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( १४० )
आगम:--मद्रा० १, श० ६, विद्यागमनिमित्तम् । मिका ज्ञेया बुद्धिस्तत्कालदर्शिनी-हैम० 2. आसन्न, --विक्रम० ५, 3. जन्म, मूल, उत्पत्ति-आगमा- आने वाला। पायिनोऽनित्यास्तास्तितिक्षस्व भारत-भग० २११४, आगामुक (वि०) [ आ+ गम्+उका ] 1. आने वाला, 4. संकलन, संचय ( धनका ) अर्थ, धन आदि 5. | 2. पहुंचने वाला 3. भावी। प्रवाह, जलमार्ग, धारा (पानी की) रक्त, फेन | आगारम् [ आगमृच्छति-ऋ+अण्] घर, आवास । 6. बीजक या प्रमाणक-दे० अनागम 7. ज्ञान सम०-दाहः घर को आग लगा देना, दाहिन -- शिष्यप्रदेयागमाः-भर्तृ० २।१५ प्रज्ञया सदृशागमः, (वि०) घर फूंक व्यक्ति, गृहदाहक (बम आदि), आगमः सदृशारम्भः--रघु० १।१५ 8. आय, राजस्व --धुमः किसी घर से निकलने वाला धूआँ। 9. किसी वस्तु का वैध अधिग्रहण-आगमेऽपि बलं आगर (स्त्री.) [ आ-गुरु-+श्विप् ] स्वीकृति, सहमति, नैव भक्तिः स्तोकापि यत्र नो-याज्ञ० २१ २७ 10. प्रतिज्ञा। संपत्ति की वृद्धि, 11. परंपरागत सिद्धांत या उपदेश, । आगु (गू) रणम् [ आ+गुर् + ल्युट ] गुप्त सुझाव । धार्मिक लेख, धर्मग्रन्थ, शास्त्र अनुमानेन न चागमः ! आगः (स्त्री०) सहमति, प्रतिज्ञा। क्षत:-कि० २१ २८, परिशुद्ध आगमः-३३, 12. | आग्निक (वि.) (स्त्री० -की) [अग्नेरिदं बा०-ठक] शास्त्राध्ययन, वेदाध्ययन 13. विज्ञान, दर्शन,--बहधा- : अग्नि से संबंध रखने वाला, यज्ञाग्नि से संबद्ध। प्यागमैभिन्नाः पन्थानः सिद्धिहेतवः-- रघु० १०॥ २६, | आग्नीध्रम् अग्निमिन्धे अग्नीत्, तस्य शरणम्, रण भत्वान्न 14. वेद, धर्मग्रन्थ - न्यायनिर्णोतसारत्वान्निरपेक्षमिवा- जश् -तारा०, यज्ञाग्नि जलाने का स्थान, हवनकुंड, गमे--कि० ११॥ ३९ 15. चार प्रकार के प्रमाणों में --ध्रः यज्ञाग्नि जलाने वाला पुरोहित । से अन्तिम जिसे नैयायिक 'शब्द' या 'आप्तवाक्य' कहते
ब्द या आप्तवाक्य कहत | आग्नेय (वि.) (स्त्री....यो) 1. आग से संबंध रखने है ('वेद' ही ऐसे प्रमाण समझे जाते है) 16. उपसर्ग
वाला, प्रचंड 2. अग्नि को अर्पित,--- यः 1. स्कंद या या प्रत्यय 17. (शब्द साधन में) वर्ग की वृद्धि या
कार्तिकेय की उपाधि 2. दक्षिण-पूर्वी (आग्नेय कोण) अन्तःक्षेप 18. वद्धिइडागमः 19. सिद्धान्त का ज्ञान
दिशा,-यम् 1. कृतिका नक्षत्र 2. सोन। 3. रुधिर (विप० प्रयोग)। समनीत (वि.) अधीत,
4. घी 5. आग्नेयास्त्र । पठित, परीक्षित, वृद्ध (वि०) ज्ञान में बढ़ा हुआ . आग्रभोजनिकः अग्रभोजनं नियतं दीयते अस्मै_टक | भोज बहुत विद्वान् पुरुप --प्रतीप इत्यागमवद्धसेवी-घ०
में सर्वप्रथम या सबसे आगे आसन ग्रहण करने का ६।४१,....वेदिन (वि.) 1. वेदों को जानने वाला !
अधिकारो ब्राह्मण। 2. शास्त्रनिष्णात - सापेक्ष (वि०) प्रमाणकतापेक्षी, | आग्नयणः [अग्रे अयनं शस्यादेर्यन कर्मणा पो० हस्व दीर्घ प्रमाणक से सथित।
व्यत्ययः | अग्निष्टोम याग में सोम की प्रथम आहति, आगमनम् [आ+गम् --ल्युट ] 1. आना, उपागमन, —णम् वर्षा ऋतु के अन्त में नये अन्न तथा फलादिक
पहुँचना-रधु० १२। २४, 2. लौटना 3. अधिग्रहण से युक्त हवि।
4. मैथनेच्छा के लिए किसी स्त्री के पास पहुँचना। | आग्रहः [आ+ग्रह - अच्] 1. पकड़ना, ग्रहण करना 2. आगमिन, आगामिन् (वि०) [आगम् --णिनि, वा ह्रस्वः ] आक्रमण 3. दृढ़ संकल्प, दृढभक्ति, दृढ़ता... चले पि
1. आने वाला, भावी 2. आसन्न, पहुँचने वाला। काकस्य पदार्पणाग्रहः ---नै०, कु० ५।७ पर मल्लि०, आगस् (नपुं०) [इ+असुन्, आगादेशः | 1. दोप, अप- | 4. कृपा, संरक्षण ।
हिप्प शतमागास सूनास्त शत आग्रहायणः |अग्रहायण-+-अण] मार्गशोपं का महीना, यत्त्वया-शि० २। १०८ द्वौ रिपू मम मतो समागसौ --णी 1 मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा 2. मृगशिरस् ----रघु० ११॥ ७४, कृतागा:--मुद्रा० ३। ११ 2.
नाम का नक्षत्र-पंज। पाप। सम० –कृत (वि०) अपराध करने वाला,
आग्रहायण (णि) कः [आग्रहायणी पौर्णमास्यस्मिन् मासे अपराधो, जुर्म करने वाला-अभ्यर्णमागस्कृतमस्पृशद्भिः --ठक मार्गशीर्ष का महीना । --रघु० २-३२ ।
आग्रहारिक (वि०) (स्त्री०-को) अग्रहार (याह्मणों को आगस्ती [अगस्त्यस्य इयम्, अण्-- यलोपः] दक्षिण दिशा । दान में दी जाने वाली भूमि) प्राप्त करने का अधिआगस्त्य (वि.) अगस्त्यस्येदम्, यत्र –पलोपः] दक्षिणी।। कारी ब्राह्मण । आगाध (वि०) [ अगाध एव स्वार्थे अण् ] बहुत गहरा, | आघट्टना [आ+घट्ट ---णिच् +---टाप्] 1. हिलनाअथाह, (आलं० भी)।
दुलना, काँपना, किसी से रगड़ना... रणद्धिराघट्टनया आगामिक (वि.) (स्त्रो०-को) [ आगाम+ठक् | 1. नमस्वत:--गि० १.१० 2. घर्षण, रगड़।
भविष्यकाल से सम्बन्ध रखने वाला -मतिरागा- | आघर्षः,-र्षणम् [आ+धूप-घज, ल्युट वा मालिश
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