Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भावबोधिनो टीका. सूत्रकृतास्वरूपनिरूपणम्
६८३ संख्याता प्रतिपत्तयः संख्यात प्रतिपतियां हैं,(संखेज्जा वेढा)संख्याताःवेष्टका:संख्यात वेष्टक हैं, (संखेज्जा सिलोगा) संख्याताः श्लोकाः-संख्यात'लोक हैं, [संखेज्जाओ निज्जुत्तीओ) संख्याताः नियुक्तयः-संख्यात नियुक्तियां हैं। (से णं अंगहाए दोच्च अंगे) तत्खलु अङ्गार्थतया द्वितीयं अङ्गम्-यह अंग की अपेक्षा दूसरा अंग है। इसके (दो सुयक्खंघा) द्वौ श्रुतस्कन्धौदो श्रुतस्कंध हैं, (तेवीसं अज्झयणा) त्रयोविंशतिरध्य यनानि-तेवीस २३ अध्ययन हैं, (तेत्तीसं उद्देसणकाला) त्रयस्त्रिंशदुद्देशनकला:-तेतीस ३३ उद्देशनकाल हैं, (तेत्तीसं समुदेसणकाला) त्रयस्त्रिंशत्समुद्देशनकालाःतेतीस ३३ समुद्देशन काल हैं, (छत्तीसं पदसहस्साइं-पयग्गेणं पण्णत्ताई)
त्रिंशत्पदसहस्राणि पदाग्रेण प्रज्ञप्तानि-पदपरिमाण की अपेक्षा ३६छत्तीस हजार पद हैं. संखेज्जा अक्खरा) संख्यातानि अक्षराणि-संख्यात अक्षर हैं, (अणंता गमा) अनन्ता गमाः-अनंतगम हैं, (अणंता पज्जवा) अनन्ता पर्यायाः-अनन्त पर्याये हैं, (परित्ता तसा) परीताः त्रसाः-त्रस असंख्यात हैं, (अणंता थावरा) अनन्ता स्थावरा:-स्थावर अनंत हैं। इसमें (सासयकडनिबद्धणिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जति)-शाश्वतकृतनिघद्धनिकाचिताः जिनप्रज्ञप्ताः भावा आख्यायन्ते-जिनोक्त भाव सामान्य हा छ, [संखेजाओ पडिवत्तीओ संख्याताः प्रतिपत्तयः-सभ्यात प्रतिपत्ति. मोछे, (संखेजावेढा) संख्याताः वेष्टका:-सच्यात वेष्ट छ, (संखेजा सिलोगा) संख्याताः श्लोकाः- सध्यात सी छे, (संखेजाओ निजत्तीओ) संख्याता नियुक्तयः सभ्यात नियुतिये। छ. (से गं अंगहाए दोच्चे अंगे। तत्खलु अङ्गार्थतया द्वितीयं अगम्-ते मगानी अपेक्षा मी म छे. तेना (दो सुयक्खंधा) द्वौ श्रुतस्कन्धौ मे श्रुत२५ छ, (तेवीसं अज्झयणा त्रयोविंशति रध्ययनानि-तेवीस (२३) अध्ययन छ (तेत्तीसं उद्देसणकाला) त्रयस्त्रिंशद्देशनकालाः तेनीस (33) देशना छ. (तेत्तीसं समुदेसणकाला) त्रयस्त्रिंशत्समुद्देशनकाला:-तेत्रीस (33) समुद्देशन छ, (छत्तीसं पदसहस्साई पयग्गेणं पणत्ताइं) ट्त्रिंशत्पदसहस्त्राणि पदाग्रेण प्रज्ञप्तानि-५६ परिभानी पेक्षाये छत्रीस (३६) m२ ५४ छे. (संखेजा अक्खरा) संख्यातानि अक्षराणिसभ्यात मक्ष। छ, (अणंता गमा) अनन्ता गमा:-मन त म छ, (अणंतापज्जवा) अनन्ता पर्यायाः-मनन्त पर्याय छ, (परित्ता तसा) परीताः त्रसाःमन्यात त्रस छे (अणंता थावरा) अनन्ता स्थाबरा:-मनात स्थावर छे. AL Ai (सासयकड निबद्धणिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आधविजति) शाश्वतकृतनिबद्धनिकाचिताः जिनप्रज्ञप्ताः भावा आख्यायन्ते-हिनेत
શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર