Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 2
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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प्रमेयकमलमाण्डे
मुख्यं सांव्यवहारिकं च गदितं भानुप्रदीपोपमम्, प्रत्यक्षं विशदस्वरूपनियतं साकल्यवैकल्यतः । निर्बाधं नियतस्वहेतुजनितं मिथ्येतरैः कल्पितम्, तल्लक्ष्मेति विचारचारुधिषणैश्च तस्यलं चिन्त्यताम् ॥ १॥
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इति श्रीप्रभा चन्द्रविरचिते प्रमेयकमलमार्त्तण्डे परीक्षामुखालङ्कारे द्वितीयः परिच्छेदः समाप्तः ॥२॥
मुख्य प्रत्यक्ष और सांव्यावहारिक प्रत्यक्ष ऐसे प्रत्यक्ष के दो भेद इस अध्याय में कहे गये हैं, मुख्य प्रत्यक्षप्रमाण सूर्य के समान पदार्थों का प्रकाशक है, पूर्णरूप से विशद है, निर्बाध है, अपने सामग्री विशेष से उत्पन्न होता है । तथा सांव्यावहारिक प्रत्यक्ष प्रमाण दीपक के समान पदार्थों का प्रकाशक है । एकदेशविशद, निर्बाध, इंद्रियादि से जनित है । अन्य परवादी के द्वारा परिकल्पित प्रत्यक्षादि प्रमाणों का लक्षण सिद्ध नहीं होता है अतः मिथ्या है, इस प्रकार विचार करने में चतुर पुरुष अपने मन में निश्चय करें । अब इस विषय को समाप्त करते हैं । अलं विस्तरेण ।
इस प्रकार श्री प्रभाचंद्राचार्य विरचित प्रमेयकमलमार्त्तण्ड ग्रन्थ का दूसरा परिच्छेद पूर्ण हुआ ।
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