Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 2
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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प्रमेयकमलमार्तण्डे
बुद्धिमत्कारण मित्यत्र च मत्वर्थस्य साध्य विशेषणस्यानुपपत्तिः । बुद्धिमतो हि बुद्धिर्व्यतिरिक्ता वा, अव्यतिरिक्ता वा ? तत्र तस्यास्ततो व्यतिरेकैकान्ते तस्येति सम्बन्धस्याभावः । सा हि तस्य तद्गुणत्वात्, तत्समवायाद्वा, तत्कार्यत्वाद्वा, तदाधेयत्वाद्वा स्यात् ? न तावत्तद्गुणत्वात्सा तस्येत्यभिधातव्यम्; ततो व्यतिरेकैकान्ते सा तस्यैव गुणो नाकाशादेरिति व्यवस्थापयितुमशक्त: । नापि तत्समवायात्; तस्यैवासम्भवात् । सम्भवे वा तस्य ताभ्यां भेदैकान्ते व्यवस्थापकत्वायोगात्सर्वत्राविशेषाच्च । तत्कार्यत्वात्सा तस्येति चेत्; कुतस्तत्कार्यत्वम् ? तस्मिन्सति भावात्; आकाशादौ प्रसङ्गः । तदभावेs भावाच्चेन्न; नित्यव्यापित्वाभ्यां तस्य तदयोगात् । तदाधेयत्वात्सा तस्येति चेत्; किमिदं तदाधेयत्वं नाम ? समवायेन तत्र वर्त्तनं चेत्तत्कृतोत्तरम् । तादात्म्येन वर्त्तनं चेन्न; अनभ्युपगमात् । सम्बन्धमात्रेण वर्त्तनं चेत्; तहि घटादेर्भूतला दिगुणत्वप्रसङ्गः, सम्बन्धमात्रेण वर्त्तमानस्य तस्य तदाधेयत्वसम्भवात् ।
होने से उसको कहलाती है या उसमें समवाय होने से, उसका कार्य होने से, अथवा उसका प्राधेय होने से उसको कहलाती है ? बुद्धि बुद्धिमान का गुण होने से उसकी कहलाती है ऐसा प्रथम विकल्प नहीं मान सकते क्योंकि बुद्धिमान से सर्वथा भिन्न उस बुद्धि को बुद्धिमान का ही गुण है आकाशादि का नहीं है इस प्रकार व्यवस्था करना अशक्य है । उसमें समवाय होने से बुद्धिमान की बुद्धि कहलाती है, ऐसा द्वितीय विकल्प भी समवाय का असंभव होने से ठीक नहीं है । संभावना हो भी जाय तो उसका बुद्धि और बुद्धिमान से सर्वथा भेद होने के एवं सर्वत्र अविशेष रूप से व्यापक होने के कारण यह इस बुद्धिमान की बुद्धि है ऐसा व्यवस्थित नहीं होता है । बुद्धि बुद्धिमान कार्य होने से उसकी कहलाती है ऐसा तीसरा पक्ष कहें तो बुद्धिमान का कार्य बुद्धि है यह किस हेतु से सिद्ध होगा ? उसके होने पर होना रूप हेतु से कहो तो आकाशादि हेतु चला जाता है । उसके न होने पर नहीं होना रूप हेतु द्वारा बुद्धि बुद्धिमान का कार्य है ऐसा सिद्ध होता है इस तरह कहना भी गलत है, क्योंकि नित्य और व्यापक होने से इसके न होने पर नहीं होता ऐसा बुद्धिमान में घटित नहीं हो सकता है । उसका प्राधेय होने से बुद्धि बुद्धिमान की कहलाती है ऐसा कहो तो बताइये कि उसका प्राधेयपना क्या है ? समवाय से बुद्धिमान में रहना तदाधेयत्व है ऐसा कहना शक्य नहीं क्योंकि इस विषय में उत्तर दे चुके हैं । तादात्म्य रूप से रहना तदाधेयत्व है ऐसा कहना भी अशक्य है क्योंकि यौग के यहां तादात्म्य को नहीं माना है । सम्बन्ध मात्र से रहना तदाधेयत्व है, ऐसा कहो तो घट आदि पदार्थ भूमि आदि
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