Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 13 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
-
१८२
भगवतीसत्रे वानाह-'गोयमा' इत्यादि । 'गोयमा' हे गौतम ! 'अस्थेगइए जाणइ न पासई' अस्त्येकको जानाति परमाणुपुद्गल किन्तु न पश्यति केवांचित् पुरुषाणां सूक्ष्मपपदार्थविषयकं ज्ञानं भवति किन्तु दर्शनं न जायते इत्यर्थः श्रुतोपयुक्तः श्रुतज्ञानी श्रुतेर्दर्शनाऽभावात् 'अत्थेगइए न जाणइ न पासई' अस्त्येकको न जानाति न पश्यति केषांचित् छन्मस्थानां परमाण्वादिविषयकं ज्ञानमपि न भवति दर्शनमपि न भवती. स्यर्थः श्रुतोपयुक्तातिरिक्तस्तु न जानाति न पश्यतीति, 'छउमत्थे गं भंते ! मनसे' पदार्थ विषयक ज्ञानदर्शन होते हैं या नहीं होते हैं ? इनके उत्तर में प्रभु कहते हैं, 'गोयमा' इत्यादि हे गौतम ! कोई एक छमस्थ मनुष्य परमाणुपुद्गल को जानता तो है पर वह उसे देख नहीं सकता है। तात्पर्य ऐसा है कि कितनेक छद्मस्थ पुरुषों को सूक्ष्म पदार्थ विषयक ज्ञान तो होता है किन्तु उन्हें दर्शन नहीं होता है 'श्रुतोपयुक्तः श्रुत. ज्ञानी श्रुते दर्शनाभावात्' इस कथन के अनुसार श्रुत में उपयुक्त हुए श्रुतज्ञानी को श्रुतपदार्थ में दर्शन का अभाव रहता है। अर्थात् श्रुतज्ञानी जिन सूक्ष्मादिक पदार्थों को श्रुत के बल से जानता है उनका उसे दर्शन प्रत्यक्ष ज्ञान नहीं होता है, इस कारण यहां ऐसा कहा गया है कि कितनेक छद्मस्थ मनुष्य परमाणु आदि सूक्ष्म पदाथों को जानते तो हैं शास्त्र के आधार से उनके ज्ञान विशिष्ट तो होते हैं। पर उनके साक्षात् दर्शन से वे रहित होते हैं । 'अस्थेगइए न जाणा न पासई तथा कितनेक छमस्थ ऐसे होते हैं जो सूक्ष्मादिक परमाणु पदाथों को न जानते हैं और न देखते हैं। 'श्रुतोपयुक्तातिरिक्तस्तु न Gत्तरमा प्रभु ४ छ है--"गोयमा!” त्या 3 गौतभ ! 1 मे ७५२५ મનુષ્ય પરમાણુ યુદ્ધ ને જાણે છે. પણ તે પુલને જોઈ શક્તા નથી. કહે વાનું તાત્પર્ય એ છે કે--કેટલાક છદ્મસ્થ પુરુષને સૂક્ષમ પદાર્થ સંબંધી જ્ઞાન तो डाय छ, ५२'तु ते॥ तेन हेमी शता नथी. श्रुतोपयुक्तः श्रुतज्ञानी श्रुते
માવા” આ કથન પ્રમાણે શ્રુતમાં ઉપગવાળા શ્રુતજ્ઞાનીને મૃત પદાર્થમાં દશનને અભાવ રહે છે. અર્થાત્ શ્રુતજ્ઞાની સૂરમાદિ જે પદાર્થને શ્રત બળથી જાણે છે, તેનું તેને દર્શન-પ્રત્યક્ષ જ્ઞાન થતું નથી. તે કારણથી અહિંયાં એવું કહેવામાં આવ્યું છે કે કેટલાક છઘ માણસ પરમાણુ વિગેરે સૂક્ષમ પદાર્થને જાણે છે, કારણ કે શાસ્ત્રના આધારથી તેને જ્ઞાન તે છે, પણ તેના સાક્ષાત્ ४श नथी ते वयित २७ छ, “अत्थेगइए ण जाणइ न पासई" तथा टमा છઘ એવા હોય છે, જે સૂકમ પરમાણુ વિગેરે પરમાણુ યુદ્ધને જાણતા नया भने मता ५५ नथी. "श्रुवोपयुक्तातिरिक्तस्तु न जानाति न पश्यप्ति"
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૩