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कवलाहारविचार का सारांश
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करेंगे तो मार्ग का नाश हुआ जबकि गृहस्थ भी प्रायतनों में भोजनादि नहीं करते तो भगवान किस तरह करेंगे । देव भोजन देते हैं इस बात को पुष्ट करने वाला कोई प्रमाण नहीं है । तथा भगवान भोजन करने के अनन्तर प्रतिक्रमण करते हैं या नहीं ? करते हैं तो सदोष सिद्ध हुए ? जब साधु भोजनकथा करने मात्र से प्रायश्चित के भागी बनते हैं तो भगवान साक्षात भोजन करते हुए भी निर्दोष हैं यह बात श्रद्धा मात्र है | भगवान भोजन करते समय किसी को दिखत नहीं ऐसी आपकी युक्ति विचार करने पर शतधा जीर्ण हो जाती है इत्यादि अनेक दोषों से बचने के लिये केवली कवलाहार रहित ही है ऐसा निर्दोष पक्ष स्वीकार करना चाहिये ।
॥ कवलाहारविचार का सारांश समाप्त ॥
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