Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
समवायाङ्गसूत्रे
अण्डकोशों का विनाश किया जाना [नासाकन्नुहं गुहकर चरणनहच्छे
] नासाकर्णेष्ठाङ्गुष्ठकरचरणनखच्छेदनम्-- नाक, कान, ओष्ठ, अंगुष्ठ, हाथ, पैर और नखों का छेदा जाना तथा (जिन्भच्छेयण) जिह्वाच्छेदनम्जिह्वा का काटा जाना, (अंजण) अञ्जनं तपी हुई लोहे की शलाईयों द्वारा आंखों का फोडा जाना, (कडग्गिदाह) कटाग्निदाह :- वंश आदि की लकडियों द्वारा आच्छादित किये जाकर अन्यहत्यारे पुरुषों द्वारा जीते जी जला दिया जाना, (गयचलणमलण) गजचलनमलनम् - हाथी के पैरों नीचे दबाकर शरीर के अंग उपांगों का चूर२ करवा देना, (फालण) फालन - शरीर का विदारित होना, ( उलंबण) उल्लम्बनं - वृक्ष की शाखाओं पर बांधकर ऊँधे लटका दिया जाना, (मूल) शूल :- शूल से - एक प्रकार के शस्त्र से, (लया) लताः - लता से - बेतों से, (लउड) लकुट :- वंश आदि की छोटी२ लकडी से ( लट्ठि) यष्टिः- बडे २ मजबूत डंडों से बहुत बुरी तरह पीटा जाना, (भंजण) भञ्जनम् - लट्ठी-से शिर को फोड देना (तउसी सगतत्ततेलकलकल अहिसिंचण ) त्रपुसीसकतप्त तैल कलकलाभिषिञ्चनम् - त्रपु - रांगा, सीसकशीशा अर्थात् गलाया हुवा रीगा गरमशीशा और उकलता हुआ गर्म तैल से शरीर का सिंचा जाना, (कुंभिपाग) कुभिपाक:- कुंभीपाक नाम के पान में पकाया जाना, (कंपण) कम्पन-ठंड के समय शरीर पर वर्फ जैसा शीतल (नासाकन्नुहुंगुडकरचरणनहच्छेयण) नासा कर्णौष्ठाङ्गुष्ठकर चरणनखच्छेदनम्नाऊ, अन, होड, सांगजीओ, हाथ, पग भने नजानु छेहन, तथा (जिन्भलेयण) जिह्वाच्छेदनम्-लनु छेहन, (अंजण) अञ्जनं - तथावेसां सोढाना सजियो द्वारा मांडवा, (कडग्गिदाह) कटाग्निदाह-वांस महिनां साइड भट्ठीने अन्य इत्यारामों द्वारा भवता भाजी नामवानु, (गयचलणमलण) गजचलनमलनम् - હાથીના પગતળે ચગદર્દીને શરીરનાં અંગઉપાંગેાના ચૂરેચૂરા કરી નાખવાનુ (फालण) फालनं - शरीरने झडी-थीरी नामवानु, (उलंबण) उल्लम्बनं - वृक्षनी शाखाओ पर गांधीने अ घे माथे लटअपपानु, (सूल) शूल:- शूण (त्रशूण) थी (लया) लताः -क्षताथी - यामुश्री, (लउड) लकुटा :- वांस माहिनी नानी नानी साडीयोथी, (लट्टि) यष्टि:- भोटा भने घणा भन्भूत दंडामेो बडे पुरी रीते ईटहारवानु, (भंजण) भञ्जनम् - साठीथी शिर शेडी नामवानु, (तउसी सगतचतेल कलकलअहिसिंचण ) पुसीसकतसत लकलकलाभिसिञ्चनम् -- गाणेसा ગરમ તાંખા અને સીસાને રસ અને ગરમાગરમ તેલના શરીર પર છંટારવ કરવાનું, ( कुंभिपाग) कुंभपाक -लाभां २'धावांनु, (कंपण) कम्पन - डीना वभते शरीर
શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર
८१४