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प्रमेयकमल मार्तण्डे
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पंक्ति १६
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२१३
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अशुद्ध
शुद्ध तथा सफेद आदि
तथा कृष्ण आदि अनिष्टपाद्य
अनिष्पाद्य ही प्रसत है
ही प्रसूत है न सदकरणादुपादान
सदकरणादुपादान अविभाव
अविनाभाव सरागी भी
सरागी भी हैं प्रतिबद्ध सामर्थ्य
प्रतिहत सामर्थ्य अंत कर लेते हैं।
अंतराय कर लेते हैं। गुणों का होनेसे
गुणों का नाश होनेसे परिहाराथ
परिहारार्थं भवका
मनका अघादि
अद्यापि अन्य जन्यके
अन्य अन्यके ज्ञानस्यान्तराभव
ज्ञानस्यान्तरभव ज्ञान हेतु
ज्ञानका हेतु ज्ञान असत्व
ज्ञानका असत्व कुष्टिनीस्त्रीवद्
कुट्टिनीस्त्रीवद् आनित्य में
अनित्यमें सेन्द्रिय
स इन्द्रियअदि
यदि प्रात्मा का योग्य पुण्य
योग्य पाप और विकल्प
और विकल्प्य पंक्ति २० के अंतिम वाक्य, [अतः यहां...] से लेकर २२ वीं पंक्ति के
___अंतिम वाक्य [....पाया जाता है] तक निरस्त समझे । ज्ञातम्' इत्युपख्यानं
इत्युपसंख्यानं प्रमाण
प्रमाणका प्रतिपत्तिदाढ्य
प्रतिपत्तिदाय
२१४
२१५
२१८ २२४
२३०
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२५१
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२५३
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पुरुषके
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ज्ञानम्"
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