Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 13 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीसूत्रे स्निग्धः, देशो रूक्षः १३, देशाः शीताः देशा उष्णाः, देश: स्निग्धः, देशाः रूक्षाः १४, देशाः शीताः, देशा उष्गा, देशाः स्निग्धाः, देशः रूक्षः १५. देशा शीताः, देशाः उष्णाः, देशाः स्निग्धाः, देशाः रूक्षाः १६ इनमें प्रथम भंग शीत, उष्ण, स्निग्ध और रूक्ष इनके एकत्व को लेकर हुआ है, द्वितीय भंग रूक्ष पद में अनेकत्व और शेष पदों में एकत्व को लेकर हुआ है, तृतीय भंग तृतीय स्निग्ध पद में अनेकत्व और शेष पदों में एकत्व को लेकर हुभा है, चतुर्थ भंग तृतीय और चतुर्थ पद में अनेकत्व और शेषपदों में एकत्व को लेकर हुआ है, पांच भंग द्वितीय पद में अनेकत्व और शेषपदों में एकत्व को लेकर हुआ है, छट्ठा भंग द्वतीय और चतुर्थपद में अनेकत्व को एवं शेषपदों में एकस्व को लेकर हुआ है, सातवां भंग द्वितीय और तृतीयपद में अनेकत्व और शेषपदों में एकत्व को लेकर हुआ है, आठवां भंग द्वितीय, तृतीय और चतुर्थग्द में अनेकत्व को एवं शेषपद में एकत्व को लेकर के हुआ है, नौवां भंग प्रथमपद में अनेकत्व को और शेष पदों में एकत्व को लेकरके हुआ है, १० वां भंग प्रथमपद में और चतुर्थपद में अनेकत्व को लेकर के एवं शेषग्दों में एकत्व को लेकर हुआ है, ११ वा भंग प्रथम तृतीयपद में अनेकत्व को और शेषपदों में एकत्व को लेकर के हुआ है, १२वां भंग प्रथमपद में तृतीयपद में और चतुर्थ पद में अनेकस्व को लेकर तथा शेषपद में एकत्व को लेकर के हुआ है, १३ वां भंग प्रथमपद में और द्वितीय पद में अनेकत्व को लेकरके एवं शेषपदों में एकत्व को लेकर के हुआ है, १४ वां भंग प्रथमपद में, द्वितीयपद 'देशा शीताः देशाः उष्णा: देशः स्निग्धः देशो रूक्षः१३' भने देशमा ४॥ २५ વાળે અનેક દેશમાં ઉષ્ણુ સ્પર્શવાળે કઈ એક દેશમાં સ્નિગ્ધ ચિકણુ સ્પર્શવાળો અને કઈ એક દેશમાં રૂક્ષ સ્પર્શવાળો હોય છે. આ ભંગમાં પહેલા અને બીજા પદમાં અનેક પણને લઈ બહુવચન તથા બાકીના પદે માં
५६२ ६४ वयनी मा २भी l । छे. १३ 'देशाः शीताः देशाः उष्णाः देशः स्निग्धः देशाः रूक्षाः१४' अने, शिम ते ॥ २५शवाय અનેક દેશોમાં ઉણુ સ્પર્શવાળો કઈ એક દેશમાં સ્નિગ્ધ સ્પર્શવાળે અને અનેક દેશોમાં રૂક્ષ સ્પર્શવાળ હોય છે. આ ભંગમાં પહેલા બીજા અને ચેથા પદમાં અનેકપણને લઈ બહુવચન તથા ત્રીજા પદમાં એકપણાની
साथी शयनयी । योभो म थये। छ. १४ 'देशाः शीता देशाः
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૩