Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 2
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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तर्कस्वरूपविचारः
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सामर्थ्य नहीं रखता है तथा तर्क विसंवादक तो बिलकुल नहीं है इससे विपरीत अनुमान आदि में संवादक अवश्य होता है। यदि तर्क प्रमाण अन्य प्रमाण के विषय का परिशोधक है तो उसमें और भी अच्छी तरह से प्रमाणता सिद्ध होती है इस तरह तर्क प्रमाण निर्विवाद रूप से पृथक् प्रमाणभूत सिद्ध होता है ।
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