Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 13 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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trafer टीका श० १८ ७० ७ सू० २ उपध्यादिस्वरूपनिरूपणम् न्द्रियाणां कतिविध उपधिस्तत्राह - 'एगिंदियाणं' इत्यादि । 'एगिंदियाणं दुविहे उवही पन्नत्ते' एकेन्द्रियाणां द्विविध उपधिः प्रज्ञप्तः 'तं जहा ' तद्यथा 'कम्मोवही य सरोवही य' कर्मोपधिश्च शरीरोपधिश्च कर्मशरीरोभयरूप एव उपधिरे केन्द्रिजीवानाम् तदन्येषां तु त्रिविधोऽपीति । 'कविदे णं भंते ! उबही पन्नते' कतिविधः खलु भदन्त ! उपधिः प्रज्ञप्तः इति मनः, भगवानाह - 'गोयमा ' इत्यादि । 'गोयमा' हे गौतम ! 'तिविहे उबही पन्नत्ते' त्रिविध उपधिः प्रज्ञप्तः 'त' जा ' तथा 'सचित्ते अचित्ते मीसए' सचित्तः अचित्तः, मिश्रकः ' एवं नेरइयाणं वि' एवं नैरयिकाणामपि आलापमकारश्चेत्थम् 'नेरइयाणं भंते ! कइ विदे उही पन्नत्ते ? गोयमा ! तिविहे त जहा सचिते अचिते मीसए' नैरयिकाणां खलु
दो ही उपधि होती हैं। जैसा कि 'एगिंदियाणं दुविहे उबही पन्नते० ' इस सूत्र द्वारा कहा गया है । अब गौतम पुनः उपधि के प्रकार के विषय में प्रभु से पूछते हैं - 'कविहे णं भंते ! उबही पन्नन्ते' हे भदन्त ! उपधि कितने प्रकार की कही गई है। इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं - 'गोयमा० ' हे गौतम ! उपधि पुनः प्रकारान्तर से ३ प्रकार की कही गई है । 'तं जहा सचित्ते० ' एक सचित्त उपधि, अचित्त उपधि और मिश्र उपधि 'नेरइयाणं भंते !' हे भदन्त । इन ३ प्रकार की उपधियों में से नैरयिकों में कितनी उपधियां होती हैं ? तो इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं- 'एवं नेरइयाणं वि' हे गौतम ! नैरथिकों में सचित्त, अचित्त और मिश्र ये तीनों ही प्रकार की उपधियां होती हैं। यहां आलाप प्रकार ऐसा है'नेरइयाणं भंते! कहविहे उबही पन्नत्ते गोयमा । तिविहे तं जहा
તેઓને શરીરાધિ અને કર્માધિ એ બે જ ઉપષિ હાય છે. જેમ કે"एगिंदियाणं दुवि उवही पन्नत्ते० " मा सूत्रांशथी हेवामां आव्यु छे. इरीथी गौतम स्वामी अभुने उपधिना प्राशना विषयभां पूछे छे ! - “कइविहे णं भंते! उबही ० " हे भगवन् उपधि डेंटला अारनी अवामां भावी छे ! तेना उत्तरमा अनु उहे छे हैव " गोयमा !” हे गौतम! प्रारांतस्थी उपधि त्र अारनी वामां भावी छे. "तं जहा सचित्ते० " मे सथित्त, उपधि व्ययित्त उपधि भने मिश्र उपधि, "नेरइयाणं भंते० !" हे भगवान् मा ત્રણ પ્રકારની ઉપષિયા પૈકી નારિયેક જીવોને કેટલી ઉપષિચે હાય છે? આ या प्रश्नना उत्तरमां अलु उडे छे - "एवं नेरइयाणं वि' हे गौतम! नैरयिङ જીવામાં સચિત્ત, અચિત્ત, અને મિશ્ર એ ત્રણે પ્રકારની ઉપધિ ડ્રાય છે. तेना यासायनी प्रहार या अमाले छे. - "नेरइयाणं भंते! कइविद्दे उवही
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૩