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हेतोस्त्ररूप्यनिरासः
अथेदानीमनुमानलक्षणं व्याख्यातुकामः साधनादित्याद्याह
साधनात्साध्यविज्ञानमनुमानम् ।।१४।।
साध्याऽभावाऽसम्भव नियमनिश्चयलक्षणात् साधनादेव हि शक्याऽभिप्रेताप्रसिद्धत्वलक्षणस्य साध्यस्यैव यद्विज्ञानं तदनुमानम् । प्रोक्तविशेषणयोरन्यतरस्याप्यपाये ज्ञानस्यानुमानत्वासम्भवात् ।
अब यहां पर अनुमान प्रमाणके लक्षणका व्याख्यान करते हैं
साधनात् साध्यविज्ञान मनुमानम् ।।१४।।
सूत्रार्थ-साधनसे होने वाले साध्यके ज्ञानको अनुमान प्रमाण कहते हैं। जो साध्यके अभावमें नियमसे नहीं होता ऐसे निश्चित साधनसे शक्य अभिप्रेत एवं प्रसिद्ध लक्षण वाले साध्य का जो ज्ञान होता है उसे अनुमान कहते है, शक्य अभिप्रेत और असिद्ध इन तीन विशेषणों में से यदि एक भी न हो तो वह साध्य नहीं कहलाता तथा साध्यके अभाव में नियमसे नहीं होना रूप विशेषणसे रहित साधन भी साधन नहीं कहलाता अतः उक्त विशेषणों में से एक के भी नहीं होने पर उक्त ज्ञानका अनुमानपना असंभव है।
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