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भावबोधिनी टीका. द्वादशाङ्गस्वरूपनिरूपणम्
८४५ पूर्व है (तं जहा) तद्यथा-उसके वे प्रकार ये हैं (उप्पायपुग्छ) उत्पादपूर्वइसमें समस्त द्रव्यों और पर्यायों की उत्पाद भाव को लेकर प्ररूपणा-की गई है। (अग्गेणीयं)अग्रणीयं-इस में समस्त द्रव्यों, पर्यायों और जीवविशेषों का परिमाण वर्णित हुआ है २।(वीरियं) वीर्य-इसमें कर्म रहित और कमसहित जीवों की तथा अजीवों की शक्ति का कथन है३। (अस्थिणस्थिप्पबायं) अस्ति नास्ति-प्रवा:-इसमें जो २ वस्तु लोक में जिस प्रकार से अस्तिरूप है अथवा जिस प्रकार से नास्तिरूप है इसका कथन है।।(नाणपवायं) ज्ञानप्रवाद-इसमें मति आदि पांच ज्ञानों के भेदों की प्ररूपणा है५। (सच्चप्पवायं सत्यप्रवाद-इसमें सत्य-संयम अथवा सत्यवचन अपने भेद और प्रतिपक्ष सहित वर्णित हुआ है। (आयप्पवायं) आत्मप्रवादंइसमें नयसिद्धान्त को लेकर आत्मा का अनेक प्रकार से वर्णन किया गया है। (कम्मप्पवायं)कर्मप्रवादं-इसमें ज्ञानावरणीय आदि आठ प्रकार के कर्मों का, प्रकृति, स्थिति, अनुभाग और प्रवेशबंध इन चार बंधों को और इनके और भी उत्तरोतर भेद प्रभेदों को लेकर वर्णन किया गया है। (पञ्चक्रवाणप्पवायं) प्रत्याख्यानमवादं-इसमें समस्त प्रत्याख्यानों के स्वरूप का वर्णन किया गया है९। (विज्जाणुप्पवाय) विद्यानुप्रवाद-इसमें विद्याओं के अनेक अतिशयों का वर्णन किया गया है१०। (अवंझपुव्वं)अबन्थ्यपूर्व(तं जहा) तद्यथा-ते मा प्रमाणे 2-(उप्पायपुव्वं) पाव'-तमा समस्त દ્રવ્યો અને પર્યાની ઉત્પાદ ભાવની અપેક્ષાએ પ્રરૂપણ કરવામાં આવી છે. (अग्गेणीयं) अग्रणीयं-तेमा समस्त द्रव्यो, पर्याय मने विशेषानां परिभानु qान यु छ. (वीरिय) वीर्य-तमा भडित तथा भसहित वोनी मने भवानी तिनु वान छ. (अस्थिणत्थिप्पवायं)अस्तिनास्ति प्रवाद-तेमा જે જે વસ્તુ લોકમાં જે રીતે વિદ્યમાન છે અથવા જે પ્રકારે અવિદ્યમાન છે, તેનું ४थन थयु छ. (नाणप्पवायं) ज्ञानप्रवाद-तमा भतिशान आ पाय ज्ञानानी ५३५६॥ ४२री छ. (सच्चप्पवायं) सत्यमवाद-तमा सत्य- सयम ५५ सत्यय. ननु तमना लेह तना प्रतिपक्षी सहित १९°न यु छे. (आयप्पवायं) आत्मप्रवाद-तेमा नयसिद्धांतनी अपेक्षा यात्मानु भने प्रा२थी वान यु छे. (कम्मापवाय) कर्ममवाद-तमा ज्ञाना१२९॥ीय ARE ALB Ri भानु, प्रकृति, સ્થિતિ, અનુભાગ, અને પ્રદેશબંધ એ ચાર ભેદે અને તેમના બીજા ભેદભેદની अपेक्षा न छ. (पञ्चक्खाणप्पवायं) प्रत्याख्यानप्रवाद-तेमा समस्त प्रत्याभ्यानानु २१३५ १०यु छे. (विजाणुप्पवायं) विद्यानुप्रवाद-तभा विधासाना भने मतिशयानु न ४यु छ. (अबंझपुवं) अवन्ध्यपूर्व-तेमा मे
શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર