Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 2
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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प्रमेयकमलमार्त्तण्डे
व्यभिचारित्वेन विरुद्धत्वात् । उभयधर्मोप्यनैकान्तिकः सत्तासाधने; तदुभयव्यभिचारित्वात् ।
अपि चाविशेषेण सर्वज्ञः कश्चित्साध्यते, विशेषेण वा ? तत्राद्यपक्षे विशेषतोऽर्हत्प्रणीतागमाश्रयणमनुपपन्नम् । द्वितीयपक्षे तु हेतोरपरसर्वज्ञस्याभावेन दृष्टान्तानुवृत्त्यसम्भवादसाधारणानैकान्तिकत्वम् ।
किञ्च यतो हेतोः प्रतिनियतोऽर्हन् सर्वज्ञः साध्यते ततो बुद्धोपि साध्यतां विशेषाभावात्, न
हेतु अनेकान्तिक दोष युक्त होगा, क्योंकि सर्वज्ञता रूप साध्य तो सत्ता स्वभाव वाला है और उसमें हेतु प्रयुक्त किया सत्ता असत्ता दोनों स्वभाव वाला ।
हम मोमांसक आप जैन से प्रश्न करते हैं कि यह जो सर्वज्ञ सिद्ध किया जा रहा है वह सामान्य से कोई एक पुरुषरूप सिद्ध करेंगे अथवा विशेष रूप से अहंत पुरुष विशेष सिद्ध करेंगे ? प्रथम पक्ष तो ठीक नहीं, क्योंकि इसमें अर्हंत भगवान के द्वारा प्रणीत आगम ही सत्य है उसी का आश्रय लेते हैं इत्यादि आपकी मान्यता बनती नहीं है । मतलब जब सामान्य से सर्वज्ञ सिद्ध किया तो वह अर्हत ही होवे सो बात नहीं, फिर उसी के आगम को मानने का पक्ष खंडित होता है । दूसरा पक्ष विशेष रूप से अर्हत रूप सर्वज्ञ को सिद्ध करते हैं तो उसको सिद्ध करने वाले अनुमान में दृष्टान्त नहीं रहता है क्योंकि अर्हत को छोड़कर अन्य सुगत आदि को सर्वज्ञ माना नहीं है फिर दृष्टान्त किसका देवें ? बिना दृष्टान्त के हेतु असाधारण अनेकान्तिक बन
जायगा ।
भावार्थ::- हम मीमांसक के यहां असाधारण अनैकान्तिक हेतु का यह लक्षण है कि जो विपक्ष ओर सपक्ष दोनों से व्यावृत्त हो, जैसे शब्द अनित्य है, क्योंकि सुनायी देना रूप धर्मं उसमें पाया जाता है । इस उदाहरण में जो श्रावणत्व हेतु है वह अपना विपक्षी जो नित्य आत्मादि पदार्थ हैं उनसे व्यावृत्त होता है तथा सपक्षी जो पट आदि पदार्थ हैं उससे भी व्यावृत्त होता है, क्योंकि इनमें श्रावणत्व नहीं है, सो ऐसा हेतु असाधारण अनैकान्तिक कहलायेगा, सर्वज्ञ सिद्धि में भावाभाव धर्म वाला हेतु इसी दोष से दूषित है ।
तथा यह भी बात है कि आप जैन जिस हेतु से प्रतिनियत प्रहंत को सर्वज्ञ सिद्ध करते हैं उसी हेतु से बुद्ध भी सर्वज्ञ हो सकता है कोई विशेषता तो नहीं है । सर्वज्ञपने को सिद्ध करने के लिये जैन के पास कोई विशेष हेतु हो सो बात नहीं है ।
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