Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 13 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका श०१९ उ०८ सू०१ जीवनिवृत्तिनिरूपणम् ४४३ कतिविधा खलु भदन्त ! 'अन्नाणनिबत्ती पन्नत्ता' अज्ञाननिवृत्तिः प्रज्ञप्ता ? हे भदन्त ! अज्ञाननिर्वृत्तौ कविविधत्वमितिमश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा!' हे गौतम ! 'विविहा अन्नाणनिबत्ती पन्नता' त्रिविधा अज्ञाननिर्वृत्तिः मज्ञप्ता, 'तं जहा' तद्यथा 'मइअन्नाणनिबत्ती' मत्यज्ञाननिवृत्तिः, 'सुयअन्नाणनिव्वत्ती' श्रुताज्ञाननिर्वृतिः 'विभंगनाणनिबत्ती' विभङ्गज्ञाननित्तिः, तथा च मत्यज्ञाननिवृत्ति-श्रुताज्ञाननिर्वृत्ति-विभङ्गज्ञाननिर्वृत्तिभेदेन अज्ञाननिर्वृत्तयः त्रिविधा मता इत्यर्थः 'एवं जस्स जइ अन्नाणा जाव वेमाणियाणं' एवं यस्य यानि अज्ञानानि तानि तस्य वक्तव्यानि, याबद्वैमानिकानाम् नारकादारभ्य वैमानिकदेवपर्यन्तम् अज्ञाननिर्वृत्तयो वक्तव्या इति ।१७। 'कइविहाणं भंते' कति विधाः खलु भदन्त ! 'जोगनिव्यत्ती पन्नत्ता' योगनिर्वृत्तिः प्रज्ञप्ता ! योगनिर्वृतेः कतिविधत्वमितिपश्नः, उत्तरमाह-गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! अतः यह अज्ञान निति कितने प्रकार की होती है ? इस गौतम के प्रश्न के उत्तर में प्रभु ने उनसे ऐसा कहा कि-'गोयमा' हे गौतम ! 'अण्णाणनि०' अज्ञाननिर्वृत्ति तीन प्रकार की होती है 'मइ अभा० सुयअन्नाण० एक मत्यज्ञान नित्ति, दूसरी श्रुताज्ञाननिवृत्ति और तीसरी विभंगज्ञान नित्ति एवं जस्स जइ अ०' इस प्रकार से जिस जीव को जितने अज्ञान हों उस जीव को उतने अज्ञानों की निवृत्ति कह लेनी चाहिये इस प्रकार से नारक से लेकर वैमानिकदेवों तक अज्ञान नित्ति वक्तव्य है 'जोगनिव्वत्ती का वि.' हे भदन्त ! योगनिवृत्ति कितने प्रकार की कही गई है ? इस गौतम के प्रश्न के उत्तर में प्रभुने उनसे ऐसा कहा है कि गौतम ! 'जोगनि.
જ્ઞાનનિવૃત્તિની વિધી અજ્ઞાનનિવૃત્તિ છે. તેથી હવે ગૌતમ સ્વામી અજ્ઞાનનિવૃત્તિના વિષયમાં પ્રભુને પૂછે છે કે હે ભગવન અજ્ઞાનનિવૃત્તિ કેટલા ४२नी छ ? तेना उत्तरमा प्रभुमे तेमने यु. है-'गोयमा ! ७ गौतम ! 'अण्णाणनि०' मज्ञाननिवृत्ति १२नी ४ामा मापीछे. 'मइअन्ना० सुय
अन्नाण' मे मति अज्ञाननिवृत्ति भी श्रुत मशान निवृत्ति, मन त्री विज्ञाननियत्ति एवं जस्स जइ अ०' यशत २ पना अशान होय તે જીવને તેટલા અજ્ઞાનની નિવૃત્તિ કહેવી જોઈએ આ રીતે નારકોથી मार'मीन वैमानि: । सुधा अज्ञाननिवृत्ति ही छ. 'जोगानिव्वत्ती का वि०' હે ભગવન જેગનિવૃત્તિ કેટલા પ્રકારની કહેવામાં આવી છે તેના ઉત્તરમાં
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૩