Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 2
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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वेदापौरुषेयत्ववादः
४४६ दिशब्देना विशिष्टत्वाव दिकस्याग्न्यादिशब्दस्यार्थप्रतिपत्तिः; तहि पौरुषेयेणाविशिष्टत्वात्पौरुषेयोसौ कथं न स्यात् ? लौकिकस्य ह्यग्न्यादिशब्दस्यार्थवत्त्वं पौरुषेयत्वेन व्याप्तम् । तत्रायं वैदिकोऽग्न्यादिशब्दः कथं पौरुषेयत्वं परित्यज्य तदर्थमेव ग्रहीतु शक्नोति ? उभयमपि हि गृह्णीयाज्जह्याद्वा ।
न च लौकिकवैदिकशब्दयोः शब्दस्वरूपाठिशेषे संकेतग्रहणसव्यपेक्षत्वेनाऽर्थप्रतिपादकत्वे अनुच्चार्यमाणयोश्च पुरुषेणाऽश्रवणे समाने अन्यो विशेषो विद्यते यतो वैदिका अपौरुषेयाः शब्दा लौकिकास्तु पौरुषेया स्युः । संकेते(ता)नतिक्रमेणार्थप्रत्यायनं चोभयोरपि ।
न चापौरुषेयत्वे पुरुषेच्छावशादर्थप्रतिपादकत्वं युक्तम्, उपलभ्यन्ते च यत्र पुरुषैः संकेतिताः शब्दास्तं तमर्थमविगानेन प्रतिपादयन्तः, अन्यथा तत्संकेतभेदपरिकल्पनानर्थक्यं स्यात् । ततो ये
समान ही वैदिक अग्नि आदि शब्दसे अर्थबोध होना मानते हैं तो लौकिक शब्दके समान वैदिक शब्द को भी पौरुषेय मानना होगा फिर वेद पौरुषेय कैसे नहीं कहलायेगा ? लौकिक ( जन साधारणमें प्रयोग आने वाले ) अग्नि आदि शब्दोंका अर्थ पौरुषेयत्वके साथ व्याप्त है इस तरह जब सिद्ध है तब वैदिक अग्नि आदि शब्द पौरुषेयत्वको तो छोड़ देवे और मात्र उसके अर्थको ( वाच्य पदार्थ जो साक्षात् जलती हुई अग्नि नाम की चीज है उसको ) बतलावे ऐसा किसप्रकार हो सकता है ? वह शब्द या तो दोनों पौरुषेयत्व अपौरुषेयत्व धर्मोको छोड़ेगा या दोनोंको ग्रहण करेगा।
लौकिक शब्द और वैदिक शब्द इनमें शब्दत्व तो समान है तथा इस शब्दका यह अर्थ है इसप्रकारका संकेत ग्रहण जिसमें हो वही शब्द अर्थका प्रतिपादक बन सकता है ऐसी जो शब्दकी योग्यता है वह भी दोनों प्रकारके ( लौकिक वैदिक ) शब्दोंमें समान है, दोनों ही शब्द उच्चारण किये बिना पुरुष द्वारा सुनायी नहीं देते इतनी सब समानता है तब कैसे कह सकते हैं कि लौकिक शब्द तो पुरुषकृत ( पौरुषेय ) है और वैदिक शब्द पुरुषकृत नहीं है ? (अपौरुषेय है ) संकेतका अतिक्रमण किये बिना ही दोनों प्रकारके शब्द अर्थको प्रतीति कराते हैं अतः दोनोंमें समानता ही है ।
यह भी बात है कि वैदिक शब्दोंको अपौरुषेय मानते हैं तो उनका अर्थ पुरुषकी इच्छानुसार करना शक्य नहीं है, किन्तु देखा जाता है कि वैदिक शब्दोंका पुरुष द्वारा जिन जिन अर्थों में संकेत किया गया है उन उन अर्थोंका बिना विवादके
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