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अहिण्डिक: [आहिंड + ठक्] निषाद पिता और वैदेही माता से उत्पन्न वर्णसंकर, आहिडिको निषादेन वैदेह्यामेव जायते - मनु० १०|३७ ।
आहित (भू० क० कृ०) [आ + धा + क्त ] 1. स्थापित, जड़ा गया, जमा किया गया ( धरोहर के रूप में रक्खा गया) 2. अनुभूत सत्कृत 3. सम्पन्न किया गया । सम० – अग्निः ब्राह्मण जो यज्ञ की पावन अग्नि को अभिमंत्रित करता है, - अंक (वि०) चिह्नित, चित्तीदार, लक्षण ( वि० ) परिचायक चिह्न वाला,
- ककुत्स्थ इत्याहितलक्षणोऽभूत् - रघु० ६।७१ (मल्लि० के अनुसार अच्छे गुणों के कारण प्रख्यात्) । regore: [ अहितुण्डेन दीव्यति ठक् ] बाजीगर, सपेरा, ऐन्द्रजालिक या जादूगर - अहं खल्वाहितुण्डिको जीर्णविषो नाममुद्रा० २ ।
आहुति: ( स्त्री० ) [ आ + हु + क्तिन् ] 1. किसी देवता को आहुति देना, पुण्यकृत्यों के उपलक्ष्य में किये जाने वाले यज्ञों में हवनसामग्री हवन कुंड में डालना - होतुराहुतिसाधनम् - रघु० ११८२, 2. किसी देवता को उद्दिष्ट करके दी गई आहुति ( हवनसामग्री ) । आहुति: (स्त्री० ) [ आ + ह्वे + क्तिन् ] चुनौती, ललकार, आह्वान |
आहे (वि० ) [ अहि + ढक् ] साँपों से संबंध रखने वाला -पंच० १।१११ ।
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आहो ( अव्य० ) निम्नांकित भावनाओं को व्यक्त करने वाला विस्मयादि द्योतक अव्यय, ( क ) सन्देह या विकल्प, प्रायः 'किम्' का सहसंबंधी - कि वैखानसं व्रतं निषेवितव्यम् आहो निवत्स्यति समं हरिणांगनाभिः - ० ११२७, दारत्यागी भवाम्याहो परस्त्रीस्पर्शपांसुलः–श० ५।२६ (ख) प्रश्नवाचकता - 1 सम० - पुरुषिका 1. अत्यधिक अहंमन्यता या घमंड - आहोपुरुषिका दर्पाद्या स्यात्संभावनात्मनि -- अमर०, आहोपुरुषिकां पश्य मम सद्रत्नकान्तिभिः -भट्टि० ५।२७, 2. सैनिक आत्मश्लाघा, शेखी बघारना 3. अपने पराक्रम की डींग मारना - निजभुजबलाहोपुरुषिकाम् - भामि० ११८४, स्वित् ( अव्य० ) 'संदेह' 'संभावना' 'संभाव्यता' आदि भावनाओं को प्रकट करने वाला अव्यय ( 'किम्' का सहसंबंधी )
[ अ + इञ् ] कामदेव (अव्य० ) (क) क्रोध (ख) पुकार (ग) करुणा (च) झिड़की तथा (ङ) आश्चर्य
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- आहोस्वित्प्रसवो ममापचरितैर्विष्टम्भितो वीरुधाम् - श० ५०९, किं द्विजः पचति आहोस्विद् गच्छति - सिद्धा० ।
आह्नम् [अह्नां समूहः – अञ] दिनों का समूह, बहुत दिन । आह्निक ( वि० ) ( स्त्री० की ) [ अनि भवः, अह्ना
निर्वृत्तः साध्यः ठञ ] 1. दैनिक, प्रति दिन का, प्रति दिन किया गया, दिन भर किया गया धार्मिक संस्कार या कर्तव्य जो प्रति दिन नियत समय पर किया जाने वाला है, प्रतिदिन किया जाने वाला कार्य, जैसे कि भोजन करना, स्नान करना आदि - कृताह्निकः संवृत्तः - विक्रम० ४, 2. दैनिक भोजन 3. दैनिक कार्य या व्यवसाय । आह्लादः [ आ + ह्लाद्+घञ ] खुशी, हर्ष - साह्लादं वचनम् - पंच० ४ ।
आह्लावनम् [ आ + ह्लाद् + ल्युट् ] प्रसन्न करना, खुश
करना ।
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आ
(वि० ) [ आ + ह्वे +ड ] 1. जो पुकारता है, बुलाता है, बुलाने वाला-ह्वा [ आ + ह्वे + अ+ टाप् ] 1. बुलाना, पुकारना 2. नाम, अभिधान ( प्राय: समास के अन्त में ) - अमृताह्नः, शताह्नः, आदि । आह्वयः [ आ + + श- बा०] - 1. नाम, अभिधान ( समास का अन्तिम पद ) काव्यं रामायणाह्वयम् -- रामा० 2. एक कानूनी अभियोग जो मुर्गो की लड़ाई जैसे पशु-खेलों में होने वाले झगड़ों से पैदा हो ( कानून के १८ नामों में से एक) - पणपूर्वक पक्षिमेषादियोधनं आह्वयः -- मनु० ८।७ पर राघवानन्द की व्याख्या ।
आह्वयनम् [ आ + + णिच् + ल्युट् ] नाम, अभिधान । आह्वानम् [ आ + + ल्युट् ] 1. ललकार, आमन्त्रण 2.
बुलावा, निमन्त्रण, आमन्त्रित करना, सुहृदाह्वानं प्रकुर्वीत - पंच० ३०४७, 3. कानूनी आमंत्रण ( कचहरी या सरकार से किसी न्यायाधिकरण के सन्मुख उपस्थित होने के लिये बुलावा ) 4. देवता का संबोधन - मनु० ९।१२६, 5. चुनौती 6. नाम, अभिधान । आह्वाय: [ आ + ह्वे +घञ ] 1. बुलावा 2. नाम । आह्नायकः [ आ + ह्वे + ण्वुल् ] 1. दूत, संदेशवाहक - आह्वायकान् भूमिपतेरयोष्याम् - भट्टि० २।४३
की भावना को प्रकट करने वाला विस्मयादिद्योतक
अव्यय ।
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