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भावबोधिनी टीका. असुरकुमाराद्यावासनिरूपणम्
९१७ कोठग रइया-जर्धचत्वरिंशत् कोष्ठक रचितानि) अडतालीस प्रकार की रचना वाले कमरों से ये युक्त हैं (अडयाल कयधणमाला-अष्टचत्वारिंशत् कृतवनमालानि) अडतालीस प्रकार की प्रशस्य वनमाला से ये सहित-अर्थात् युक्त है। ( लाटल्लोइयमहिया-लेपोल्लेपम हितानि) इनकी भूमि लेप और उपलेप से युक्त हैं (गोसीससरसरत्तचदणदद्दरदिण्णपंचंगुलितला-गोशीर्षे सरस. रक्तचन्दनदर्दरदत्तपञ्चागुलितलानि) गाढे गोशीर्ष चंदन और सरसरक्त चंदन के लेप से इनकी भित्तियों पर पंच अंगुलियां ओर हथेलियों जैसे लगी हो वैसे मालूम होते हैं (कालागुरु पवर कुंदुरुकतुरुक्कडझंतधूव मघमघतगंधुद्धयाभिरामा )--कालागुरु प्रवरकुन्दुरुप्कतुरुष्कदह्यमानधूपप्रसरतगंधोद्धताभिरामाणि) इनके भीतर कालागुरु, श्रेष्ठ कुन्दरुष्क और तुरुष्क लोमान इनके जलते हुवे धूप से भी जहां अधिक सुगन्ध आती है (सुगंधवरगंधिया सुगन्धवरगन्धितानि) अच्छोर श्रेष्ठगंधो से ये बहत अधिक सुगन्धवाले हैं। (गंधवभूिया-गन्धवर्तिभृतानि) इसलिये ऐसे प्रतीत होते हैं कि मानों ये सुगंध द्रव्य से निष्पादित अगरबत्ती जैसे ही हैं। (अच्छा-अच्छानि) आकाश और स्फटिक के समान ये बिलकुल सब तरफ से स्वच्छ अर्थात् निर्मल हैं। (सहा-लक्षणानि) चिकने परमाणु स्कन्ध अयोध्य छे. ( अडयालकोटगरइया-अर्धचत्वारिंशत् कोष्ठकरचितानि )-- ते लपन। ४८ ४१२नी स्यनावाजा मा२माथी युताय छे, अडयालकयव णमाला-अष्टचत्वाशिंत्कृतवनमालानि ) भने ४८ ४२नी उत्तम वनभाणासोनी युत आय छे. (लाउलोइय महिया-लेपोलेपमहितीन ) ते सपनाना तजियाना लाग ५२ से५ मन G५ ४२ हाय छे. (गोसीस सरसरत्तचंदण ददरदिण्ण पंचंगुलितला-गोशीर्ष सरसारक्तचन्दन दर्दरदत्त पश्चाजुलितलानि) ગાઢ ગોશીષચન્દન અને સરસ રકતચંદનના લેપથી તેની દિવાલ પર પાંચે આંગ
यो मने दीयानां निशान पडयां डाय मे लागे छ. ( कालागुरुपवरकुंदुरुक्कतुरुकउज्झंतधूवमघमघतगंधुद्ध-याभिरामा-कालागुरुप्रवरकुन्दुरुष्क तुरुष्क दह्यमानधूप प्रसरत गंधोधताभिरामाणि )-ते सपनामा मा. श्रे કુન્દરૂછ્યું, અને તુરુક લોબાનના ધૂપને સળગાવવાથી આવતી સુગંધ કરતાં પણ
धारे सुग५ मा छ, (सुगंधवरगंधिया-सुगन्धवरगन्धितानि ) श्रेष्मा श्रेष्ठ सुगवि प ४२०i ५६ ते सपनो धारे सुगन्धयुत डाय छे. (गंधवधिभूयागन्धवर्ति भूतानि) तेथी ते लपन। सुषि-द्रव्याथी युत २०१२मत्ती २ai मागे छ (अच्छा-अच्छानि) ते सपने। यारे त२३थी 24131 भने २५टि समान १२७(सहा- लक्षणानि) सुजां ५२मा २४न्धमाथी तमना स्यना थवाने १२ ते
શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર