________________
प्रमेयकमलमार्त्तण्डे
परस्पराननुगमाच्च संकेताऽसम्भवः समानवरिणामापेक्षया क्षयोपशमविशेषाविभू तोहाख्य प्रमाणेन तासां प्रतिभासमानतया संकेतविषयतोपपत्तेः, कथमन्यथानुमानप्रवृत्तिः तत्राप्यानन्त्याननुगमरूपतया साध्यसाधनव्यक्तीनां सम्बन्धग्रहणासम्भवात् ?
५६४
अन्यव्यावृत्त्या सम्बन्धग्रहणम्; इत्यप्यसत्; तस्या एव सदृशपरिणामसामान्यासम्भवे असंभाव्यमानत्वात् । न चासह शेष्वप्यर्थेषु सामान्यविकल्पजनकेषु तद्दर्शनद्वारेण सदृशव्यवहारे हेतुत्वम्; नीलादिविशेषारणामप्यभावानुषंगात् । यथा हि परमार्थतोऽसदृशा अपि तथाभूतविकल्पोत्पादकदर्शन
आविर्भूत हुए तर्क प्रमाण द्वारा उन व्यक्तियों का ( शाबलेय खंड मुंड आदि गो विशेष अथवा मनुष्य विशेषादि वस्तु विशेष का ) प्रतिभास होता है अतः वे संकेत के विषय हो सकती है । यदि ऐसा न माना जाय तो अनुमान प्रमाण की प्रवृत्ति किस प्रकार हो सकेगी ? क्योंकि अनुमान की साध्य साधन रूप व्यक्तियां भी अनंत एवं श्रननुगमरूप होती हैं अतः उनके सम्बन्ध का ( अविनाभाव ) ग्रहण होना भी अशक्य हो जायगा ।
शंका - साध्य साधन व्यक्तियों के सम्बन्ध का ग्रहण अन्य की व्यावृत्ति से ( असाध्य प्रसाधन की व्यावृत्ति से ) होता है ?
समाधान - यह कथन प्रयुक्त है, सदृशपरिणाम रूप सामान्य के न होने पर अन्य व्यावृत्ति होना असंभव है ऐसा अभी सिद्ध कर चुके हैं । जो सदृश सामान्य का केवल विकल्प उत्पन्न करते हैं ऐसे पदार्थ यद्यपि खंडादि विसदृश रूप हैं फिर भी उन विसदृशों की प्रतीति से सदृशता का व्यवहार कराने में हेतु हैं ऐसा कहना भी प्रयुक्त है क्योंकि ऐसा मानने से नील आदि संपूर्ण विशेषणों का अभाव हो जाने का प्रसंग आयेगा, इसीका स्पष्टीकरण करते हैं- जिस प्रकार परमार्थ से असदृश ऐसे खंड आदि गो विशेष हैं जो कि सदृश सामान्य के विकल्प को उत्पादक होकर विसदृश प्रतीति के कारण हैं वे सदृश व्यवहार को करते हैं, उसी प्रकार जो स्वयं अनील प्रादि स्वभाव वाले हैं तो भी नील आदि विकल्प के उत्पदक हैं तथा उस रूप प्रतीति के तु से ही नीलादि व्यवहार को करते हैं ऐसा मानना होगा, अर्थात् नील आदि विशेषण स्वयं नीलादिरूप नहीं हैं केवल उस विकल्प को उत्पन्न करते हैं ऐसा अनिष्ट सिद्ध होने का प्रसंग आयेगा । दूसरी बात यह भी है कि यदि पदार्थों में सदृश परिणाम नहीं
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org