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समवायाङ्गसूत्रे
७१८ जिन प्रश्नो का प्रतिपादन किया है उन प्रश्नों के तथा (अइसयगुण उवसमणाणप्पगारपायरियभासियाणं ) अतिशयगुणोपशमनानाप्रकाराचार्यभाषितानाम्-आमर्शऔषधी आदि लब्धिरूप अतिशयों वाले, ज्ञानादिक गुणों वाले एवं रागादिकों के उपशम वाले ऐसे अनेक प्रकार की योग्यता वाले आचार्य जनों ने जिन प्रश्नों का कथन किया है उन प्रश्नों के (वीरमहेसीहिं) वीरमहर्षिभिः तथा वीर भगवान् के वचन-सिद्धान्त में स्थित हुए महर्षिजनों ने (वित्थरेण) विस्तरेण-विस्तार से(विविह वित्थरभासियाणं) विविधविस्तरभाषितानां-जिनप्रश्नों को विविध विस्तार के साथ कहा है (जगहियाणं) जगद्धितानाम्-तथा जगत के उपकारक (अद्दागंगुटबाहु असिमणिखोमआइचमाइयाणं ) आदर्शाङ्गुष्ठ-वाहसिमणिक्षौमादित्यादिकानाम्-आदर्श-दर्पण, अंगुष्ठ, बाहु, असि-तलवार मरकत आदि मणि, अतसी अथवा कपास से निर्मित वस्त्र, आदित्य-सूर्य, कुडय-भित्ति, शंख और घंटा आदि से जो प्रश्न संबंध रखते हैं (विविहमहापसिणविजामणपसिणविज्जादेव य पयोगपहाणगुणप्पगासियाणं) विविधमहाप्रश्न विद्या मनः प्रश्न विद्या देवतप्रयोग प्रधानगुण प्रकाशितानाम्-पूछे गये प्रश्नों का उत्तर देने वाली जो विद्याएँ हैं वे महाप्रश्न विद्याएं हैं। मन में स्थित प्रतिपादन ४यु छ त प्रश्नानु तथा (अइसयगुणउवसमणाणप्पगारपायरिय भासियाणं ) अतिशयगुणोपशमनाना-प्रकाराचार्यभाषितानाम्-मामश ઔષધી આદિ લબ્ધિરૂપ અતિશયોવાળા, જ્ઞાનાદિક ગુણોથી યુક્ત, અને રાસા દિકથી વિરકત એવી અનેક પ્રકારની યોગ્યતાવાળા આચાર્યોએ જે પ્રનોનું ४यन यु छ तमनु (वीरमहेसोहि) वीरमहर्षिभिः-तथा वा२ सापानना वयन-सginमा-शासनमा गये। महर्षि मागे (वित्थरेण) विस्तरेण-विस्ता२थी ( विविहवित्थरभासियाणं ) विविधविस्तरभाषितानाम्-- प्रश्नाने विविध विस्तार पूर्व सभा०या छे तेभनु, तथा (जगहियाणं) जगद्धितानाम्
तन! 6५१२४ ( अद्दागंगुट्टबाहुअसिमणिखोमआइच्चइयाणं ) आदर्शागुष्ठवाहसिमणिक्षौमादित्यादिकानाम्-मा-६५, म गु०४. माड, २, મરકત આદિ મણિઅતસી અથવા કપાસમાંથી બનાવેલાં વસ્ત્રો, સૂર્ય, કુષ્ય-ભિત્તિ, शम भने 42 मा साथै संधित प्रश्नानु'-(विविह-महापासिण-विजामणपसिण-विजादेव य पयोगपहाण-गुणप्प-गासिघाणं) विविधमहाप्रश्न विद्या - मनःप्रश्नविद्यादेवतप्रयोगमधानगुणप्रकाशितानाम्--पूछेसा प्रश्नाना ઉત્તર દેનારી જે વિદ્યા છે તેને મહાપ્રશ્નવિદ્યા કહે છે. મનમાં ઉત્પન્ન
શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર