Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 1165
________________ १९४६ समवायाङ्गसूत्र टीका - - ' बारस चक्कवट्टिणो' इत्यादि-द्वादश चक्रवर्तिनो भविष्यन्ति, द्वादश चक्रवर्त्तिपितरो भविष्यन्ति, द्वादशचक्रवर्त्तिमातरो, द्वादश स्त्रीरत्नानि भविष्यन्ति । जब बलदेव वासुदेवपितरो भविष्यन्ति, नव वासुदेवमातरो भविष्यन्ति, नव बलदेव मातरो भविष्यन्ति, नव दशार्हमण्डलानि भविष्यन्ति तद्यथा - उत्तमपुरुषा मध्यमापुरुषाः प्रधानपुरुषाः यावद् द्वौ द्वौ रामकेशवौ भ्रातराविति कृत्वा नव बलदेववासुदेव भविष्यन्ति । नव प्रतिशत्रवो भविष्यन्ति । नव पूर्वभवनामधेयानि, नव धर्माचार्याः, नव निदानभूमयः, नव निदानकारणानि च ' आयाए एरवए ' चाहिये । ( एवं दो वि आगमिस्साए भाणियव्वा) एवं द्वयोरपि आगमिष्यन्त्यां - भणितव्याः - इस तरह भरद और ऐरवत क्षेत्र के बीच में आगामी उत्सfort काल में बलदेव और वासुदेव आदि होंगे ऐसा जानना चाहिये। सू. २१८॥ टीकार्थ - ' वारस चकवट्टिणो' इत्यादि । बारह चक्रवर्ती होंगे । बारह चक्रवर्तियों के पिता होंगे । चक्रवर्तियों की बारह माताएँ होंगी । बारह स्त्री रत्न होंगे। नव बलदेवों के और नव वासुदेवों के नौ पिता होंगे । नव बोसुदेवों की नौ माताएँ होंगी और नव बलदेवो की नौ माताए होंगी । नौ दशार्हमंडल होंगे । "उत्तमपुरिसा " से लेकर " रामकेसवा भायरो भविस्संति" यहां तक इन पदों का अर्थ २१३ सूत्र की व्याख्या में लिख दिया है । सो उसे यहां पर भविष्यत् काल परक लगा लेना चाहिये। नौ प्रतिवासुदेव होंगें। नौ इनके पूर्वभव संबंधी नाम नौ इनके धर्माचार्य, नौ इनकी निदान भूमियां, और नौ निदानकारण, ऐरवतक्षेत्र उथन समल सेवानु ं छे. ( एवं दोसुवि आगमिस्साए भाणियव्वा) एवं द्वयोरपि आगमिष्यन्त्यां भणितव्या::-આ પ્રમાણે ખલદેવા અને વાસુદેવા ભરત અને અરવતક્ષેત્રમાં આગામી ઉત્સર્પિણીકાળમાં થશે તેમ સમજવું. "સૂ. ૨૧૮ના टीमार्थ - "बारस वकवट्टिणो" इत्यादि - प्यार व्यवर्तियो थशे. मार व्यवर्ति ચેાના ખાર પિતા થશે. ખાર ચક્રવતિયાની બાર માતાએ થશે અને ખાર સ્ત્રીરત્નાં થશે. નવ મળવા તથા નવ વાસુદવેનાં નવ પિતા થશે. નવવાસુદેવાથી નવ માતાએ થશે અને ખળદવાની નવ માતાએ થશે નવદશાહ` મ`ડળ થશે એટલે કે એક બળદેવ अनेो वासुदेव खेम जमेना नव युगस थशे. "उत्तमपुरिसा" थी "रामhear भायरो भविस्संति" सुधीना चहीना अर्थ २१३मां सूत्रमां याची हीधा છે. તેા અહીં ભવિષ્યકાળમાં તેમને સમજવાનાં છે તે વાસુદેવેામાં નવ પ્રતિશત્રુપ્રતિવાસુદેવા થશે. તે વાસુદેવેાના પૂર્વભવનાં નવ નામ હશે, નવ ધર્માચાર્યે થશે, નવ નિદાનભૂમિયા અને નવ નિદાનકારણેા થશે, તેએ આાગામી ઉત્સર્પિણીકાળમાં શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર

Loading...

Page Navigation
1 ... 1163 1164 1165 1166 1167 1168 1169 1170 1171 1172 1173 1174 1175 1176 1177 1178 1179 1180 1181 1182 1183 1184 1185 1186 1187 1188 1189 1190 1191 1192 1193 1194 1195 1196 1197 1198 1199 1200 1201 1202 1203 1204 1205 1206 1207 1208 1209 1210 1211 1212 1213 1214 1215 1216 1217 1218 1219