Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 2
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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प्रमेयकमलमार्तण्डे
विशेषाभावात् । तथाहि-प्रात्मनो मिथ्याज्ञानादिः पुद्गलविशेषसम्बन्धनिबन्धनः तत्स्वरूपान्यथाभावस्वभावत्वात् उन्मत्तकादिजनितोन्मादादिवत् । न च मिथ्या ज्ञा नजनितापरमिथ्याज्ञानेनानेकान्ता; तस्यापरापरपौद्गलिककर्मोदये सत्येव भावात् अपरापरोन्मत्तकादिरससद्भावे तत्कृतोन्मादादिसन्तानवत् ।
ननु चात्म गुणत्वात्कर्मणां कथं पोद्गलिकत्वमित्यन्ये; तेप्यपरीक्षकाः; तेषामात्मगुणत्वे तत्पारतन्त्र्यनिमित्तत्वविरोधात् सर्वदात्मनो बन्धानुपपत्त: सदैव मुक्तिप्रसङ्गात् । न खलु यो यस्य गुणः स तस्य पारतन्त्र्यनिमित्तम् यथा पृथिव्यादे रूपादिः, आत्मगुणश्च धर्माधर्मसंज्ञकं कर्म परैरभ्यु पगम्यते इति न तदात्मनः पारतन्त्र्यनिमित्त स्यात् । न चैवम् , प्रात्मनः परतन्त्रतया प्रमाणतः
रूप सिद्ध करते हैं आत्मा में जो मिथ्याज्ञानावि विकार है वह पुद्गल विशेष के संबंध के कारण ही है, क्योंकि ये मिथ्याज्ञानादिक प्रात्म स्वरूप से भिन्न स्वभाव वाले हैं, जैसे प्रात्मा से भिन्न उन्मत्तक पदार्थ से प्रात्मा में उन्मत्तता पाती है। इस “तत्स्वरूपअन्यथाभावस्वभावत्व" हेतु का मिथ्याज्ञान से उत्पन्न हुए दूसरे मिथ्याज्ञान के साथ अनेकांत भी नहीं होता, अर्थात् अन्य मिथ्याज्ञान से यह हेतु व्यभिचरित नहीं होता, वह अपर मिथ्याज्ञान भी अपर अपर पौद्गलिक कर्म के उदय से होता है, जैसे उन्मत्त करने वाले अन्य अन्य मदिरा आदि रस के निमित्त से अन्य अन्य उन्माद की दशा होती है, उसकी परंपरा चलती रहती है ।
शंकाः-कर्म को आत्मा का गुण मानते हैं अतः उसको पौद्गलिक कैसे कह सकते हैं ?
समाधानः-यह कथन असत् है कर्म को आत्मा का गुण मानेंगे तो वह आत्मा के परतंत्रता का कारण बन नहीं सकता और इस तरह आत्मा के कभी भी बंधन नहीं होवेगा वह तो सदा मुक्त ही रहेगा । आप योग जिस धर्म अधर्म संज्ञक अदृष्ट को कर्म कहते हैं वह परतंत्रता का कारण नहीं हो सकता, क्योंकि उसे आत्मा का गुण मान लिया है । जो जिसका गुण होता है वह उसी के परतंत्रता का कारण नहीं हो सकता जैसे पृथ्वी आदि के रूपादि गुरण उसी पृथ्वी के विरोधक नहीं होते। आप धर्म अधर्म संज्ञक अदृष्ट कर्म को प्रात्मा के गुण बता रहे प्रतः वह प्रात्मा के परतंत्रता का निमित्त नहीं हो सकता । आत्मा परतंत्र नहीं सो भी बात नहीं है
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