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प्रमेयक मलमार्त्तण्डे
योग्यत्वं हि यस्यास्ति तस्यैवारोपः । यश्चार्थो विद्यमानो नियमेनोपलभ्येत स एवारोपयोग्यः, न तु पिशाचादिः । उपलम्भकारण साकल्ये हि विद्यमानो घटो नियमेनोपलम्भयोग्यो गम्यते, न पुनः पिशाचादिः । घटस्योपलम्भकारण साकल्यं चैकज्ञानसंसर्गिरिण प्रदेशादावुपलभ्यमाने निश्चीयते । घटप्रदेशयोः खलूपलम्भकारणान्यविशिष्टानीति । यश्च यद्दे शाधेयतया कल्पितो घटः स एव तैनेकज्ञानसंसर्गी, न देशान्तरस्थः । ततश्चैकज्ञानसंसर्गिपदार्थान्तरोपलम्भे योग्यतया सम्भावितस्य घटस्योपलब्धिलक्षणप्राप्तानुपलम्भः सिद्धः ।
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ननु चैकज्ञानसंसर्गिण्युपलभ्यमाने सत्यपीतर विषयज्ञानोत्पादनशक्तिः सामग्रचाः समस्तीत्यवसातु ं न शक्यते, प्रभाववतो योगिनः पिशाचादेर्वा प्रतिबन्धात्सतोपि घटस्यैकज्ञानसंसर्गिरिण प्रदेशा
समाधान- नहीं, जिसमें आरोप की योग्यता होती है उसीका आरोप किया जाता है । जो विद्यमान पदार्थ नियमसे उपलब्ध होता है वही आरोप योग्य होता है न कि पिशाचादि । इसका भी कारण यह है कि उपलंभ ग्रर्थात् प्रत्यक्ष होने के सकल कारण मिलने पर विद्यमान घट नियमसे उपलंभ योग्य हो जाता है किन्तु पिशाचादि ऐसे नहीं होते । घटके प्रत्यक्ष होनेके सकल कारण तो एक व्यक्तिके ज्ञान संसर्गी उपलभ्यमान प्रदेशादि में निश्चित किये जाते हैं (अर्थात् जाने जाते हैं) घट और उसके
अर्थात् घट और उसका
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ग्रतः घट आरोप योग्य
रखनेका प्रदेश इन दोनोंके प्रत्यक्ष होनेके कारण समान है स्थान ये दोनों ही एक ही पुरुषके ज्ञानके द्वारा जाने जाते हैं है । पिशाच यादि ऐसे नहीं है अतः आरोप योग्य नहीं है । तथा जो घट जिस प्रदेशके आधेयपने से कल्पित हैं वही उससे एक पुरुषके ज्ञानका संसर्गी है, अन्य प्रदेशस्थ घट एक पुरुष के ज्ञानका संसर्गी नहीं है । इसलिये एक पुरुषके ज्ञानका संसर्गी पदार्थांतर अर्थात् भूतल का उपलंभ ( प्रत्यक्ष ) होनेपर दृश्यपने से संभावित घटका उपलब्धि लक्षण प्राप्त अनुपलंभ सिद्ध होता है ।
शंका - एक ज्ञान संसर्गी पदार्थांतर के उपलभ्यमान होने पर भी दूसरा विषय जो घट है उसके ज्ञानोत्पादनकी शक्ति है ऐसा उक्त सामग्रीसे निश्चय करना शक्य नहीं, क्योंकि किसी प्रभावशाली योगी द्वारा अथवा पिशाचादि द्वारा प्रतिबंध होवे तो घटके विद्यमान रहते हुए भी उसका एक ज्ञान संसर्गीभूत प्रदेशादिके उपलभ्यमान होते भी अनुपलंभ संभव है ? अर्थात् घटके रहते हुए भी किसी योगी प्रादिने उसको अदृश्य कर दिया हो तो उसका ग्रस्तित्व रहते हुए भी प्रनुपलंभ होता है दिखायी नहीं
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