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समवायाङ्गसूत्रे
( वचसी) वर्चस्वनः वर्चस्वी थे, (जसंसी) यशस्विन:- यशस्वी थे । (छायंसी) छायावन्तः छायावन्त - चमकीले शरीरवाले थे ( कंता) कान्ताः कान्त थे (सोमा) सौम्या:सौम्य थे (सुभगा ) (सुभगा :- सुभग थे । ( पियदसणा) प्रियदर्शनाः- प्रियदर्शन थे (सुरुवा) सुरूपा:- सुरूपवाले थे, (सुहसील सुहाभिगमसव्वजणनयण कंता) शुभशील सुखाभिगम्य सर्वजननयनकान्ता - इनका स्वभाव बडा अच्छा था, हरएक प्राणी इनसे विना किसी झिझक के मिल सकता था । समस्तजन उन्हें देखकर बहुत खुश होते थे । (ओहबला) ओधबला:- ओघबलवाले (स्वाभाविक ) थे. (अइबला) अतिबला :- अधिक बलिष्ठ थे (महाबला) महाबलाः - इनका पराक्रम प्रशस्त था ( निहता) अनिहताः - निरुपद्रव आयुवाले होने के कारण ये धातवर्जित थे (अपराइया) अपराजिता:- अपराजित थे सतुमहणा) शत्रुमर्दना :- शत्रुओं के ये मर्दक थे (रिपुसहस्समाणमहणा) रिपु सहस्रमानमथना:- हजारों शत्रुओं का इनके समक्ष मान मथित हो जाता था (सानुकोसा) सानुक्रोशा:- जो इनके समक्ष झुके जाता था उनके ऊपर ये सदा दयालु रहेते थे । (अमच्छरा) अमत्सराः - मत्सरभाव से ये राहत थे । ( अचवला ) अचपलाः- मन, वचन और काय की चंचलता इनमें नहीं थी । ( अचंडा ) अचण्डाः - ये विना कारण किसी के ऊपर कभी भी क्रोध (जसंसी) यशस्विनः - यशस्वी, (छायंसी) छायावन्तः - छायावन्त-हेट्ठीप्यमान शरीरवाणा, (कन्ता) कान्ताः - अन्त (सोमा) सौम्यः - सौम्य, (सुभगा ) सुभगाःसुभग, (पियदसणा) प्रियदर्शनाः- प्रियहशन ने मनुं दर्शन प्रिय लागे तेवा अने (सुरुवा) सुरूपा:- सु३पवाजा उता (सुहसील सुहाभिगमसव्वजणनय णकंता) शुभशीलसुखाभिगम्य सर्वजननयनकान्ताः - तेभने स्वभाव धणे। સારા હતા, દરેક મનુષ્ય તેમને કોઇપણ જાતના સ`કાચ વિના મળી શકતા હતા, भ्याने तेमने लेने सघना सोभ घणा मुश थता हता (ओहबला) ओधबला - तेमनाभां भजनो तो शोध इतो, (अइबला) अतिबला:- तेथे । બળવાન उता, ( महाबला ) महाबलाः- तेथे प्रशस्त पराभवाजा हता, (अनिहता) अनिहताः - नि३पद्रव आयुवाजा होवाथी हाथी पशु तेभनी हत्या थर्ध शत्रुती 461°, (37911301) 379cftar:-àna kis szal arg'de), (AJA7011) शत्रुमर्दनाः- तेथे शत्रुनु मन पुरनार हुता, (रिपुसहस्स माणमहणा) रिपुसहस्रमानमथना:- हरे। शत्रुभोना हर्ष-मान-तु भर्हन पुरनारा ता. (सानुकोसा) सानुक्रोशा :- तेभने नमनारा तर तेथे सहा हयालु रहेता हता (अमच्छरा ) अमत्सराः - अभिमानथी रहित हता, ( अचवला) अचपलाःमन वन्यन यने अयानी ययजताथी रहित हता, (अचंडा) अचण्डाः - अर्धपए
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શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર