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प्रमेयकमलमार्तण्डे
रूप अक्षरात्मक शब्द की चर्चा है, इसके अकारादि स्वर और ककारादि व्यंजन रूप भेद हैं । जब कोई व्यक्ति मुख से शब्द का उच्चारण करने के लिये प्रयत्नशील होता है तत्काल ही वहीं पर स्थित भाषा वर्गणा उन अकारादि शब्द रूप परिणमन कर जातो है और श्रोता के कर्ण तक पहुंचती है। भाषा वर्गणा का शब्द रूप परिवर्तन होकर कर्ण तक पहुंचने में जो प्रक्रिया होती है शायद उसी को भर्तृहरि ने ध्वनि वाद इत्यादि नाम दिये हैं। स्फोट का जो वर्णन वे लोग करते हैं वह काल्पनिक है । हां जो लोग उसको भाव ज्ञान रूप मानते हैं उस पर विचार करने पर आभास होता है कि शब्द को सुनकर जो श्रावण प्रत्यक्ष ज्ञान ( सांव्यावहारिक प्रत्यक्ष ) होता है जो कि शब्द श्रवण के पहले प्रात्मा में लब्धि रूप अवस्थित रहता है उसको स्फोट नाम से माना है क्या ? मिथ्यात्व के उदय से स्वरूप विपर्यास, कारण विपर्यास, एवं भेदा भेद होते ही हैं, जैसे द्रव्य दृष्टि से नित्य धर्म को देखकर सांख्य संपूर्ण वस्तु को नित्य धर्मात्मक ही मान बैठे हैं। पर्याय दृष्टि से अनित्य धर्म को देखकर बौद्ध संपूर्ण वस्तु को क्षणिक ही मान बैठे हैं । ऐसे ही शब्द के विषय में विपर्यास हुआ है । अस्तु । अतः युक्ति और प्रामाणिक पागम से यही सिद्ध होता है कि शब्द पुद्गल द्रव्य की अवस्था विशेष है कुछ समय तक या प्रयोग विशेष अधिक काल तक रहने वाली पर्याय है इस शब्द में ऐसी ही वाचक शक्ति है कि वह वाच्यार्थ का ज्ञान कराती है। स्फोट के विषय में वैयाकरणवादी का अधिक प्राग्रह देख कर प्राचार्य ने समझाया कि अकारादि वर्ण और पद एवं वाक्य ये ही घट पट आदि अर्थ के वाचक हैं ये ही अर्थ की प्रतीति कराने में हेतु हैं। वक्ता के मुख से शब्द विनिर्गत होकर श्रोता तक पहुंचते हैं उससे श्रोता को ज्ञान हो जाता है इसके बीच में तीसरी कोई चीज नहीं है, नाद ध्वनि, स्फोट आदि सब मनगढंत कल्पनायें हैं। हां यदि शब्द सुनकर जो अर्थ प्रतिभास होता है जो कि ज्ञानावरण कर्म के क्षयोपशम स्वरूप है उसे स्फोट नाम देते हैं तो बात अलग है तब तो यही निरुक्ति होगी कि "स्फुटति प्रकटी भवति अर्थः अस्मिन इति स्फोटः चिदात्मा" अर्थात् जिसमें अर्थ स्फुट होता है वह आत्मा स्फोट है अथवा उसमें अभिन्न रूप से अवस्थित श्रु त ज्ञान स्फोट है। अतः अकारादि वर्ग, देवदत्तादि पद एवं वाक्य ये पुद्गल पर्याय रूप शब्द, घट, पट, गो, जीव, मनुष्य, पशु आदि चेतन अचेतन अर्थ, और प्रात्मा में स्थित ज्ञान इन तीनों को छोड़कर चौथा स्फोट नाम का कोई भी पदार्थ नहीं है ऐसा दृढ़ निश्चय हुआ।
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