Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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समवायाङ्गसूत्रे
(उस्सप्पिणी गंडियाओ) उत्सर्पिणीगण्डिकाः - इसमें उत्सर्पिणी का वर्णन है | ( सप्पिणीगंडियाओ) अवसर्पिणीगंडिका :- इसमें अवसर्पिणी का वर्णन है। (अमरनरतिरियनिरयगइगमण विविपरियहणाणुओगे) अमरनर तिर्यङ् निरयगतिगमन विविध पर्यटनानुयोगः:- तथा अमर, नर, तिर्यञ्च, निरय इन चार गतियों में जो गमन हैं उन गमनों में जो विविध पर्यटन है - परिभ्रण (एमाइयाओ गंडियाओ आघविज्जति) एवमादिकाः गण्डिकाः आख्यायन्तेइस प्रकार गंडिकाओं का तथा इसी तरह की और भी दूसरी गंडिकाओं का सामान्यविशेषरूप से कथन है। (पण्णविज्जंति, - परुविज्जति, दंसिज्जंति, निदंसिज्जति, उवदंसिज्जति प्रज्ञाप्यन्ते, प्ररूप्यन्ते, दर्श्यन्ते, निदर्श्यन्ते, उपदन्ते, इन क्रियापदों का अर्थ पहिले के तरह जान लेना चाहिये । ( से तं insurgओगे) स एष गडिकानुयोग :- इस प्रकार यह गंडिकानुयोग का स्वरूप है। दृष्टिवाद का जो पांचवां भेद चूलिका है उसके विषय में शिष्य पूछता है (से किं तं चूलियाओ ?) अथ कास्ता चूलिका:- हे भदंत । चूलिका का क्या स्वरूप है ? उत्तर - ( जणं) यत् खलु (आइल्लाणं चउन्हं पुव्वाणंचुलियाओ) आदिमानां चतुणां पूर्वाणां चूलिका:- उत्पादपूर्व से लेकर अतिनास्तिप्रवाद पूर्वतक के अर्थात् उत्पादपूर्व, अग्रेयणीयपूर्व, वीर्यप्रवाद पूर्व, तेमां उत्सर्पिशी वन छे. (श्रसप्पिणीगंडियाओ) अवसर्पिणीगंडिका:तेभां अवसर्पिथी वासुन छे. (अमरनरतिरियनिरियग इगमण बिविहपरियहणाणुओगे) अमरनर तिर्यङ् निरयगतिगमनविविध पर्यटनानुयोग:- था अभर, नर, નિયÖચ અને નારકી એ ચાર ગતિયામાં જે ગમન થાય છે, તે ગમનેામાં જે विविध पर्यटन-परिश्रमाणु थाय छे तेनु वर्णन यु छे. (एवमाइयाओ गंडियाओ आघविज्जति) एवमादिकाः गण्डिकाः आख्यायन्ते - रीते गंडिअनुयोगना ઉપરોકત પ્રકારની ગ ંડિકાઓનું તથા તે પ્રકારની અન્ય ગડિકાઓનું પણ સામાન્ય a fazia à ag y 3, (fasifa, qefasifa, ¿fasáfa, निसिज्जति, उवदंसिज्जति) प्रज्ञाप्यन्ते, प्ररूप्यन्ते, दर्यन्ते, निदर्यन्ते. उपदर्श्यन्ते, ते या होनां अर्थ मागण मताच्या प्रमाणे समन्वा (से तं गंडिया णुओगे) स एष गण्डिकानुयोगः- डिमानुयोगनुं खावु स्व३५ छे.
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हुवे दृष्टिबाहना पांयमा लेह यूसिया विषे शिष्य पूछे छे - (से किं तं चूलियाओ) अथ कास्ता चूलिकाः ? - हे लहन्त ! यूसिनु स्व३५ ठेवु छे ? उत्तर (जणं) यत् खलु (आइलाणं चउन्हं पुध्वाणं चूलियाओ) आदिमानां चतुर्णा पूर्वाणां चूलिका:- उत्पाद्यपूर्व थी लाने अस्तिनास्ति प्रवाहपूर्व सुधीना यार पूर्वोनी એટલે કે ઉત્પાદપૂ, અગ્રેયણીયપૂર્વ, વીય પ્રવાદપૂર્વ અને અસ્તિનાસ્તિપ્રવાદપૂર્વની
શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર