Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 2
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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तथा चेदम्, तस्मान्मुख्यमिति ।
ननु चावरणप्रसिद्धौ तदपनमाज्ज्ञानस्योत्पत्तिर्युक्ता, न च तत्प्रसिद्धम् । तद्धि शरीरम्, रागादयः, देशकालादिकं वा भवेत् ? न तावच्छरीरं रागादयो वा; तद्भावेप्यर्थोपलम्भसम्भवात् । तदुपलम्भप्रतिबन्धकमेव हि काण्डपटादिकं लोके प्रसिद्धमावरणम् । ननु मेर्वादेदूरदेशता रावणादेस्तत्कामता परमाण्वादेः सूक्ष्मस्वभावता मूलकौलोदकादेश्च भूम्यादिः आवरणं प्रसिद्धमेवेति चेत्तदसारम्; तद्भावस्य कत्तुमशक्यत्वात् । न खलु सातिशयद्धमतापि योगिना देशाद्यभावो विधातुं शक्यः । न चान्यत् किञ्चिदावरणं प्रतीयते । ततः सामग्रीविशेष विश्लेषिता खिलावरणमित्ययुक्तम् ;
प्रमेयकमलमार्त्तण्डे
अथवा अपने विषय में पूर्ण रूप से विशद होने से ये ज्ञान मुख्य प्रत्यक्ष हैं जो प्रतीन्द्रियादि विशेषण विशिष्ट नहीं है वह मुख्य प्रत्यक्ष नहीं होता जैसे हम लोगों का प्रत्यक्ष है, यह ज्ञान वैसा विशिष्ट है अतः मुख्य प्रत्यक्ष है ।
परवादी :- आप जैन ने आवरण के विषय में बहुत कुछ कड्डा किन्तु यह सब कथन आवरण नामा कोई पदार्थ होवे तो बने ? तथा उस प्रावरण का नाश होने से ज्ञान की उत्पत्ति होती है, ऐसा कथन बने ? आवरण किसको कहना चाहिये ? शरीर को, या रागद्वेष आदि को, या देश कालादिको ? शरीर और रागादि को आवरण मानना शक्य नहीं, क्योंकि शरीर आदि के रहते हुए भी पदार्थों का ज्ञान होता है । लोक में तो ज्ञान को रोकने वाले वस्त्र, परदा, दीवाल आदि पदार्थ माने गये 1
हमारे प्रति यहां कोई शंका उपस्थित करे कि मेरु आदि का आवरण तो दूर देशता है अर्थात् दूर देश में होने से मेरु का ज्ञान नहीं होता प्रतः वह उसका आवरण कहलायेगा ? ऐसे ही रावणादि का प्रावरण अतीत कालता, परमाणु आदि का सूक्ष्म स्वभावता, तथा वृक्ष की जड़, कील, जल आदि का आवरण पृथ्वी प्रादिक हैं ये सारे ग्रावरण दुनियां में प्रसिद्ध ही हैं, फिर उनको क्यों नहीं मानते ? सो यह प्रतिशंका बेकार है, भला इन पृथ्वी श्रादि का क्या प्रभाव कर सकते हैं ? कोई प्रतिशय ऋद्धिधारी योगीजन भी देश, काल, स्वभावों का प्रभाव नहीं कर सकते पृथिवी आदि, या शरीरादि को छोड़कर अन्य कोई ज्ञान का आवरण प्रतीति में नहीं आता है, अतः सूत्रकार माणिक्यनंदी प्राचार्य ने जो "सामग्री विशेष " इत्यादि सूत्र लिखा है वह असत् है ?
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