Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 13 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवती सूत्रे
रूपेण एकस्मिन् एकस्यानेकत्वाभ्यां चत्वारो भंगा भवन्ति 'सब्वे ते चत्तालीसं भंगा' सर्वे ते चत्वारिंशदभंगा : ४० । एकैकस्मिन् चतुर्भेदे सति दशानां चतुः संख्या गुणने चत्वारिंशदभवतीति भावः । 'जड़ चवन्ने' यदि चतुर्वर्णः चतुः प्रदेशिकः स्कन्धस्तदा 'सिय कालए नीलए लोहियए हालिदए य' स्यात् कालकः atest लोहितक: हारिद्रकश्व, कदाचित् कालो नीलो लोहितः पीतश्चेति प्रथमः, 'सिय कालए नीलए लोहियए सुकिल्लए य' स्यात् कालको नीलको लोहितकः शुक्लश्चेति द्वितीयः' 'सिय कालए नीलए हालिदए सुक्किल्लए य' स्यात् कदाचित् इस प्रकार एक त्रिक संयोग में एकत्व और अनेकत्व को लेकर ये चार भंग होते हैं 'सव्वे ते चत्ताल' संभंगा' अतः १० त्रिक संयोग के वे सब भंग मिलकर ४० चालीस हो जाते हैं ।
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'जह चउन्ने' यदि वह चतुः प्रदेशिक स्कन्ध चार वर्णों वाला होता हैं तो इस प्रकार से वह चार वर्णों वाला हो सकता है - 'सिय कालए नीलए लोहियए हालिए य' कदाचित् वह काले वर्णों वाला भी हो सकता है नीलवर्ण वाला भी हो सकता है लालवर्ण वाला भी हो सकता है और पीले वर्ण वाला भी हो सकता है? इस प्रकार की यह प्रथम भंग है 'सिय कालए य नीलए य लोहियए सुकिल्लए य' कदाचित् वह एक प्रदेश में कृष्णवर्ण वाला भी हो सकता है एक दूसरे प्रदेश में नीलवर्ण वाला भी हो सकता है तीसरे एक प्रदेश में लालवर्ण वाला भी हो सकता है और चौथे एक प्रदेश में शुक्लवर्ण वाला भी हो सकता
સૉંચાગી ભગેામાં એકપણામાં અને અનેકપણામાં ચાર ભગા ઉપર મુજબ मने छे. 'सव्वे ते चत्तारि भंगा' या प्रहारथी पडेला उडेल त्रिः संयोगी તમામ ભંગા મળીને ૪૦ ચાળીસ ભંગા બને છે. હવે સૂત્રકાર ચાર પ્રદેશ बाजा स्कुधना लौंगो सतावे छे. 'जइ चउवन्ने' ले ते यार प्रदेशवाणी સ્કંધ ચાર વર્ણોંવાળા હાય તે। આ નીચે કહ્યા પ્રમાણે તે ચારવાવાળા होई शडे छे. - ' सिय कालर य सिय नीलए य लोहियए हालिहए य' उहाथ તે કાળા વણુ વાળા હાઈ શકે છે. નીલ વણુ વાળા પણ હાઇ શકે છે, લાલ વણુ વાળા પણ હાઈ શકે છે. અને પીળા વણુ વાળા પણ હોઈ શકે છે. આ रीतने। आा पडे थे! लग यार प्रदेशी २५ धन। छे । सिय कालए य नीलए य लोहियए य सुकिल्लए य' उहाथ ते ४ प्रदेशमां अजा वर्षावाणी होय छे. जीन એક પ્રદેશમાં નીલ વણુ વાળે! પણ હાઈ શકે છે. ત્રીજા એક ભાગમાં લાલ વણુ વાળા પણ હાઈ શકે છે. અને ચેાથા એક પ્રદેશમાં ધેાળા વઘુ વાળે! પણ होश छे, या रीते जीने लग जाने छे. २ 'सिय कालए नीलए हालिएय'
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૩