Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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२०४८
समवायाङ्गसूत्रे
से स्तनित कुमारान्तक जो नौ प्रकार के भवनपति देव हैं वे भी इन दोनों वेदवाले ही होते हैं नपुंसक वेद वाले नहीं। (पुढवीआऊ तेऊ वाऊ पणस्सइ बिति चउरिंदिय संमुच्छिम पंचिंदियतिरिक्खसंमुच्छिममणुस्सा णपुंसगवेया) पृथिव्यप्तेजो वायुवनस्पति हि त्रि चतुरिन्द्रिय संमुछिममनुष्याः-पृथ्वीकायिक, अपुकायिक, तेजस्कायिक, वायुकायिक, वनस्पतिकायिक, दो इन्द्रिय, ते इन्द्रिय चौ इन्द्रिय, संमूछिम पंचेन्द्रियतिर्यंच और संमूच्छिमनुष्य ये सब नपुसक वेद वाले होते हैं। स्त्रीवेद पुरुषवेद वाले नहीं होते हैं। (गस्भवतियमणुस्सा पंचिदियतिरिया य तिवेया ) गर्भव्युत्क्रान्तिक मनुष्याः पश्चेन्द्रियतिर्यश्वश्च त्रिवेदाः-- तथा जो गर्भजमनुष्य और पंचेन्द्रियतिथंच हैं वे तीनों ही वेदेवाले होते हैं। (जहा असुरकुमारा तहा बाणमंतरा जो इसियवेमाणिया वि) यथा असुरकुमारास्तथाव्यन्तर ज्योतिषिक वैमानिका अपि-जिस प्रकार असुरकुमारदेव पुरुष और स्त्रीवेद वाले होते हैं, उसी प्रकार से व्यन्तर देव, ज्योतिषिकदेव, और वैमानिक देव भी होते हैं। देवों में नपुसक वेद नहीं होता है ॥सू १९४॥
टीकार्थ-'कइविहेणं भंते ! वेए पण्णत्ते' इत्यादि-हे भदंत ! वेद એ જ પ્રમાણે સ્વનિતકુમાર સુધીના જે નવ ભવનપતિ દેવો છે તેઓ પણ એ બે वहाणा होय छ, नपुस वेवास खोता नथी. पुढवी आऊ तेऊ वाऊ वणस्सइ बितिचउरिदिय संमूच्छिम पंचिदिय तिरिक्ख संमूच्छिम मणुस्सा णपुंसगवेया) पृथिव्यप्तेजोवायुवनस्पति द्वित्रिचतुरिन्द्रिय संमूच्छिम पञ्चन्द्रिय तिर्यक संमूच्छिममनुष्या :--Y2वीथिई, 244304z, ते४२४॥यि४, वायु(45, हीन्द्रिय ત્રીન્દ્રિય, ચતુરિન્દ્રિય, સં મૂચિછમ પંચેન્દ્રિય તિયં ચ, અને સંમૂછિમ મનુ, એ मयां नपुस वेवामा होय छे, ५ स्त्रीवेह पुरुषवा ता नथी. (गम्भ वकंतिया मणुस्सा पंचिंदिय तिरिया यतिवेया) गर्भव्युत्क्रान्तिक मनुष्याः पञ्चेन्द्रियतिर्यंचाश्च त्रिवेदा:-IM मनुष्य! मने पयेन्द्रिय तिय यो जो पेहपाणां डाय . (जहा असुरकुमारातहा वाण मंतरा जोइसिय वेमाणिया वि)
यथा असुरकुमारास्तथा व्यन्तर ज्योतिषिक वैमानिकापि-म असु२ કુમાર દે પુરુષ અને સ્ત્રીદવાળા હોય છે તે જ પ્રમાણે વ્યંતર દેવો અને વિમાનિક દેવે પણ પુરુષ અને સ્ત્રીવેદ વાળા હોય છે. દેવોમાં નપુંસકવેટ હોતો નથી લગ્ન. ૧૯૪
:-'काविहेणं भंते ! वेए पण्णत्ते' इत्यादि-3 मत ! ये टमा
શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર