Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 13 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीसुत्रे
सीया देसे उसने देसे निद्धे देसे लक्खे ७' देशौ शीतौ देश उष्ण देशः स्निग्धः देशो रूक्ष इति सप्तमो भङ्गः ७ । 'देसा सीया देसे उसिणे देसे निद्धे देसा लक्खा ८' देशौ शीवौ देश उष्णो देशः स्निग्धो देशौ रूक्षौ इति अष्टमो भङ्गः ८ 'देमा सीया देसे उसणे देसा निद्रा देसे लक्खे ९' देशौ शीतौः देशउष्णः दशौ स्निग्धौ देशो रूक्ष इति नमो भङ्गः ९ । ' एवं एए तिपएसिए फासेसु पणवीसं भंगा' एवमेते त्रिपदेशिके स्पर्शे षु पञ्चविंशतिर्भङ्गा भवन्ति इति ।
त्रिदेशिक स्कन्धविषये त्रिपदेशिकस्कन्धस्य चतु स्पर्शतायां नव भङ्गा यथासर्वपदेषु एकवचनं प्रथमो भङ्गः १ । अन्तिम रूक्षपदे अनेकवचनं द्वितीयो भङ्गः २ ॥ गया है ६ 'देसा सीया देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लक्खे 'यह सातवां भंग है७ 'देसा सीया देसे उसिणे देसे निद्रे देसा लुक्ख ।' यहां प्रथम पद और चतुर्थ पद को अनेक वचनान्त किया गया है ८, 'देसा सीधा देसे उसिने 'देसा निद्वा देसे लक्खे९' यहां पर प्रथम पद को और तृतीय पद को अनेक वचनान्त किया गया है९ 'एवं एए तिप्पएसिए फासेसु पणवीस भंगा' 'इस प्रकार से त्रिदेशिक स्कन्ध में द्विस्पर्श सम्बन्धी ४, त्रिस्पर्श सम्बन्धी १२, और चतुः स्पर्श सम्बन्धी ९, भंग मिलकर कुल पचीस भंग होते हैं त्रिप्रदेशिक स्कन्ध के विषय में चतुः स्पर्शवत्ता को लेकर पूर्वोक्त रूप से कहा गया है उसका खुलासा इस प्रकार है त्रिप्रदेशिक स्कन्ध के जब समस्त प्रदेश एकवचन में होते हैं तब प्रथम भंग होता है जैसे एक देश शीतस्पर्श वाला एकदेश उष्णस्पर्श वाला एकदेश स्निग्ध स्पर्श वाला और एकदेश उसका रूक्ष स्पर्श बाल होता है । जब अन्तिम रुक्ष पद में अनेक पहने अने वयनथी शमां आवे छे ८ ' देखा सीया देसे उसणे, देखा मिद्धा, देसे लुक्खे९' मा संगम पडेना यरशुने खते त्रीन यरगुने हु वयनथी मुडेवामां आव्या छेद ' एवं एए तिप्पलिए फासेसु पणवीसं भंगा' એ રીતે ત્રણ પ્રદેશવાળા કધમાં એ સ્પર્શ સ્પર્શી સબંધી ૧૨ ખાર ભગા અને ચાર મળીને કુલ ૨૫ ભંગા થાય છે.
ત્રણ પ્રદેશવાળા સ્ક'ધના સખંધમાં ચાર સ્પશ પણાને લઈને જે પૂર્વોક્ત પ્રકારે કહ્યુ છે, તેને ખુલાસે આ પ્રમાણે છે
સબંધી ૪ ચાર ભંગે! ત્રણ સ્પર સબધી ૯ નવ
ભગા
ત્રણ પ્રદેશવાળા સ્કંધના સઘળા પ્રદેશે જ્યારે એક વચનમાં હોય છે, ત્યારે પહેલા ભંગ બને છે. જેમ કે શીત સ્પર્શીવાળે એક દેશ, એક દેશ ઉષ્ણુ સ્પર્શવાળા, એક દેશ સ્નિગ્ધ સ્પશવાળે, અને તેના એક દેશ ક્ષ સ્પર્શ વાળે છે.૧ જ્યારે છેલ્લા રૂક્ષ પદમાં અનેક વચનાના નિવેશ કરવામાં
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૩