Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 13 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२० उ०५ सू०३ पञ्चप्रदेशिकस्कन्धनिरूपणम् ६५५ लेसु एवं नीललोहितशुक्लेष्वपि सप्त भङ्गा भवन्ति तथाहि-सिय नीलए लोहियए सुकिल्ले य१, सिय नोलए लोहियए सुकिलगा य२, सिय नीलए लोदि. यशा सुकिल्ले य३, सिय नीलए लोहियगा सुकिल्लगा य४, सिय नीलगा लोहि. यए सुकिल्लए य५, सिप नीलगा लोहियए सुकि गा य६, सिय नीलगा लोहयगा सुकिल्लए य७' स्थात् नीलो लोहितः शुक्लश्वेति प्रथमः, विष्वपि एकत्व प्रयुक्तः१। स्यात् नीलो लोहितकः शुक्लाश्चेति चरमबहुत्वो द्वितीयः। स्यात् नीलो लोहितकाः शुक्लश्चेति मध्यमबहुत्व स्तृतीयः३ । स्यात् नीलो लोहि नकाः शुक्लाश्वेति मध्यमचरमबहुवचनमश्चतुर्थों भङ्गः ४ । स्यात् नीलक्षाः लोहितः
'नीललोहियसुकिल्लेसु' इसी प्रकार से नीललोहित शुक्ल इन षों के संयोग में भी सात भंग होते हैं जो इस प्रकार से हैं-सिय नीलए लोहियए सुकिल्ले य १ सियनील ए लोहियए सुक्किलगा य२ सिय नीलए लोहियगा सुकिल्ले व ३ सिय नीलए लोहियगा सुक्कि ल्लगा य ४ सिय नीलगा लोहियए सुकिल्लए य ५ सिय नीलगा लोहि. यए सुक्किललगा य ६ सिय नीलगा लोहियगा सुकिकलए य ७ इन भङ्गों के अनुसार वह अपने किसी एक प्रदेश में नील किती एक प्रदेश में लोहित और किसी एक प्रदेश में शुक्ल भी हो सकता है १ अथवा किसी एक प्रदेश में नील किसी एक प्रदेश में लोहित और अनेक प्रदेशों में शुक्ल हो सकता है २ अथवा-किसी एक प्रदेश में वह नील अनेक प्रदेशों में लोहित और एक प्रदेश में शुक्ल हो सकता है ३ अथवा-किसी एक प्रदेश में नील अनेक प्रदेशों में लोहित और अनेक
'नाललोहियसुकिल्लेसु सत्त भंगा' मार प्रमाणे नाखg, anary અને સફેદવના ગથી પણ સાત ભંગ થાય છે જે આ પ્રમાણે છે'सिय नीलए लोहियए सुकिल्ले य'१ ते ४ २ पोताना 5 मे प्रशwi નીલ વર્ણવાળો હોય છે. કોઈ એક પ્રદેશમાં લાલ વર્ણવાળ હોય છે. અને કેઈ એક પ્રદેશમાં ધોળા વર્ણવાળ પણ હોય છે. આ પહેલે ભંગ છે. ૧ 'सिय नीलए लोहियए सुकिल्लगा य२' ४ाय ते पाताना से प्रदेशमा નીલવર્ણવાળા હોય છે. કેઈ એક પ્રદેશમાં લાલ વર્ણવાળા હોય છે. અને भने प्रदेशमा स १९ पाणी य छे. २भी
छ.२ 'सिय नीलए लोहियगा य सुकिल्लए य३' हाय ते पाताना में प्रदेशमा न વર્ણવાળો હોય છે. અનેક પ્રદેશમાં લાલ વર્ણવાળા હોય છે. તથા એક प्रदेशमा स पाडाय छ मा श्रीन छ. 3 'सिय नीलए लोहियगा व सुकिल्लए य'४ हाय तपोताना से प्रदेशमा नील पाणी
શ્રી ભગવતી સૂત્ર: ૧૩