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प्रमेयकमलमार्तण्डे
सत्त्वदर्शनस्याभावात्तदैव तन्मूलरागादिनिवृत्त मुक्तिः स्यात् । भ्रान्तत्वे चास्य प्रत्यक्षस्याशेषस्यापि भ्रान्तत्वप्रसङ्गः, बाह्याध्यात्मिकभावेष्वेकत्वग्राहकत्वेनैवाशेषप्रत्यक्षाणां प्रवृत्तिप्रतीतेः । तथा च
जैन-तो फिर ग्राम्यजन और सुशिक्षितजनका जीवस्तित्वसंबंधी प्रत्यभिज्ञान समाप्त होते ही तत्काल एकत्व ज्ञान मूलक रागादि विकार भी नष्ट होना चाहिये और मुक्ति होना चाहिये ?
विशेषार्थ-बौद्ध मतमें आत्मा आदि पदार्थों को सर्वथा क्षणिक माना है, जब आत्मा क्षणिक है तब उसकी क्रमसे होनेवाली बद्ध और मुक्त अवस्था किसप्रकार सिद्ध हो सकती है ? जो पहले बद्ध था उसीके मुक्ति हुई ऐसा कहना अशक्य है, यदि अन्य बंधा और अन्य मुक्त हुआ तो ऐसे अन्यके मुक्तिके लिये प्रयत्न भी नहीं हो सकेगा, तथा आत्माको क्षणिक मानने पर प्रत्यभिज्ञान होना अशक्य है, क्योंकि पदार्थके कथंचित् नित्य होनेपर ही उस ज्ञानका विषय एवं प्रादुर्भाव संभव है । आत्मामें काल्पनिक एकत्वका आरोप करके उसको प्रत्यभिज्ञान विषय करता है, और जब अनुमान द्वारा अात्माके क्षणिकपनेका निश्चय होता है तब वह काल्पनिक प्रत्यभिज्ञान नष्ट होता है ऐसा बौद्धके कहनेपर प्राचार्य कहते हैं कि आत्माके क्षणिकपनेका ज्ञान होते ही एकत्व विषयक प्रत्यभिज्ञान नष्ट होगा, राग द्वेष आदि विकार भी तत्काल नष्ट हो जायेंगे, क्योंकि राग द्वेष आदि आत्माके नित्य रहनेपर ही संभव है अर्थात् अंतरंग आत्मामें किसीके प्रति राग तब होता है जब कुछ समय पहले उसने हमारे लिये इष्ट प्रवृत्ति की हो जैसे पुत्रका माताके प्रति सद्व्यवहार होनेपर माताका पुत्रके प्रति स्नेहाधिक्य हो जाता हैं, ऐसे ही द्वेष की प्रवृत्ति है अतः निश्चित है कि राग द्वषका उद्भव आत्माके नित्य रहनेपर ही [कथंचित् नित्य] संभव है । बौद्ध मतानुसार आत्मा क्षणिक है, उसमें एकपनका भ्रांत प्रत्यभिज्ञान होने से राग द्वष होते हैं “सर्वं क्षणिक सत्वात्" इत्यादि अनुमान द्वारा आत्माके क्षणिकपनेका निश्चय होनपर वह प्रत्यभिज्ञान नष्ट होता है । यदि ऐसा माने तो क्षणिकत्वका ज्ञान होने के साथ ही प्रत्येक बौद्धमतानुयायीको मुक्ति हो जानी चाहिये ? क्योंकि ग्रामीण जन हो चाहे शिक्षित जन हो सभी बौद्धोंको आत्मक्षणिकत्वका ज्ञान होता है उसके होते ही राग द्वेष नष्ट होंगे और रागादिके नष्ट होते ही मुक्ति होगी ? किन्तु ऐसा कुछ भी नहीं होता अतः प्रत्यभिज्ञान को काल्पनिक मानना प्रसिद्ध है ।
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