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( १३२ ) या कहानी के आरंभ में या तो केवल "अनपूरक" अर्थ का ढांचा, कंकाल, प्रक्षेपः मतक की हड्डियों को में प्रयुक्त होता है, अथवा 'अतः यह है कि' अर्थ गंगा या किसी अन्य पवित्र जल म प्रवाहित करना, को प्रकट करता है-अस्ति सिंहः प्रतिवसति स्म-पंच० - : भक्षः,-भक हड्डियों को खाने बाला, कुत्ता ४। सम०—कायः वर्ग या अवस्था (जैन मतानुसार) --भंगः हड्डी का टूट जाना,- माला 1. हड्डियों का
-नास्ति (अव्य०) सन्दिग्ध, आंशिक रूप से सत्य । हार 2. हड़ियों की पंक्ति,-मालिन् (पुं०) शिव,-शेष अस्तित्वम् अस्तित्व ] सत्ता, विद्यमानता ।
(वि.) ठठरी मात्र, संचयः 1. शवदाह के पश्चात् अस्तेयम् [ न० त०] चोरी न करना ।
उसकी हड्डियों और भस्मावशेष को एकत्र करना, अस्त्यानम् [न० त०] झिड़की, कलंक ।
2. हड्डियों का ढेर,-संधिः जोड़, जोड़बन्दी,-समअस्त्रम् [ अस्-|-ष्ट्रन् ] 1. फेंक कर चलाया जाने वाला
पणम मतक की अस्थियों को गंगा या किसी अन्य पवित्र हथियार, प्रयुक्तमप्यस्त्रमितो वृथा स्यात्-रघु०
जल में प्रवाहित करना, स्थूणः हड्डियों को स्तम्भ २।३४, प्रत्याहतास्त्री गिरिशप्रभावात्-१४१, ३।५८,
के रूप में धारण करने वाला, शरीर। अशिक्षतास्त्रं पितुरेव-रघु० ३।३१, आयधविज्ञान 2. अस्थितिः (स्त्री०) [ न० त०] 1. दृढ़ता या जमाव का तीर, तलवार 3. धनुष। सम०----अ (आ) गारम्
अभाव (आलं. भी) 2. मर्यादा या शिष्ट व्यवहार शस्त्रशाला, तोपखाना, आयुधागार--आधातः व्रण,
का अभाव। घाव,—कंटकः तीर,-कारः,-कारकः, -कारिन हथि- | अस्थिर (वि०) [न० त०] जो स्थिर या दढ़ न हो, यार बनाने वाला,-चिकित्सकः चीरफाड़ या शल्य क्रिया डावाँडोल, चंचल । करने वाला, जहि.-चिकित्सा चीरफाड़ या शल्य क्रिया, | अस्पर्शनम [ न० त०] संपर्क का न होना, (किसी चीज जरीही,-जीव:-जीविन (पुं०)-धारिन (पं0) सैनिक, के) स्पर्श को टालना-प्रक्षालनाद्धि पङ्कस्य दूरादयोद्धा,—निवारणम् हथियार के वार को रोकना,-मंत्रः स्पर्शनम् वरम् - तु० 'इलाज से बचाव अच्छा। अस्त्रचालन या प्रत्याहरण के समय पढ़ा जाने वाला | अस्पष्ट (वि.) | न० त०] 1. जो स्पष्ट न हो, स्पष्ट रूप मंत्र, ---मार्जः,-मार्जकः सिकलीगर,- युद्धम हथियारों से दिखाई न देता हो 2. धुंधला, जो साफ समझ में से लड़ना,-लाघवम् अस्त्रधारण या चालन में कुशलता, न आवे,संदिग्ध ---अस्पष्ट ब्रह्मलिङ्गानि वेदान्तवाक्यानि -विद् (वि०) आयुध विज्ञान में दक्ष,-विद्या,-शास्त्रम, --शारी०। --वेदः अस्त्रचालन विज्ञान या कला, आयुधविज्ञान, अस्पृश्य (वि.) न० त०] 1. जो छने के योग्य' न हो ...-वृष्टिः (स्त्री०) अस्त्रों की बौछार, - शिक्षा सैनिक 2. अशुचि, अपावन ।।
अभ्यास, अस्त्र चालन व प्रत्याहरण की शिक्षा। अस्फुट (वि०) | न० त०] दुरूह, अस्पष्ट, टम् दुर्बोध अस्त्रिन् (वि०) [ अस्त्र-इन् ] अस्त्र से युद्ध करने वाला, भाषण। सम-फलम् धुंधला या दुरूह परिणाम, धनुर्धारी।
--चाच (वि०) तुतला कर बोलने वाला, अस्पष्टअस्त्री [न० त०] 1. जो स्त्री न हो 2. (व्या० में) पुल्लिङ्ग
भाषी। और नपुंसक लिंग।
अस्मद् (सर्व०) [अस - मदिक ] सर्वनामविषयक प्रातिअस्थान (वि.) [ न० ब० ] बहुत गहरा,-नम् [ न० त०] पदिक जिससे कि उत्तमपुरुषसंबंधी पुरुषवाचक
1. बुरा स्थान, 2. अनुचित स्थान, पदार्थ या अवसर । सर्वनाम के अनेक रूप बनते हैं, यह अपा० का ब० अस्थाने (अव्य०) बिना ऋतु के, उपयुक्त स्थान से व० का रूप भी है,-पुं० प्रत्यगात्मा, जीवात्मा। सम०
बाहर, बिना अवसर के, गलत जगह पर, अयोग्य वस्तु -विध, अस्मादृश (वि०) हमारे समान या हम पर-अस्थाने महानर्थोत्सर्गः क्रियते - मुद्रा० ३ ।
जैसा। अस्थावर (वि.) [न० त०] 1, चर, जंगम, अस्थिर 2. | अस्मदीय (वि०) [ अस्मद्-+-छ ] हमारा, हम सब का,
(विधि में) निजी चल वस्तु जैसे कि संपत्ति, पशु, | ----यदस्मदीयं न हि तत्परेषाम्-पंच० २।१०५, धन आदि (-जंगम)।
भग० १२।२६। अस्थि (नपुं०) [अस्यते-अस्+थिन ] 1. हड्डी । अरमार्त (वि.) [न० त०] 1. जो स्मृति के भीतर न
(कई समस्त पदों के अंत में बदल कर 'अस्थ' रह | हो, स्मरणातीत 2. अवैध, आर्य-धर्मशास्त्रों के विपरीत जाता है-दे० अनस्थ, पुरुषास्थ) 2. फल की गिरी 3. स्मार्त संप्रदाय से संबंध न रखने वाला। या गुठली—न कापसास्थि न तुषान् —मन० ४१७८। अस्मि (अव्य०) [ अस्+मिन् ] ('अस्'—होना धातु का सम-कृत-- तेजस् (पुं०),---संभवः,-सारः, वर्तमान काल, उत्तम पुरुष, एक वचन) मै---अहम् ; -----स्नेहः चर्बी, वसा,--ज: 1. चर्बी, 2. वज्र,-तुण्डः -आसंसृतेरस्मि जगत्सु जात:-कि० ३१६, अन्यत्र युयं एक पक्षी,-धन्वन् (पुं०) शिव,-पंजरः हड्डियों कुसुमावचायं कुरुध्वमत्रास्मि करोमि सख्य:-काव्य०३।
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