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5. कंजूस--विभवे सति नैवात्ति न ददाति जुहोति न, सूचना देने काला,-क: 1. दूत, हरकारा--आख्यायतमाहुराखुम—। सम०. उत्करः वल्मीक, बमी,-उत्थ केभ्यः श्रुतसूनवत्तिःभटि० २।४४, 2. अग्रदूत, (वि०) चूहों से उत्पन्न (--स्थम्) चूहों का निकलना, संदेशवाहक। चहो का समूह;-- गः,-पत्रः,—रथः,-वाहनः गणेश | आख्यायिका [ आख्यायक+टाप् इत्वम् ] 'गद्य' रचना का जिसका वाहन चहा है,-घातः शूद्र, नीचजाति का नमूना , सुसंगत कहानी,-आख्यायिका कथावपुरुष, (शा०) चूहों को पकड़ने और मारने वाला, त्स्यात्कवेर्वशादिकीर्तनम्, अस्यामन्यकवीनां च वृतं गद्यं चहड़ा,-पाषाणः चुम्बक पत्थर,-भुज,- भुजः क्वचित् क्वचित्, कथांशानां व्यवच्छेद आश्वास इति बिल्ला,।
बध्यते । आर्यावक्त्रापवक्त्राणां छन्दसां येन केनचित् । आखेट: । आखिट्यन्ते त्रास्यन्ते प्राणिनोत्र-आखिट+ अन्यापदेशेनाश्वासमखे भाव्यर्थसूचनम्-----सा० द०
धन तारा 1 शिकार करना, पीछा करना। सम० ५६८, (साहित्य शास्त्र के लेखक 'गद्यरचना' को -~-शीर्षकम् 1. चिकना फर्श 2. खान, गफा।
प्रायः दो (कथा और आख्यायिका) भागों में बाँटते आखेटक (वि०) [आखेट-कन् | शिकार करने वाला हैं, वह बाण के हर्षचरित को 'आख्यायिका' तथा -क: शिकारी,--कम् शिकार।
कादम्बरी को 'कथा' के नाम से पुकारते हैं। आखेटिकः [ आखेटे कुशल;-- ठक् ] 1. शिकारी 2. शिकारी दण्डी इस प्रकार के भेद को स्वीकार नहीं करता कुत्ता।
-काव्या० ११२८-तत्कथाख्यायिकेत्येका जातिः आखोटः [ आखः खनित्रमिव उटानि पर्णानि अस्य-ब० संज्ञाद्वयांकिता ॥ स० ) अखरोट का वृक्ष।
आख्यायिन् (वि०) [आ+ख्या--णिनि ] जो व्यक्ति आख्या [ आख्यायतेऽनया - आख्या+अड] 1. नाम, कहता है, सूचना या समाचार देता है - रहस्याख्यायीव
अभिधान—कि वा शकुन्तलेत्यस्य मातुराख्या-श० । स्वनसि मदुकर्णान्तिकचर:--श० ॥२४॥ ७१७, ३३, पश्चादुमाख्या सुमुखी जगाम- कु० २६, | आख्येय (स० कृ०) [ आ-+-ख्या | यत् ] कहने या समातदाख्यया भुवि पप्रथे- रघु०१५।१०१; बहुधा समास चार देने के योग्य, शब्द शब्दों में कहने के योग्य, के अन्त में जब प्रयुक्त होता है तो इसका अर्थ होता न मौलिक संदेश मेघ० १०३।। है 'नामक' या 'नाम वाला'-अथ किमाख्यस्य राजर्षेः | आगतिः (स्त्री०) [आ+गम-क्तिन् ] 1. पहुंचना,
सा धर्मपत्नी श०७. रघवंशाख्यं काव्यम् आदि । आगमन-लोकस्यास्य गतागतिम्-रामा०, इति आख्यात (भू० क० कृ०) [आ+ख्या+क्त ] 1. कहा निश्चित प्रियतमागतय: शि० ९१४३ 2. अधिग्रहण
हुआ. बताया हुआ, घोषणा किया हुआ 2. गिना 3. वापसी 4. उद्गम । हुआ, पाठ किया हुआ, जतलाया हुआ 4. नामपद या आगन्तु (वि.) [आ+गम्+तुन् ] 1. आने वाला, क्रियापद,–तम् क्रिया, भावप्रधानमाख्यातम्-नि०, पहुँचनेवाला, 2. भटका हआ, 3. बाहर से आने वाला, धात्वर्थेन विशिष्टस्य विधेयत्वेन बोधने, समर्थः स्वार्थ- बाह्य (कारण आदि) 4. नैमित्तिक, आनुषंगिक, आक यत्नस्य शब्दो वाख्यातमुच्यते ॥
स्मिक,—तुः नवागंतुक, अजनवी, अतिथि। सम० आख्यातिः (स्त्री०) [आ-+-ख्या -क्तिन् ] 1. कहना, | -ज (वि.) आनुषंगिक रूप से या अकस्मात् उत्पन्न समाचार, प्रकाशन 2. यश 3. नाम ।
होने वाला। आख्यानम् [आ+ख्या+ल्यट] 1. बोलना, घोषणा | आगन्तुक (वि.) (स्त्री०--का,- को) 1. अपनी इच्छा
करना, जतलाना, समाचार 2. किसी पुरानी कहानी से आने वाला, बिना बुलाये आने वाला...आगन्तुका की ओर निर्देश करना-आख्यानं पूर्ववत्तोक्तिः - सा० वयम्--धूर्त० 2. भूला-भटका (जैसे कि जानबर) द० (उदा० ...-देशः सोऽयमरातिशोणितजलैयस्मिन् -~-याज्ञ०२।१६३ 3. आनुषंगिक आकस्मिक, नैमिह्रदाः पूरिता:-बेणी० ३।३१) 3. कथा, कहानी त्तिक -..-इत्यागन्तुका विकारा:-आश्व. 4. प्रक्षिप्त, विशेषरूप से काल्पनिक या पौराणिक, उपाख्यान क्षेपक (पाठ)--अत्र गन्धवद्गन्धमादनमित्यागन्तुकः -----अप्सरा: पुरूरवसं चकम इत्याख्यानविद आचक्षते पाठ:- मल्लि० कु०६।४६ पर,-क: 1. अन्तःक्षेपक,
-मा० २, मनु०३।२२३, 4. उत्तर-प्रश्नाख्यानयोः हस्तक्षेपक 2. अजनवी, अतिथि, नवागंतुक । पा० ८।२।१०५ 5. भेदक धर्म।
आगमः [आ+ गम् । घञ ] 1. आना, पहुंचना, दर्शन आख्यानकम् [आख्यान+कन ] कथा, छोटी पौराणिक देना---लतायां पूर्वलनायां प्रसूनस्यागमः कुतः-उत्तर०
कहानी, कथानकः; -आख्यानकाख्यायिकेतिहासपुरा- ५२०, अव्यक्ताद् व्यक्तयः सर्वाः प्रभवन्त्यहरागमे, णाकर्णनेन—का०७।
रात्र्यागमे प्रलीयन्ते-भग०८११८, रघु० १४। ८०, आख्यायक (वि०) [आ+ख्या+वुल ] कहने वाला, ' पंच० ३। ४८, 2. अधिग्रहण--एषोऽस्या मुद्राया
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