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भावबोधिनी टीका. द्वादशसमवाये भिक्षुप्रतिमादिनिरूपणम्
१५९ तत् करोति, तस्य साधोरेवं विधो वन्दनादिविधिरशठप्रवृत्तिरिति स संभोग्य एच । इत्यष्टमः संभोगः८। 'वेयावच्चकरणे इ य' वैयावृत्त्यकरणमिति, वैयात्रत्यम-आहारोपधिदानादिना प्रस्रवणादिमात्रकाऽर्पणादिनाऽधिकरणोपशमनेन साहाग्यदानेन वा उपष्टम्भकरणम् । वैयावयविषयेऽपि पूर्ववदेव संभोगासंभोगौ भवतः । इति नवमः९। 'समोसरणं' समवसरणम्-बहूनां साधूनामेकत्रावस्थानम् । तद् द्विविधम्-निरवग्रहम् सावग्रहं च । क्षेत्रमाश्रित्य निरवग्रहम् साधनामप्रतिबन्धविहारित्वात् । वसतिमाश्रित्य सावग्रहम्, वसतिस्थितसाधूनामवग्रहमादायैव को जितना बनता है उतना करता है, इस तरह उस साधु की इस प्रकार की जो वंदनादिविधि है वह अशठ-कपटरहित प्रवृत्ति है, इसलिये वह साधु संभोग्य ही है८। यावत्यकरण-यह संभोग का नववां भेद है-वैयात्य का तात्पर्य है योग्य साधनों को जुटाकर, अथवा अपने आप को काम में लगाकर सेवाशुश्रूषा करना। इसी बात को टीकाकार यों बताते हैं कि-आहार, उपधि आदि के देने से, प्रस्रवण आदि के परिष्ठापन के लिये मात्रकादि के देने से अधिकरण के उपशमन से अथवा और भी विषय में सहायता करने से गुर्वादिजनों को सहायक होना इसका नाम वैयावृत्य है। इस वैयाकृत्य के विषय में भी पूर्व की तरह संभोग और असंभोग होते है९। समवसरण-अनेक साधुओं का एक जगह रहना। यह दो प्रकार का है-एक निरवग्रह और दूसरा सावग्रह । क्षेत्र को आश्रित करके निरवग्रह समवसरण होता है, क्यों कि साधु जनों का विहार प्रतिबंध से रहित होता है। वसति की आश्रित ક્રિયાઓ બની શકે એટલા પ્રમાણમાં કરે છે. તે સાધુની આ પ્રકારની જે વંદનાવિધિ छत ४५८ २डित सोपान ४२0 ते साधु सभोग्य ४ सय छ. () वैयावृत्य करण-सा सलगना नवमी : छ. वैयावृत्य भेटवे योग्य साधना से शन અથવા પોતાની જાતને જ કામમાં લગાડીને શુશ્રષા કરવી. એ જ વાતને ટીકાકાર આ પ્રમાણે સમજાવે છે–આહાર, ઉપધિ, આદિ દેવાથી, પ્રસ્ત્રવણુ મૂત્ર આદિનું પરિ. હઠાપન કરવાને માટે દેવાથી. અધિકરણના ઉપશમનથી અથવા બીજી બાબતમાં મદદ કરીને ગુરૂ આદિને સહાય કરવી તેનું નામ વૈયાવૃત્ય છે, વૈયાવૃત્યની બાબતમાં ५५ मा प्रमाणे १ समास भने असा याय छे. (१०) समवसरणઅનેક સાધુઓનું એક જગ્યાએ રહેવું તેને સમવસરણ કહે છે તે બે પ્રકારનું છે. (૧) નિરવગ્રહ (૨) સાવગ્રહ નિરવગ્રહ સમવરસણ ક્ષેત્રને આધારે થાય છે, કારણ કે સાધુઓને વિહાર પ્રતિબંધ રહિત હોય છે. સાવગ્રહ સમવસરણ વસતિને (વસવાટ)
શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર