Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 2
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
View full book text
________________
ABPagsDDDDDDDDDDD
प्रावरणविचारः reliled::bile::888:6BBBBBBBBR
PASSB
पथेदानी मुख्यप्रत्यक्षप्ररूपणस्यावसरप्राप्तत्वात् तदुत्पत्तिकारणस्वरूपप्ररूपणायाह
सामग्रीविशेषविश्लेषिताखिलावरणमऽतीन्द्रियमशेषतो मुख्यम् ॥१२॥
'विशदं प्रत्यक्षम्' इत्यनुवर्तते । तत्राशेषतो विशदमतीन्द्रियं यद्विज्ञानं तन्मुख्यं प्रत्यक्षम् । किविशिष्ट तत् ? सामग्री विशेषविश्लेषिताखिलावरणम् । ज्ञानाबरणादिप्रतिपक्षभूता होह सम्यग
अब यहां पर मुख्य प्रत्यक्ष के उत्पत्ति का कारण तथा स्वरूप सूत्र द्वारा प्ररूपित किया जाता है:
सामग्री विशेष विश्लेषिताखिलावरण
मतीन्द्रिय मशेषतो मुख्यम् ॥१२॥ सूत्रार्थ:- द्रव्यादि सामग्री विशेष के द्वारा नष्ट हो गये हैं संपूर्ण आवरण जिसके ऐसे अतीन्द्रिय तथा पूर्णज्ञान को मुख्य प्रत्यक्ष कहते हैं ।
विशद ज्ञान को प्रत्यक्ष कहते हैं ऐसा प्रकरण चल रहा है उसमें जो पूर्णरूप से विशद हो तथा अतीन्द्रिय हो वह ज्ञान मुख्य प्रत्यक्ष या पारमार्थिक प्रत्यक्ष कहलाता है। वह कैसा है ? सामग्री विशेष से नष्ट हो गये हैं संपूर्ण प्रावरण जिसके ऐसा है। यहां पर ज्ञानावरण आदि कर्मों के प्रतिपक्ष स्वरूप जो सम्यग्दर्शन आदिक है वह अंतरंग सामग्री कहलाती है और अनुभव, योग्य देशका लाभ काल, द्रव्य आदि का होना बहिरंग सामग्री है, यह अनेक प्रकार की है, इन दोनों सामग्री का होना सामग्री
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org