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भावबोधिनी टीका. गुणनिर्देशपूर्वकं बलदेववासुदेवनामनिरूपणम् १०९५ कुंचनिग्धोसदुंदुभिसरा कडिसुत्तगनीलपीयकोसेजवाससा पवरदित्ततेया नरसीहा नरवई नरिंदो नरवसहा मरुयवसभकप्पा अब्भहियरायतेयलच्छीए दिप्पमाणा नीलगपीयगवसणा दुवे दुवे रामकेसवा भायरो होत्था, तं जहा-तिविटू जाव कण्हे अयले जाव रामे यावि अपच्छिमे ॥५४॥ सू० २०७॥
अब सूत्रकार बलदेव और वासुदेवों के गुण निर्देशपूर्वक नामो का कथन करते हैं--
शब्दार्थ--(जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए) जम्बूद्वीपे खलु द्वीपे भारते वर्षेऽस्यामवसर्पिण्यां-इस जंबूद्वीप के वर्तमान भरतक्षेत्र के अन्दर इस अवसर्पिणीकाल में (नव दसारमंडला होत्था) नव दशारमण्डलानि आसन्-नौ वासुदेव और बलदेव हुए है (तंजहा) तद्यथा-(उत्तमपुरिसा) उत्तमपुरूषाः-तीर्थंकरादिक ५४ उत्तमपुरूषों के मध्यवर्ती होने के कारण उत्तमपुरुष, (मज्झिम पुरिसा) मध्यमपुरूषाः-तीर्थकर चक्रवर्ती और वासुदेव आदिकों के बल आदि की अपेक्षा मध्यवर्ती होने के कारण मध्यमपुरुष,(पहाणपुरिसाः) प्रधानपुरुषा:-उन के समय में उत्पन्न हुए पुरुषों में शौर्य आदि की अपेक्षा प्रधान होने के कारण प्रधानषुरुष माने जाते हैं (ओजंसी)ोजस्विनः-ओजस्वी प्रतापशाली थे, (तेयंसी तेजस्विन:-तेजस्वी थे,
હવે સૂત્રકાર બળદેવો અને વાસુદેવના ગુણોના નિર્દેશ સહિત તેમનાં નામે કહે છે – ____ शार्थ-(जंबूद्दीवे ण दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए) जम्बू द्वीपे खलु द्वीपे भारतेवर्षेऽस्यामवसर्पिण्यां- दीपना भरतक्षेत्रमा मा असपि मा (नवदसारमंडला होत्था) नव दशारमण्डलानि आसन्न५ पासुदृ५ भने महेव या छे. (तं जहा) तद्यथा-(उत्तमपुरिसा) उत्तमपुरुषा:-तीर्थ ४ ५४ उत्तम पुरुषामा मध्यवती पाने रणे उत्तमपुरुष, (मज्झिमपुरिसा) मध्मपुरुषा:-तीय ४२, 24ती भने वासुदेव माहिना मगनी अपेक्षा मध्यवती डावाने ४(२२ मध्यमपुरुष भने (पहाणपुरिषा)प्रधानपुरुषा:તેમના સમકાલીન પુરુષોની અપેક્ષાએ શૌય આદિ બાબતમાં પ્રધાન હોવાને ४।२६ भने प्रधान पुरुष वामां आवे छे. (ओजंसी) ओजस्विन:-ते। मारवी, (तेयंसी) तेजस्विनः--तेजस्वी, (वचंसी) वर्चस्विनः-१२-पी,
શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર