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ईश्वरवाद का सारांश
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से निर्माण करता है (यदि सुख साधन ही बनाता तो दुख रूप पाप अदृष्ट का नाश न होता फिर मोक्ष भी कैसे मिलता) यह जैन का कहना भी ठीक नहीं कि सारा काम अदृष्ट ही करे क्योंकि अदृष्ट अचेतन है, वार्तिकाकार अविद्धकर्ण, प्रशस्तमति, उद्योतकर इत्यादि महान व्यक्तियों ने भी उस ईश्वर का अनादि सर्वज्ञपना स्वीकार किया है।
उत्तरपक्ष-जैन इनके मंतव्य का निरसन करते हैं, आप योग के कार्यत्व और सावयवत्व हेतु सदोष है । पहले आपने कार्यत्व हेतु से बुद्धिमान कर्ता को सिद्ध किया, फिर कार्यत्व को भी सावयवत्व के द्वारा सिद्ध किया अब यह बता दो कि सावयवत्व किसे कहते हैं ? अवयवों के साथ रहना या अवयवों से उत्पन्न होना ? अवयवों के साथ रहना कहो तो सामान्य के साथ व्यभिचार है क्योंकि वह अवयवों के साथ रहकर भी किसी का कार्य नहीं है, इस तरह दूसरा पक्ष भी बेकार है । आप ज्ञान, इच्छा और प्रयत्न को ही कार्य का कर्ता मानते हैं किन्तु वह आपको ही घातक होगा । मुक्तात्मा में ज्ञानादि हैं वे भी सृष्टि रचना शुरू कर देगें ? तथा ऐसा बिना शरीर के कार्य करते हुए जगत में देखा भी नहीं जाता है । बुद्धिमान में बुद्धि व्याप्त होकर रहती है या अव्याप्त यह भी एक जटिल प्रश्न है ? आपने कहा कि अदृष्ट की सहायता से कार्य करता है सो उनके परतंत्रता का ही सूचक है, धूमादि सभी हेतुओं को संदिग्धानकान्तिक बताना अज्ञानता है, धूमादि हेतु सामान्य अग्नि को ही सिद्ध करते हैं, न कि विशेष किसी अग्नि को, सारांश यह है कि सामान्य हेतु विशेष साध्य को सिद्ध नहीं करता । आपने कार्यत्व सामान्य तो हेतु दिया और उससे विशेष बुद्धिमान कारण रूप (ईश्वर) साध्य को सिद्ध करना चाहा सो कैसे संभव हो ? कार्यत्व सामान्य तो सामान्य कारण मात्र को सिद्ध करता है, इसी तरह का कार्य कारण भाव सभी वादी प्रतिवादियों ने स्वीकार किया है । ईश्वर की बुद्धि को क्षणिक कहते हो तो उसको बनाने वाला कौन है ? अन्य बुद्धिमान है तो अनवस्था होगी और स्वतः ही बुद्धि पैदा होती है कहो तो उसी से कार्यत्व हेतु व्यभिचारी हुअा ? क्योंकि बुद्धि, कार्यरूप होते हुए भी अपने आप उत्पन्न हुई ! फिर तो सारे ही पृथ्वी आदि पदार्थ स्वतः क्यों न होवे । यदि बुद्धि को अक्षणिक मानों तो शब्द को क्षणिक सिद्ध करने वाला अनुमान गलत ठहरेगा अर्थात् “शब्द क्षणिक है, हमारे प्रत्यक्ष होकर अमूर्त द्रव्य का विशेष गुण है" यह जो अनुमान है इसका हेतु अनेकान्तिक है क्योंकि इसमें तो जो
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