का--उत्तर० ५।२९ श० ७।२४,---भूत (वि.) इस | एषा [इष् +अ+टाप् ] इच्छा , कामना । प्रकार के गुणों का, ऐसा, इस ढंग का,-रूप (वि.) एषिन् (वि.) [ इष् + णिनि ] इच्छा करते हुए, कामना (वि०) इस प्रकार का, ऐसे रूप का,---विध (वि०) करते हुए (समास के अन्त में), -यौवन विषयैषिणाम इस प्रकार का, ऐसा।
रघु० १।८।
ऐः (पुं०) [ आ-+विच् ] शिव, (अव्य०) (क) / ऐकान्यिक: [ एकान्य+ठक् ] वह शिष्य जो वेद का
बुलाने (ख) स्मरण करने, या (ग) आमंत्रण को प्रकट | सस्वर पाठ करने में एक अशुद्धि करे। करने वाला विस्मयादि द्योतक चिह्न।
| ऐकार्थ्यम् [ एकार्थ-+-प्य ] 1. उद्देश्य या प्रयोजन की ऐकद्यम् (अव्य०) तुरन्त ।
समानता 2. अर्थो की संगति । ऐकध्यम् । एकवा+ध्यमुन (धास्थाने) ] समय या घटना ऐकाहिक (वि.) (स्त्री०-की) [एकाह+8 ] 1. की ऐकान्तिकता।
आह्निक 2. एक दिन का, उसी दिन का, दैनिक । ऐकपत्यम् [ एकपति+ल्य } परम प्रभुता, सर्वोपरि- ऐक्यम् । एक +ष्य ] 1. एकपना, एकता 2. एकमतता, शक्ति ।
3. समरूपता, समता 4. विशेष कर मानव आत्मा ऐकपविक (वि०) (स्त्री०—की) [ एकपद-+ठम् ] एक की समरूपता, या विश्व की परमात्मा से एकरूपता । पद से संबंध रखने वाला।
ऐशव (स्त्री०-वी) |इक्षु+अण्] गन्ने से बना या उत्पन्न, ऐकपद्यम् [ एक पद+व्या ] 1. शब्दों की एकता --यम् 1. चीनी 2, मादक शराब ।। 2. एक शब्द बनना।
ऐक्षव्य (वि०) [ इक्षु ण्यत् ] गन्ने से बना पदार्थ । ऐकमत्यम् [ एकमत +व्यञ ] एकमतता, सहमति-रघु० ऐक्षक (वि०) [ इक्षु+ठा J1. गन्न के लिए उपयुक्त १८६३६।
2. गन्ने वाला,-क: गन्ने ले जाने वाला। ऐकागारिक: [एकागार+ठक चोर,-केनचित्त हस्तवतै- ऐक्षभारिक (वि०) [ इक्षुभार+ठक गन्न का बोझा
कागारिकेण--दश० ६७, शि० १९।१११ 2. एक घर ढोन बाला। का मालिका
ऐक्ष्वाक (वि.) [ इक्ष्वाकुन-अ] ३६वाकु से संबंध रखने एकाग्यम् [एकाग्र नव्या । एक ही पदार्थ पर जुट __ वाला,---कः, कुः 1. इक्ष्वाकु को सन्तान,-सत्यमैश्वाक: जाना, एकाग्रता।
खल्वसि-उत्तर० ५. २. इक्ष्वाकु वंश के लोगों द्वारा ऐकाङ्गः [एकाङ्ग-अण्] शरीर रक्षक दल का एक शासित देश। सिपाही-राजत० ५।२४९ ।।
ऐअगुव (वि०) | स्त्री०--दो ] [ इङगुदी+अण् | इंगुली ऐकात्म्यम् [एकात्मन्-व्यञ | 1. एकता, आत्मा की वृक्ष से उत्पन्न,- दम् इंगुदी वृक्ष का फल ।
एकता 2. समरूपता, समता 3. परमात्मा के साथ । | ऐच्छिक (वि०) (स्त्री० की) 1. इच्छा पर निर्भर, एकता या तादात्म्य ।
इच्छापरक 2. मनमाना।। ऐकाधिकरण्यम् [ एकाधिकरण- प्य ] 1. संबंव की ऐडक (वि०) (स्त्री०-को) भेड़ का,-क: भेड़ की एक
एकता 2. एकही विषय में व्याप्ति, (तर्क० में)-सह | जाति । विस्तति, साव्येन हेतोरैकाधिकरण्यं व्याप्तिरुच्यते ऐड (ल) विडः (लः) [ इडविडा+अण् पक्षे डलयोर-भाषा०६९।
भेदः ] कुबेर । ऐकान्तिक (वि०) (स्त्री०--को) 1. पूर्ण, समग्र, पूरा | ऐण (वि.) (स्त्री---णो) बारहसिंघा हरिण की (त्वचा, 2. विश्वस्त, निश्चित 3. अनन्य ।
ऊन आदि) याज्ञ० १२५९ ।
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