Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
View full book text
________________
541
543
544
544
544
545
बुध द्वारा अन्य ग्रहों के भेदन का फल कृत्तिका नक्षत्र में लालवर्ण के बुध का फल विशाखा में विवर्ण बुध का फल मासोदित बुध का अनुराधा में फल विकृत वर्ण के बुध का श्रवण नक्षत्र में रहने का फल दक्षिण मार्ग में बुध द्वारा नक्षत्र अस्त का फल ज्येष्ठा और स्वाति में बुध के रहने का फल शुक्र के सम्मुख बुध के रहने का फल विवर्ण और अशुभ आकृति के बुध का दक्षिण मार्ग का फल बुध के उदय का विशेष फल पाराशर के अनुसार बुध का फ्लादेश देवल के मत से फलादेश
545
545 546
548
549
551
उन्नीसवाँ अध्याय
552-565
552
552
552
553 553 554
मंगल के चार, प्रवासादि के कथन की प्रतिज्ञा मंगल के चार और प्रवास की समय गणना मंगल के शुभ और अशुभ का विचार प्रजापति मंगल का कथन ताम्रवर्ण के मंगल का फल रोहिणी नक्षत्र पर मंगल की कुचेष्टा का वर्णन दक्षिण मंगल के सभी द्वारों के अवलोकन का फल मंगल का पाँच प्रधान वक्र उष्ण वक्र का स्वरूप और फल शोषमुख वक्र का स्वरूप और फल व्याल वक्र का स्वरूप और फल लोहित वक्र का स्वरूप और फल लोहमुद्गर व्रका का स्वरूप और फल
554
555
555
556
557
557
558