Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 2
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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वेदापौरुषेयत्ववाद:
४३१ श्चेत्; तदसिद्धम्; तत्र हि प्रतिवादी स्मरत्येव कर्तारम् । एतेन सर्वस्यास्मरणं प्रत्याख्यातम् । सर्वात्मज्ञानविज्ञानरहितो वा कथं सर्वस्य तत्र कत्रऽस्मरणमवैति ?
किंच, अतः स्वातन्त्र्येणापौरुषेयत्वं साध्येत्, पौरुषेयत्वसाधनमनुमानं वा बाध्येत ? प्राच्यविकल्पे स्वातन्त्र्येणापौरुषेयत्वस्यादः साधनम्, प्रसङ्गो वा ? स्वातन्त्र्यपक्षे नाऽतोऽपौरुषेयत्व सिद्धिः पदवाक्यत्वतः पौरुषेयत्वप्रसिद्ध: । अतो न ज्ञायते किमस्मर्यमाणकर्तृत्वादपौरुषेयो वेदः पदवाक्यात्मकत्वात्पौरुषेयो वा ? न च सन्देहहेतोः प्रामाण्यम् ।
ननु न प्रकृताद्ध तोः सन्देहोत्पत्तिर्येनास्याऽप्रामाण्यम् किन्तु प्रतिहेतुतः, तस्य चैतस्मिन्सत्यप्रवृत्त : कथं संशयोत्पत्तिः ? तदयुक्तम्; यथैव हि प्रकृतहेतोः सद्भावे पौरुषेयत्वसाधकहेतोरप्रवृत्तिर
प्रतिवादी को तो वेदकर्ताका स्मरण ही है। वादी प्रतिवादी सभीको वेदकर्ताका स्मरण नहीं है ऐसा कहना भी इसी उपर्युक्त कथनसे खण्डित होता है। जब हमें सभी जीवोंका ज्ञान ही नहीं होता तब कैसे कह सकते हैं कि सभीको वेदकाका स्मरण नहीं है ?
तथा पाप मीमांसक को इस हेतु द्वारा क्या साधना है स्वतन्त्रतासे मात्र अपौरुषेयपने को सिद्ध करना है अथवा पौरुषेयपने को सिद्ध करने वाले अनुमान में बाधा उपस्थित करना है ? प्रथम विकल्पमें प्रश्न होता है कि यह हेतु स्वतंत्रतासे अपौरुषेयत्वको साधने वाला है अथवा प्रसंग साधन रूप है ? स्वतन्त्रतासे अपौरुषेयत्व को साधने वाला है ऐसा कहो तो इस हेतुसे (अस्मर्यमाण कर्तृत्वसे) अपौरुषेयत्व सिद्ध नहीं होगा, क्योंकि पद वाक्यत्वरूप अन्य हेतुसे पौरुषेयत्व प्रसिद्ध होना संभव है । अतः निर्णीत नहीं होता कि वेद अस्मर्यमाणकर्तुत्व होनेसे अपौरुषेय प्रथया पद वाक्यात्मका रचा हुया होनेसे पौरुषेय है। इस प्रकार जो संदेहास्पद होता है वह हेतु प्रामाणिक नहीं कहलाता।
__ शंका-अस्मर्यमाणकर्तत्व नामा हेतु संदेहास्पद होनेसे अप्रामाणिक नहीं होता अपितु प्रतिकूल हेतु द्वारा अप्रामाणिक हो सकता है किन्तु उस प्रतिकूल हेतुकी यहां पर प्रवृत्ति नहीं है अतः किसप्रकार संशय होगा ?
समाधान-यह कथन अयुक्त है, जिस प्रकार अस्मर्यमाणकर्तृत्व हेतुके रहने पर पौरुषेयत्व को सिद्ध करने वाला प्रति हेतु प्रवृत्ति नहीं करता ऐसा कहा जाता है
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