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प्रमेयकमल मातण्डे
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पंक्ति
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५७० ५७२ ५८४ ५८४ ५६४ ५६६ ६२३ ६२६ ६३० ६३०
अशुद्ध सम्बद्ध फिर प्रागे प्रतिसिद्ध भाव तो भी एतेषां मध्य वाच्य स्पष्टकरण विद्यमान स्यात्मनस्थाभिधाना विकुहित अथस्येव मेनार्था अप्रेत प्रतिबंधक अप्रयोजक
शुद्ध संबंध फिर अगो प्रतिषिद्ध भाव भी एतेषां मध्ये वाक्य स्पृष्टकरण अविद्यमान स्यात्मनस्तथाभिधाना विकुट्टित अर्थस्येव मेनार्थ अपेतप्रतिबंधक अप्रयोजक हेतु
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