Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 13 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२० उ०५ सू०२ पुद्गलस्य वर्णादिमत्वनिरूपणम् ५९५ शुक्लश्च प्रदेशयोर्नीलत्वात् मदेशयोः शुक्लत्वादिनि प्रथमः, स्यान् नीलव्य शुक्लाथ प्रदेशमात्रस्य नीलत्वात् प्रदेशत्रयाणां शुक्लत्वादिनि द्वितीयः, स्यात् नीलाश्च शुक्लश्च प्रदेशत्रयाणां नीलत्वात् प्रदेशमात्रस्य भुक्लत्वादिति तृतीयः, स्यात् नीलाच शुक्लाश्च इति चतुर्थी भंगः ४, एवमिहापि चत्वारो भंगाः इति , 'सिय लोहियए य हालिद्दए य ४' स्यात् लोहितश्च पीतश्च अनापि चत्वारो भंगल तथाहि-स्यात् लोहितश्च पीतश्च प्रदेशौ लोहितौ पीतौ च पदेशौं इनि प्रथमो करके जो भंग बनते हैं उन्हें सूत्रकार दिखलाते हैं-'सिय नीलए य शुक्किल्लए य' यह प्रथम भंग है-इस में दो प्रदेशों में नील वर्ण और दो प्रदेशों में शुक्ल वर्ण हो सकता है ऐसा कहा गया है 'स्यात् नीलश्च शुक्लाश्च' यह द्वितीय भंग है इस में प्रथम एक प्रदेश में नील वर्ण और प्रदेशत्रय में शुक्ल वर्ण हो सकता है ऐसा कहा गया है 'स्यात् नीलाइच शुक्लश्च' इस तृतीय भंग में प्रथम तीन प्रदेशों में नील वर्ण और एक प्रदेश में शुक्ल वर्ण भी हो सकता है ऐसा कहा गया है 'सिय नीलाश्च शुक्लाश्च' यह चतुर्थ भंग है इस में अनेक अंशों में नील वर्ण और अनेक ही अंशों में शुक्ल वर्ण का सद्भाव प्रकट किया गया है इस प्रकार से ये चार भंग हैं 'सिय लोहियए य हालिद्दए य?' इस प्रकार के कथन में भी जो चार भंग होते हैं वे इस प्रकार से हैं 'स्थात् लोहितश्च पीतय१' दो प्रदेश उसके लालघर्ण वाले भी हो सकते સાથે ધોળાવણુને જીને જે ચાર ભંગ બનાવવામાં આવે છે. તે સૂત્રકાર मतावे छे.
'सिय नीलए य सुकिल्लए य१' मा ५ मा प्रदेशमा नीस અને બે પ્રદેશોમાં ધોળાવણું હોઈ શકે છે. એ રીતને આ પહેલો ભંગ छ. स्यात् नीलाच शुक्लाइच२' मामा पडे। ये प्रदेशमा नी भने બાકીના ત્રણ પ્રદેશમાં વેતવર્ણ હોઈ શકે છે, એ રીતને આ બીજો ભંગ छे२. 'स्यात् नीलाश्च शुक्लश्च३' मा ममा ५ ] प्रदेशमा नlaqee અને એક પ્રદેશમાં શુકલવર્ણ પણ હોઈ શકે છે એ રીતને આ ત્રીજો ભંગ छ.3 'सिय नीलाश्च शुक्लाश्च४' मा मा भने ४ अशामा नास भने અનેક અંશેમાં ધોળાવણું હોઈ શકે છે. આ ચોથો ભંગ છે. આ રીતના ચાર ભંગ બને છે. હવે લાલવણ અને પીળાવની સાથે અને જે ચાર બને છે તે બતાવે છે.
'सिय लोहियए य हालिहए य१' स्यात् लोहिनश्च पीनश्च'तेना में प्रदेश લાલ વર્ણવાળા હોય છે. અને બે પ્રદેશે પીળાવણુંવાળા હોય છે.૧ આ પહેલે
શ્રી ભગવતી સૂત્ર: ૧૩